- अमेरिका में इस समय न्यूनतम मजदूरी 7.25 डॉलर प्रति घंटे है
- बाइडेन ने कहा न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 15 डॉलर करेंगे
- डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मजदूरी बढ़ाने का दबाव बनाकर आप छोटे कारोबारियों की मदद कैसे करेंगे
वॉशिंगटन : अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव तीन नवंबर को है। वर्तमान राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन के बीच मुकाबला है। दोनों जनता को अपने पक्ष में करने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं। एक से बढ़कर एक वादे कर रहे हैं। डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा कि अगर उसकी सरकार बनी तो वह न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 15 डॉलर (करीब 1100 रुपए) प्रति घंटे करेंगे यानी दिन भर आठ घंटे काम के लिहाज से प्रति दिन 8800 रुपए न्यूनतम मजदूरी मिलेगी। साथ ही उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इससे छोटे कारोबारियों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जब आप न्यूनतम मजदूरी बढ़ाते हैं, तो कुछ व्यवसाय बंद हो जाते हैं।
दूसरी ओर रिपब्लिकन उम्मीदवार और वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी तय करने की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मजदूरी बढ़ाने का दबाव बनाकर आप छोटे कारोबारियों की मदद किस तरह कर रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया ऐसा करने पर कई छोटे कारोबारी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देंगे। अमेरिका में इस समय न्यूनतम मजदूरी 7.25 डॉलर प्रति घंटे है यानी दिन भर में आठ घंटे काम के लिहाज से 60 डॉलर प्रति दिन होता है।
उधर जो बिडेन ने राष्ट्रपति पद की बहस के दौरान कहा कि वह कच्चे तेल की जगह नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देंगे। दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि बिडेन के इस बयान से कई राज्यों में उन्हें फायदा मिल सकता है।
बिडेन ने बहस के अंतिम दौर में ट्रंप के उकसावे पर कहा कि हां, मैं तेल उद्योग से दूर हटूंगा उन्होंने कहा कि तेल उद्योग काफी अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। इसे समय के साथ नवीकरणीय ऊर्जा से बदलना चाहिए।
बिडेन के चुनाव अभियान की जलवायु परिवर्तन योजना के तहत अमेरिका में 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को पूरी तरह खत्म करने की बात कही गई है। उन्होंने तेल और गैस उद्योग के लिए संघीय सब्सिडी को समाप्त करने की अपनी प्रतिज्ञा को भी दोहराया।
बिडेन की इस टिप्पणी को ट्रंप ने एक बड़ा बयान बताया और कहा कि मूल रूप से वह जो कह रहे हैं, वो तेल उद्योग को नष्ट करने वाला है। उन्होंने कहा कि इससे तेल उत्पादक राज्यों में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा।