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Jyotiraditya scindia ने ट्विटर प्रोफाइल में बदलाव से किया इंकार, बोले- यह महज अफवाह

Updated Jun 06, 2020 | 11:41 IST

Jyotiraditya scindia on twitter profile: ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कुछ लोगों की आदत सी बन गई है कि वो उनके बारे में अफवाह फैलाते रहते हैं।

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ज्योतिरादित्य सिंधिया, नेता, बीजेपी
मुख्य बातें
  • ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर प्रोफाइल में बदलाव से किया इंकार
  • सिंधिया बोले- कुल लोगों को अफवाह फैलाने में महारत हासिल
  • सिंधिया समर्थक बोले- ट्विटर प्रोफाइल में कभी बीजेपी का नहीं किया था जिक्र

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बड़े नाम हैं। मार्च से पहले वो कांग्रेस के सदस्य हुआ करते थे। लेकिन कांग्रेस के अंदर कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद उन्हें आगे की राह मुश्किल दिखाई देने लगी और उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया। सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया। लेकिन शनिवार को एकाएक खबर आने लगी की वो बीजेपी से खुश नहीं हैं और वो इस वजह से आने लगी कि सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट से बीजेपी हटा लिया था। हालांकि उनके समर्थकों ने कहा कि उन्होंने ट्विटर प्रोफाइल में बीजेपी शब्द कभी इस्तेमाल ही नहीं किया था। 

ज्याोतिरादित्य सिंधिया ने बताया अफवाह
Times Now से बातचीत में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह सब बकवास है। उन्हें बीजेपी के अंदर न तो किसी तरह की परेशानी है और न ही मतभेद है। कुछ लोगों की इस तरह की आदत हो चुकी है कि वो बेसिरपैर की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट काल में जिस तरह से बीजेपी राज्य में अच्छा काम कर रही है उससे विपक्ष में निराशा है। जब कोई मुद्दा उन्हें हासिल नहीं हुआ तो मेरा ट्विटर प्रोफाइल नजर आया। 

नाराजगी या कुछ और अलग अलग राय
सवाल यह है कि इस तरह की बात क्यों  सामने आई कि कहीं न कहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी की नीतियों से नाराज हैं। इस बारे में कुछ जानकार कहते हैं कि बीजेपी के ही कुछ कद्दावर नेता जिस तरह से परोक्ष तौर पर सिंधिया पर निशाना साधते हैं उससे वो खुद को असहज पाते हैं। इसके साथ ही उन्हें लगता है कि जिन वजहों से उन्होंने कांग्रेस को छोड़ा वो मकसद बीजेपी में पूरी नहीं हो रही है।

लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि इस तरह की बातों के पीछे आधार नहीं है क्योंकि उनके समर्थक विधायकों को पर्याप्त जगह मिली है, इसके साथ ही सिंधिया को राज्यसभा का टिकट भी हासिल है। हकीकत यह है कि कांग्रेस की तरफ से उपचुनाव के दौर में इस तरह की बातों के जरिए सिर्फ मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश भर है। 

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