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मोदी सरकार 2.0  के 1 साल: बैंकों के विलय समेत लिए गए कई बड़े आर्थिक फैसले

Updated May 29, 2020 | 20:29 IST

Modi government 2.0 One year: मोदी सरकार 2.0  के एक साल पूरे हो गए हैं। पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में कई आर्थिक फैसले लिए। 

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मोदी सरकार 2.0  के 1 साल कई आर्थिक फैसले लिए गए
मुख्य बातें
  • नरेंद्र मोदी की सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा कर ली है
  • मोदी सरकार ने इस एक साल में देश में आर्थिक सुधार की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं
  • मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल में सबसे बड़ा फैसला बैंकों का विलय है

लोकसभा चुनाव 2014 में सत्ता में आने के बाद लगातार दूसरी बार 2019 में सत्ता में वापसी करने वाली नरेंद्र मोदी की सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा कर ली है। इस एक साल में मोदी सरकार ने देश में आर्थिक सुधार की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं। इसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे गिरती ही चली गई। मार्च के बाद कोरोना वायरस ने कहर बरपा दिया और पूरी अर्थव्यवस्था ठप हो गई। बीते पूरे वित्त वर्ष (2019-20) में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 4.2% पर आ गई है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 6.1% रही थी।  वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5.6%, दूसरी तिमाही में 5.1%, तीसरी तिमाही में 4.7%, चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च 2020) 3.1% रही है। इससे पता लगता है कि मोदी सरकार 2.0 में  आर्थिक फैसले ने बेहतर परिणाम नहीं दिए। 

सरकारी बैंकों का विलय

मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल में सबसे बड़ा फैसला बैंकों का विलय है। ऐसा इसलिए किया गया कि खराब आर्थिक हालत से जूझ रहे बैंकों की स्थिति सुधारी जाए और बैंकों को बढ़ते एनपीए को कम किया जा सके। इसलिए सरकार ने 10 सरकारी बैंकों के विलय करके 4 बड़े बैंक बनाने का फैसला किया। और फिर ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया गया। सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया गया। आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जोड़ने का एलान किया।

20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज

इसके बाद सबसे बड़े आर्थिक फैसले कोरोना वायरस से उपजे हालात से निपटने के लिए गए। पीएम मोदी ने 12 मई को भारत की जीडीपी के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की। उन्‍होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की। इसके साथ ही उन्‍होंने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों यथा अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, युवा आबादी या शक्ति और मांग को भी रेखांकित किया। सूक्ष्म, लघु एवं मध्‍यम उद्यमों (एमएसएमई) , किसानों, गरीब, मजदूर समेत सभी तबकों को ध्यान में रखा गया।

वन नेशन, वन राशन कार्ड

मोदी सरकार ने 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना को भी लागू करने का फैसला किया। केंद्र सरकार 1 जून 2020 से वन नेशन वन राशन कार्ड सेवा की शुरुआत करने जा रही है। इस योजना के जरिए एक ही राशन कार्ड पर कोई भी कार्डहोल्डर व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से में जन वितरण प्रणाली की दुकान से राशन ले सकेगा। वन नेशन वन राशन कार्ड योजना बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश समेत 20 राज्यों में लागू होगी। खास करके प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रखकर यह स्कीम लाई गई है। 

किसान सम्मान निधि

मोदी सरकार हमेशा से किसानों की दोगुनी करने की बात करती रही है। मोदी सरकार 2.0 की पहली कैबिनेट की बैठक में देश के सभी किसानों को पेंशन देने के लिए किसान सम्मान योजना को मंजूरी दी। जो उन्होंने चुनाव के दौरान वादा किया था। किसान सम्मान निधि के दायरे में सभी किसानों को शामिल किया गया था। प्रत्येक किसानों के खाते में पैसे डाले गए। सरकार ने किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कृषि सेक्टर में सुधार के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955, एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) एक्ट में बदलाव करने का फैसला किया है।

छोटे व्यापरियों के लिए पेंशन योजना

मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में छोटे व्यापरियों के लिए पेंशन योजना शुरू की है। इस योजना के तहत देश के करीब 3 करोड़ खुदरा व्यापारियों को 60 साल की उम्र के बाद 3000 हजार रुपए हर महीने पेंशन दी जा रही है। इस योजना के तहत 18 से 40 साल उम्र के 1.5 करोड़ सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों को पेंशन का लाभ मिलेगा।
 

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