- गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना के बीच हिंसक झड़प से कुछ घंटे पहले डील हुई थी
- इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 जवान शहीद हो गए
- इसके बाद चीनी सामानों का बहिष्कार होने लगा और चीन की कंपनियों के ठेके रद्द करने की मांग होने लगी
मुंबई : लद्दाख में सीमा पर गलवान घाटी में चीन आर्मी के साथ भारतीय सेना के बीच हुई झड़प से कुछ घंटे पहले चीन की तीन कंपनियों के साथ महाराष्ट्र सरकार ने 5020 करोड़ रुपए के निवेश के समझौतों पर 15 जून को हस्ताक्षर किए थे। भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 जवान शहीद होने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। इसके बाद इन समझौतों को फिलहाल होल्ड कर दिया गया है हालांकि इसे रद्द नहीं किया गया है।
महाराष्ट्र सरकार ने कहना है कि इस समझौतों को यथास्थिति रखी जाएगी। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने सोमवार को स्पष्ट किया कि यथास्थिति का अर्थ 5,020 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के समझौतों को रद्द करना नहीं है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, देसाई ने कहा कि राज्य सरकार वर्तमान स्थिति में परियोजनाओं के बारे में स्पष्ट नीतिगत फैसले का इंतजार कर रही है।
चीन इन तीनों कंपनियां के साथ हुए समझौते
इन समझौतों पर मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0 निवेशक शिखर सम्मेलन के तहत पिछले सोमवार को हस्ताक्षर किए गए थे। दोनों देशों की आर्मी के बीच झड़प के कुछ घंटे पहले ही इन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। बयान के मुताबिक, 15 जून 2020 को हेंगली इंजीनियरिंग, पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी सॉल्यूशंस व फोटॉन के संयुक्त उपक्रम और दी ग्रेट वॉल मोटर्स के साथ हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापनों के संबंध में यथास्थिति होगी।
पुणे में निवेश करे वाली है तीनों कंपनियां
इससे पहले एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि चीन की तीन कंपनियां पुणे जिले के एक औद्योगिक केंद्र तालेगांव में परियोजनाओं में निवेश करने वाली हैं। बयान के अनुसार, वाहन क्षेत्र में हेंगली इंजीनियरिंग को 250 करोड़ रुपए और पीएमआई को 1000 करोड़ रुपए का निवेश करने वाली थी। इसी तरह ग्रेट वॉल मोटर्स 3,770 करोड़ रुपए के निवेश के साथ एक वाहन कंपनी स्थापित करने वाली थी।
चीनी कंपनियों के ठेके रद्द करने की बढ़ी मांग
महाराष्ट्र सरकार के इस कदम को लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन की सेना की बीच हुई हालिया झड़प के मद्देनजर देखा जा रहा है। झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद भारत-चीन के संबंध में और तनाव बढ़ गया है। इसके बाद देशभर में चीन के सामानों का बहिष्कार होने लगा। चीन की कंपनियों के ठेके रद्द करने की मांग जोर पकड़ने लगी है।