नई दिल्ली: अगले वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपए से अधिक सालाना भविष्य निधि अंशदान पर अर्जित ब्याज पर टैक्स प्रस्ताव कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से अधिक आय वाले रिटर्न पर गंभीर प्रभाव डालने वाला है। अगर आपका ईपीएफ और स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में सालाना योगदान 2.5 लाख रुपए से अधिक है, तो ब्याज पर टैक्स व्यक्तिगत लगने वाले इनकम टैक्स रेट (सरचार्ज समेत अगर कोई हो तो) के समान होगा।
ईपीएफ से शुद्ध ब्याज आय में और गिरावट आएगी। अगर सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) का योगदान भी 2.5 लाख रुपए में शामिल है। यहां गौर करने योग्य बात यह है कि बजट पत्रों में धारा 10 (11) के तहत ब्याज का उल्लेख है, जो कि पीपीएफ ब्याज को कवर करने वाला सेक्शन है। अगर PPF का योगदान 2.5 लाख रुपए की सीमा में शामिल है, तो यह भविष्य निधि निवेश से प्राप्त औसत रिटर्न को और कम कर देगा। इस बात पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है कि इस सीमा में पीपीएफ योगदान शामिल है या नहीं।
यहां जानिए कि नया टैक्स प्रत्येक टैक्स स्लैब में व्यक्तियों के लिए भविष्य निधि आय को कैसे प्रभावित करेगा:-
ईपीएफ में व्यक्तिगत सालाना योगदान | ईपीएफ पर रिटर्न | पीपीएफ में और निवेश करने पर रिटर्न |
2.5 लाख रुपए तक | 8.5% | 7.1% |
3 लाख रुपए तक | 8.0% | 7.0% |
6 लाख रुपए तक | 6.9% | 6.5% |
12 लाख रुपए तक | 6.4% | 6.2% |
24 लाख रुपए तक | 6.1% | 6.0% |
36 लाख रुपए तक | 5.7% | 5.7% |
48 लाख रुपए तक | 5.7% | 5.7% |
60 लाख रुपए तक | 5.5% | 5.5% |
1.2 करोड़ रुपए तक | 5.2% | 5.2% |
2.5 करोड़ रुपए तक | 4.9% | 4.9% |
पहले 2.5 लाख रुपए का योगदान अगले साल के लिए 8.5% टैक्स-फ्री ब्याज अर्जित करेगा, साथ ही यह मानते हुए कि ईपीएफ ब्याज दरें अगले वर्ष के लिए नहीं बदलती हैं। अगर आपका ईपीएफ योगदान 3 लाख रुपए तक बढ़ जाता है, तो ईपीएफ से टैक्स ब्याज 8% होगी। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईपीएफ रिटर्न 5.7% तक गिर जाएगा अगर ईपीएफ और वीपीएफ का वार्षिक योगदान एक साथ 36-48 लाख रुपए के बीच रहता है, तो ब्याज से लाभ 5.7% तक गिर जाएगी।
यहां यह माना गया है कि व्यक्ति की टैक्स योग्य आय एक करोड़ के करीब है, लेकिन उससे अधिक नहीं है। इसलिए, ब्याज पर टैक्स 30% और सरचार्ज 10% होगा। 60 लाख रुपए के योगदान के लिए, यह माना गया है कि व्यक्ति की आय 1 करोड़ रुपए से 2 करोड़ रुपए के बीच है, जो 15% सरचार्ज के साथ 30% टैक्स को आकर्षित करता है। प्रति वर्ष 1.2 करोड़ रुपए का उच्च योगदान, 2-5 करोड़ रुपए आय स्लैब (30% टैक्स और 25% सरचार्ज) में लिया जाता है, और 2.5 करोड़ रुपए सालाना, 5 करोड़ रुपए (30% टैक्स प्लस 37% सरचार्ज) से अधिक आय माना जाता है।
उपरोक्त गणना से पता चलता है कि ईपीएफ रिटर्न तेजी से घटकर 6.12% हो जाएगा, जो वीपीएफ और ईपीएफ में 24 लाख रुपए का निवेश करते हैं। अगर इसमें पीपीएफ योगदान भी शामिल है, तो शुद्ध रिटर्न 6% तक गिर जाएगा, यह मानकर कि व्यक्ति की सालाना टैक्स योग्य आय 50 लाख रुपए के करीब है, लेकिन 50 लाख रुपए से अधिक नहीं।
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईपीएफ से गिरती आय निवेशकों को राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) या इक्विटी म्यूचुअल फंड जैसे अन्य उपकरणों की ओर जाने के लिए मजबूर करेगी। एनपीएस में टैक्सपेयर्स धारा 80 सीसीडी के तहत 50,000 रुपए की अतिरिक्त कटौती का दावा कर सकते हैं।