- एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड पर 28 बैंकों को धोखा देने का आरोप है।
- कंपनी 2005 से लोन लिया था, लेकिन अकाउंट 2013 में एनपीए हो गया।
- कंपनी 2008 के ग्लोबल वित्तीय संकट का शिकार हुई।
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने गुरुवार को बताया कि उसने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (ABG Shipyard Limited) मामले में 2,747.69 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। कुर्क की गई संपत्तियों में सूरत और दहेज में शिपयार्ड, एग्रीकल्चर भूमि और प्लॉट, गुजरात और महाराष्ट्र में वाणिज्यिक और आवासीय परिसर और एबीजी शिपयार्ड, इसकी ग्रुप कंपनियां और अन्य संस्थाओं के स्वामित्व वाले बैंक अकाउंट शामिल हैं।
ईडी ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, उसकी समूह कंपनियों, बरमाको एनर्जी सिस्टम्स लिमिटेड, धनंजय दातार, सविता धनंजय दातार, कृष्ण गोपाल तोशनीवाल, वीरेन आहूजा की कुल 2,747.69 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति का पता लगाया है और उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत अटैच किया है।
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ABG शिपयार्ड के फाउंडर चेयरमैन गिरफ्तार
मालूम हो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को 22,842 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी (Bank Fraud) मामले में एबीजी शिपयार्ड के फाउंडर चेयरमैन ऋषि अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। शिप बिल्डिंग कंपनी ने साल 2012 और 2017 के बीच 28 बैंकों के एक संघ को धोखा देने के लिए लेनदेन का एक जाल बनाया था। इसमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आईडीबीआई और आईसीआईसीआई शामिल हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू
प्रवर्तन निदेशालय ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और अन्य के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो, AC-V, दिल्ली द्वारा दर्ज की गई 7 फरवरी 2022 की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
जांच में एजेंसी ने पाया कि कंपनी और उसके अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल ने कैपिटल आवश्यकताओं और अन्य व्यावसायिक खर्चों को पूरा करने के बहाने से आईसीआईसीआई बैंक, मुंबई के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ से कई क्रेडिट सुविधाए या लोन का लाभ उठाया। एबीजी शिपयार्ड ने कंसोर्टियम से प्राप्त क्रेडिट सुविधाओं का दुरुपयोग किया।