- FM की अध्यक्षता में अवैध लोन ऐप्स से जुड़े मुद्दों पर मीटिंग में फैसला
- मंत्रालय करेगा सुनिश्चित कि सिर्फ 'व्हाइट लिस्ट' ऐप्स ही ऐप स्टोर पर हों
- मुखौटा कंपनियों की पहचान करने का भी मंत्रालय को दिया गया आदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अवैध लोन ऐप्स (Loan Apps) पर जल्द ही नकेल कसेगी। सरकार ने इसके साथ ही साफ कर दिया है कि वह कानूनी ऐप्स की एक व्हाइट लिस्ट (White List) बनाएगी, जबकि इसी लिस्ट में आने वाले ऐप्स ऐप स्टोर (App Store) पर पेश किए जाएंगे। गुरुवार (आठ सितंबर, 2022) को यह फैसला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में अवैध लोन ऐप्स से जुड़े मुद्दों पर एक उच्च स्तरीय बैठक में हुआ।
यह सूची भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) तैयार करेगा, जिसमें सभी कानूनी ऐप्स शामिल किए जाएंगे। साथ ही केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि केवल ऐसे ही 'व्हाइट लिस्ट' ऐप्स, ऐप स्टोर पर होस्ट हों।
आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को इस बाबत बताया कि बैठक में यह निर्णय हुआ कि आरबीआई 'रेंटिड' खातों की निगरानी करेगा। इनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा सकता है। इसके दुरुपयोग से बचने के लिए निष्क्रिय गैर-बैंक वित्त संस्थानों या एनबीएफसी को रद्द कर दिया जाएगा।
आरबीआई यह भी सुनिश्चित करेगा कि भुगतान एग्रीगेटर्स का रजिस्ट्रेशन एक समय सीमा के भीतर पूरा हो गया है और उसके बाद किसी भी अपंजीकृत भुगतान एग्रीगेटर को काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस बीच, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को मुखौटा कंपनियों की पहचान करने और उनके गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए उनका रजिस्ट्रेशन रद्द करने के लिए कहा गया है।
वित्त मंत्री ने मीटिंग के दौरान अवैध ऋण ऐप के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर की, जो अधिकतर समाज के कमजोर वर्गों को लोन की पेशकश करते हैं। वे इस दौरान उन्हें अधिक ब्याज दरों की पेशकश करते हैं और फिर रकम वसूली के लिए डराने-धमकाने वाले हथकंडे अपनाते हैं। उन्होंने ऐसे एग्रीगेटर्स की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और डेटा उल्लंघनों की आशंका पर भी प्रकाश डाला।
मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि ग्राहकों, बैंक कर्मचारियों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य हितधारकों के लिए साइबर जागरूकता बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। इस बैठक में वित्त सचिव, आर्थिक मामलों के सचिव, बैंकिंग सचिव के साथ-साथ कॉर्पोरेट मामलों और आईटी जैसे मंत्रालयों के सचिवों ने भाग लिया।