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Home Loan Rules : अधिकतर महिलाएं ले रही हैं होम लोन, जानिए उन्हें सह-उधारकर्ता बनाने के फायदे

Updated Jul 14, 2021 | 20:43 IST

अधिक से अधिक महिलाएं होम लोन ले रही हैं। महिलाओं को घर का मालिक बनने के लिए प्रोत्साहन के तौर पर लाभ भी प्रदान किए जाते हैं।

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होम लोन लेने से पहले इन बातों पर जरूर विचार करें (तस्वीर-istock)
मुख्य बातें
  • वित्तीय वर्ष 20 में महिलाओं के औसत होम लोन की राशि 29.78 लाख रुपए थी।
  • वित्तीय वर्ष 21 में 7.41% के बढ़ोतरी हुई है। 
  • सह-उधारकर्ताओं के रूप में महिलाओं को शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

बैंक बाजार के होम लोन रिफाईनेंसिंग इन 2021 से संबंधित प्राइमर के अनुसार महिलाएं बड़ी राशि के होम लोन ले रही हैं। वित्तीय वर्ष 20 (FY20) में, महिलाओं द्वारा लिए गए औसत होम लोन की राशि 29.78 लाख रुपए थी। वित्तीय वर्ष 21(FY21) में 7.41% के हिसाब से थोड़ी बढ़कर 31.98 लाख रुपए हो गई है। इस वृद्धि के पीछे महामारी के कारण होने वाले बदलाव शामिल हैं जिसकी वजह से लोग ज्यादा जगह और पर्सनल स्पेस की चाहत रखने लगे हैं और साथ में घर खरीदने की अपनी आकांक्षाओं को भी पूरा करना चाहते हैं।

यह देखा जा सकता है कि अधिक से अधिक महिलाएं बोरोअर बन रही हैं क्योंकि अनेक वर्किंग महिलाएं ये मानने लगी हैं कि घर का मालिक बनना एक बड़ी प्राथमिकता है। महिला बोरोअर को घर का मालिक बनने के लिए प्रोत्साहन के तौर पर लाभ भी प्रदान किए जाते हैं जिनमें होम लोन पर प्रिफेरेंशियल रेट्स तथा प्रोपर्टी रजिस्ट्रेशन पर कम चार्ज शामिल हैं।

इसके अलावा, संयुक्त होम लोन को भी प्रोत्साहित किया जाता है। महिलाओं को को-बोरोअर्स (सह-उधारकर्ताओं) के रूप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि लोन को कम दरों पर प्राप्त किया जा सके, और को-बोरोइंग परिवार के लिए कुल मिलाकर लोन की योग्यता को बढ़ाया जा सके। महिलाओं को प्राथमिक होम लोन बोरोअर्स बनने से किस प्रकार से सहायता मिलती है, इस पर यहां संक्षिप्त में विचार किया गया है।

लोन की मंजूरी की संभावनाओं को सुधारना

ऐसा साबित हुआ है कि महिलाएं समय पर और पूरी रिपेमेंट करके क्रेडिट को बेहतर मैनेज कर पाने में सफल रहती हैं। इसलिए, महिला बोरोअर या को-बोरोअर को शामिल करने से लोन प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है। अच्छी क्रेडेंशियल जैसे हाई क्रेडिट स्कोर और स्थिर आय वाले को-बोरोअर से आपकी लोन पात्रता योग्यता हो सकती है, और आपको आसानी से मंजूरी मिल सकती है। को-बोरोइंग करने से लोन के सभी को-बोरोअर्स के बीच में लोन का भुगतान करने की दायित्व भी बंट जाता है। इससे एकल बोरोअर द्वारा महसूस किए जाने वाले भार में कमी होती है और रिपेमेंट जोखिमों में भी कमी होती हैं।

कम ब्याज दरें

महिलाएं, फिर चाहें वे प्राइमरी या सेकण्डरी आवेदक ही क्यों न हों, उनको पुरुषों की तुलना में कम दरों पर होम लोन मिलता है। अधिकांश मामलों में यह फर्क 0.05 प्रतिशत (5 बेसिस प्वाइंट) से 0.1 प्रतिशत (10 बेसिस प्वाइंट) के बीच में हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी पुरुष बोरोअर को 6.75% प्रति वर्ष की दर से होम लोन ब्याज दर की ऑफर की जाती है, और यदि वह अपनी पत्नी को सह-आवेदक के रूप में शामिल करता है और सम्पत्ति का संयुक्त स्वामी बनाता है, तो दर को कम करके 6.65% प्रति वर्ष किया जा सकता है। हालांकि यह अंतर मार्जिनल है, लेकिन इससे आपको निम्न इक्वेटेड मासिक किस्तें (ईएमआई) प्राप्त करने में मदद मिलती है और लोन की पूरी अवधि के दौरान आपके ब्याज की कुल अदायगी में कमी होती है, जिससे आपके कैश फ्लो में सुधार होता है। आइये इसे एक उदाहरण से बेहतर समझते हैं।

मान लीजिए कि कोई पुरुष बोरोअर 20 वर्ष की अवधि के लिए 40 लाख रुपए का होम लोन लेता है। उसकी ईएमआई 30,415/- रुपए की होगी अगर ब्याज की दर 6.75% प्रति वर्ष है, और वह कुल 32,99,494/- रुपए के ब्याज की अदायगी करेगा। अगर किसी पात्र महिला के सह-आवेदक बनने पर, उधारदाता ब्याज दर कम करके 6.65% प्रति वर्ष कर देता है और प्रभावी ईएमआई कम होकर 30,177/- हो जाती है और इस तरह से कुल ब्याज अदायगी कम होकर 32,42,531/- रुपए हो जाती है। इसलिए महिला सह-आवेदक के कारण दीर्घकाल में लगभग 57,000/- रुपए की बचत होती है।

लंबी अवधियां

प्राइमरी आवेदक के तौर पर महिलाओं को 30 वर्ष तक की अवधि या जब तक वे 70 वर्ष की नहीं हो जाती हैं, दोनों में से जो भी पहले हो, तक रिपेमेंट अवधि दी जाती है। पुरुषों के लिए, यह 20 वर्ष या 65 वर्ष, इनमें से जो भी पहले हो, हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि पति की आयु 50 वर्ष की है जबकि पत्नी की आयु 45 वर्ष की है, तो बैंक द्वारा उन्हें केवल 15 वर्ष की रिपेमेंट अवधि का ही विकल्प दिया जाएगा, अगर केवल पति द्वारा ही लोन के लिए आवेदन किया जाता है। लेकिन, यदि वह अपनी पत्नी को सह-आवेदक और सम्पत्ति के संयुक्त आवेदक के रूप में शामिल करता है, तो उन्हें 25 वर्ष की लोन रिपेमेंट अवधि प्रदान की जाएगी।

स्टाम्प ड्यूटी फीस में छूट

किसी सम्पत्ति को लेने की कुल लागत में स्टाम्प ड्यूटी भी शामिल होती है। महिला होम बॉयर्स को आमतौर पर 1-2 प्रतिशत की स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी जाती है। इसके मायने हैं कि यदि सम्पत्ति की कीमत 40 लाख रुपए है, और वह 40,000/- से 80,000/- रुपए की राशि की बचत स्टाम्प ड्यूटी चार्जेस में कर सकती है।

टैक्स लाभ

संयुक्त होम लोन में सभी को-बोरोअर्स को ब्याज और मूल राशि के भुगतान के लिए टैक्स कटौती लाभों का दावा करने का अवसर मिलता है। आयकर अधिनियम की धारा 80 सी और 24 के अनुसार, सम्पत्ति के सह-स्वामियों के रूप में सभी को-बोरोअर्स चुकाए गई मूल राशि के लिए 1.5 लाख रुपए का टैक्स कटौती लाभ के रूप में और अदा किए गए ब्याज के लिए और 2 लाख रुपए का टैक्स कटौती लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

प्राइमरी होम लोन आवेदक के रूप में किसी महिला के लिए बड़ा लोन प्राप्त करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, सरकार प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के जरिए महिलाओं को क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है। पीएमएवाई के अनुसार, सम्पत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए परिवार की किसी महिला के नाम को शामिल करना अनिवार्य है। इसके अलावा, यदि किसी महिला द्वारा इस क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम के जरिए लोन लिया जाता है, तो वह 6% तक ब्याज सब्सिडी प्राप्त कर सकती है।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

 

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