- रेल मंत्रालय ने पहली बार राजस्व को बढ़ाने के लिए को-ब्रांडिंग का फैसला लिया है।
- यह सिर्फ विज्ञापन का ही एक रूप है।
- को-ब्रांडिंग लाइसेंस के आधार पर होगी।
Indian Railways: नॉन-फेयर रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए रेलवे बोर्ड (Railway Board) ने बड़ा फैसला लिया है। बोर्ड ने रेलवे स्टेशनों पर को-ब्रांडिंग (Co-Branding of Railway Stations), स्टेशन ब्रांडिंग या सेमी-नेमिंग अधिकारों की अनुमति देने का निर्णय लिया है। यानी अब सरकार और व्यावसायिक घरानों के ब्रांड या लोगो को रेलवे स्टेशनों के नाम से पहले या बाद में लगाया जा सकता है।
रेलवे बोर्ड के देश के सभी रेलवे क्षेत्रों के मैनेजर के लिए संबोधित करते हुए लेटर के मुताबिक रेलवे स्टेशन के नाम पर ब्रांड नाम या लोगो का प्रीफिक्स या सफिक्स दो शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
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रेलवे टिकटों (Railway Tickets), पीआरएस (PRS), वेबसाइट, रूट मैप्स और रेल डिस्प्ले नेटवर्क पर रेलवे स्टेशन का नाम ही उसका मूल नाम होगा। यहां को-ब्रांडिंग की अनुमति नहीं होगी।
इन सभी स्थानों पर दी जाएगी को-ब्रांडिंग की अनुमति
इसके अलावा स्टेशनों की को-ब्रांडिंग से राजस्व को बढ़ाने के लिए इस को-ब्रांडिंग की अनुमति स्टेशन निर्माण क्षेत्र के उन सभी स्थानों पर दी जाएगी जहां रेलवे स्टेशन का नाम प्रदर्शित होता है।
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साफ दिखना चाहिए स्टेशन का नाम
को-ब्रांडिंग के लिए आवंटित किए जाने वाले स्थान की मात्रा या स्थान की उपलब्धता, स्टेशन लेआउट, आदि को ध्यान में रखते हुए, संबंधित डिवीजनों द्वारा तय किया जाएगा। इसके साथ ही लेटर में यह भी कहा गया है कि स्टेशन का नाम स्पष्ट दिखना चाहिए, जो ट्रेन ऑपरेशन के लिए जरूरी है।
यह एक शर्त के साथ आता है कि विरासत भवनों और रेलवे स्टेशनों में प्रतिष्ठित व्यक्तियों, राष्ट्रीय नेताओं, शहीदों आदि के नाम पर नीति के इस परिवर्तन से बाहर रखा जाएगा। इस योजना को रेलवे स्टेशनों में प्रतिष्ठित लोगों, राष्ट्रीय नेताओं, शहीदों आदि के नाम से दूर रखा जाएगा।