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MP Panchayat Elections: ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस का सच आया सामने, फैसले के बाद दहाड़े शिवराज सिंह चौहान

Updated May 18, 2022 | 14:10 IST

सुप्रीम कोर्ट मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को हरी झंडी दिखा दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी है।

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कांग्रेस पर शिवराज सिंह चौहान ने साधा निशाना

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार को मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अनुमति देने के कुछ मिनट बाद, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया, जिसमें उन्होंने कहा, ओबीसी कोटा को अवरुद्ध करने की साजिश रची थी जो अब उजागर हो गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर मुहर लगा दिया है हालांकि आरक्षण 50 फीसद की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। 

बेनकाब हुई कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं और कमलनाथ (राज्य कांग्रेस अध्यक्ष) ने आम लोगों के लिए परेशानी पैदा करने की साजिश रची और भाजपा को ओबीसी आरक्षण प्रदान करने में विफल रहने का आरोप लगाया। लेकिन, अब वे बेनकाब हो गए हैं, ”चौहान ने दिल्ली में शीर्ष अदालत के आदेश के बाद कहा।बिना आरक्षण के चुनाव कराने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, कांग्रेस नेता कह रहे थे कि कुछ नहीं होगा। लेकिन हम लड़े क्योंकि हमने तय किया था कि स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के नहीं होंगे।


एक नजर में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

जस्टिस एएम खानविलकर, एएस ओका और सीटी रविकुमार की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को पिछले साल सितंबर में गठित तीन सदस्यीय ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के अनुरूप ओबीसी सीटों को अधिसूचित करने का आदेश जारी करने की अनुमति दी।ओबीसी से ताल्लुक रखने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वकील शशांक रतनू ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि सरकार की गलतियों का खामियाजा ओबीसी को नहीं भुगतना चाहिए।

शशांक रतनू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वार्ड आधार और पंचायत आधार पर सभी 23 हजार सीटों पर 50 प्रतिशत से कम आरक्षण को मंजूरी दी है।सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के राज्य चुनाव आयोग को 10 मई को निर्देश दिया था कि वह दो सप्ताह के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव की शुरुआत करे।सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि जब तक मध्यप्रदेश सरकार आरक्षण देने के लिए जरूरी तीनों प्रावधानों को पूरा नहीं करती तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

मध्यप्रदेश सरकार ने इसी सिलसिले में गत मंगलवार को ओबीसी आयोग की दूसरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश की थी। राज्य सरकार का कहना था कि ओबीसी आयोग की रिपोर्ट स्थानीय निकाय आधारित आरक्षण प्रतिशत से संबंधित है और अदालत को रिपोर्ट पर भरोसा करना चाहिए।मध्यप्रदेश सरकार ने यह भी आग्रह किया था कि सुप्रीम कोर्ट उसे इस रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण दिए जाने के संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे।मध्यप्रदेश सरकार ने साल 2011 की जनगणना के आंकड़े भी ओबीसी आरक्षण देने के लिये पेश किए। इस आंकड़े के मुताबिक राज्य की कुल आबादी में 51 प्रतिशत लोग ओबीसी से हैं। राज्य सरकार का मामना है कि अगर जनसंख्या के आधार पर ओबीसी आरक्षण दिया जाये तो उनके साथ न्याय होगा।

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