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कमजोर पड़ने लगी है श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की मांग, केवल 4 ट्रेनों ने 72 घंटे से ज्यादा समय लिया: रेलवे

Updated May 29, 2020 | 18:55 IST

Railway on Shramik special trains: श्रमिक ट्रेनें चलाए जाने पर अपनी मीडिया ब्रीफिंग में रेलवे के अधिकारी ने कहा कि राज्यों की तरफ से 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनें' चलाए जाने की मांग धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
रेलवे ने कहा कि बुजुर्ग और बच्चे गैर जरूरी यात्रा न करें।
मुख्य बातें
  • देश में सबसे ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेनें यूपी और बिहार के लिए चलीं
  • प्रवासी मजदूर जब तक पहुंच नहीं जाएंगे तब तक चलती रहेंगी ट्रेनें
  • रेलवे ने कहा-गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे गैर-जरूरी यात्रा न करें

नई दिल्ली : प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनें' चलाने वाले रेलवे की तरफ से शुक्रवार को अपनी इस मुहिम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार राय ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि राज्यों की तरफ से  'श्रमिक स्पेशल ट्रेनें' चलाने की मांग अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है। साथ ही उन्होंने कुछ विशेष वर्ग के लोगों के लिए अभी गैर-जरूरी यात्रा न करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा श्रमिक ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए चली हैं। दोनों राज्यों में यह संख्या करीब 80 प्रतिशत है।  

धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही श्रमिक ट्रेनें चलाने की मांग
देश भर में श्रमिक ट्रेनें चलाए जाने पर अपनी मीडिया ब्रीफिंग में रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यों की तरफ से 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनें' चलाए जाने की मांग धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है। 24 मई तक राज्यों के अनुरोध पर 923 ट्रेनें चलानी पड़ रही थी लेकिन कल यह संख्या घटकर 449 पर आ गई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने बताया कि 20 मई तक देश में 279 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। राज्यों से ट्रेन चलाने के आए सभी अनुरोध पूरे कर लिए गए हैं। रेलवे की तरफ से करीब तीन लाख प्रवासी लोगों को रोजाना उनके गंतव्य पहुंचाया जा रहा है। अभी तक जितनी भी श्रमिक ट्रेनें चली हैं उनमें 42 प्रतिशत ट्रेनें उत्तर प्रदेश और 37 प्रतिशत बिहार गई हैं।

 

केवल 4 ट्रेनों ने लिया 72 घंटे से ज्यादा का समय
श्रमिक ट्रेनों में यात्रियों को उपलब्ध कराए गए भोजन और पानी के बारे में रेलेव बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि राज्य सरकारों ने मुसाफिरों के लिए स्टेशनों पर भोजन एवं पानी का प्रबंध किया जबकि आईआरसीटीसी एवं रेलवे ने यात्रा के दौरान मुफ्त भोजन एवं पानी की व्यवस्था की। रेलवे ने बीमार लोगों, गर्भवती महिलाओं, 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों को गैर-जरूरी यात्रा न करने की सलाह दी है। रेलवे के अधिकारी ने आगे कहा कि 3640 ट्रेनों में से केवल 4 ट्रेनों ने अपने गतंव्य तक पहुंचने में 72 घंटे से ज्यादा का समय लिया है। उन्होंने कहा, 'सभी यात्रियों को भोजन एवं पानी मुहैया कराने एवं सभी मुद्दों का हल निकालने के लिए हमारी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया जा रहा है।' 

'यह फेक न्यूज थी'
विनोद कुमार ने कहा, 'एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि एक ट्रेन को सूरत से सिवान पहुंचने में 9 दिन का समय लगा। यह फेक न्यूज है। यह ट्रेन दो दिन में अपने गतंव्य पहुंची। 3840 ट्रेनों में से केवल चार ट्रेनों ने अपने गंतव्य पर पहुंचने में 72 घंटे से ज्यादा का समय लिया। देश में श्रमिक ट्रेनें तक तक चलती रहेंगी जब तक कि प्रवासी अपने गृह राज्य नहीं पहंच जाते। राज्यों की मांग पर श्रमिक ट्रेन की व्यवस्था उसी दिन कर दी जाएगी।'
 

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