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Cairn Energy Name Change: दिसंबर से केयर्न एनर्जी नहीं, कैप्रीकॉर्न एनर्जी होगा कंपनी का नाम

Updated Nov 05, 2021 | 18:12 IST

Cairn Energy Name Change: केयर्न एनर्जी पीएलसी दिसंबर से अपनी कंपनी का नाम बदलकर कैप्रीकॉर्न एनर्जी पीएलसी करने जा रही है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
Cairn Energy to change name to Capricorn Energy

Cairn Energy Name Change: केयर्न एनर्जी पीएलसी दिसंबर के मध्य से अपनी कंपनी का नाम कैप्रीकॉर्न एनर्जी पीएलसी (Capricorn Energy PLC) में बदल देगा। उस समय कंपनी का 1 बिलियन डॉलर से अधिक का रेट्रोस्पेक्टिव कर (Retrospective Tax) विवाद करीब खत्म हो जाएगा।

Cairn Energy Name Change: ब्रिटेन तेल और गैस एक्सप्लोरर केयर्न एनर्जी पीएलसी (Cairn Energy PLC) दिसंबर के मध्य से अपनी कंपनी का नाम कैप्रीकॉर्न एनर्जी पीएलसी (Capricorn Energy PLC) में बदल देगा। उस समय कंपनी का 1 बिलियन डॉलर से अधिक का रेट्रोस्पेक्टिव कर (Retrospective Tax) विवाद करीब खत्म हो जाएगा।

केयर्न एनर्जी ने भारत को अपनी सबसे बड़ी ऑनलैंड तेल खोज दी थी। कंपनी ने 2011 में भारत इकाई, केयर्न इंडिया को अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह (Vedanta Group) को बेच दिया था। बिक्री में केयर्न ब्रांड नाम भी वेदांताा को हस्तांतरित करना शामिल था।

लेकिन यूके की फर्म और वेदांताा दोनों ही नाम का इस्तेमाल करती रहीं। केयर्न एनर्जी ने इस सब के दौरान अपना नाम नहीं बदला। खनन समूह केयर्न इंडिया लिमिटेड के साथ 2018 तक जारी रही, जब फर्म का मुंबई-सूचीबद्ध वेदांता लिमिटेड में विलय हो गया। तब से वेदांता लिमिटेड के तेल और गैस की खोज और उत्पादन कार्यों को केयर्न ऑयल एंड गैस (Cairn Oil & Gas) के रूप में आयोजित किया जाता है।

केयर्न एनर्जी पीएलसी ने एक बयान में कहा कि उसकी अपनी कंपनी का नाम केयर्न एनर्जी पीएलसी से कैप्रीकॉर्न करने की जो योजना है, वो 31 दिसंबर, 2021 से प्रभावी होगी। एलएसई स्टॉक टिकर सीएनई के रूप में ही रहेगा। यह 2006 में केयर्न इंडिया के आईपीओ के समय एक समझौते का पालन करता है कि अंततः नाम बदल दिया जाएगा। नाम बदलने के बाद, केयर्न ब्रांड विशेष रूप से वेदांता के पास है।

3 नवंबर को कंपनी ने कहा था कि वह 7,900 करोड़ रुपये के रिफंड के बदले भारत सरकार के खिलाफ सभी मुकदमों को वापस लेने के लिए सहमत हो गई है।

एक निवेश गंतव्य के रूप में भारत की छवि सुधारने के हुए सरकार ने अगस्त में दूरसंचार समूह वोडाफोन, फार्मा फर्म सनोफी और शराब बनाने वाली सबमिलर, जो अब एबी इनबेव और केयर्न के स्वामित्व में है, के खिलाफ बकाया दावों में 1.1 लाख करोड़ रुपये को छोड़ने के लिए नया कानून बनाया था।

बयान में कहा गया कि नया नाम निरंतरता और विकास को दर्शाता है। केयर्न की अधिकांश सहायक कंपनियों को कुछ समय से कैप्रीकॉर्न के रूप में ही जाना जा रहा है। यह हमारे वैश्विक संचालन में एक स्थापित और सम्मानित नाम है। बदलाव के संबंध में शेयरधारकों की ओर से किसी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है।

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