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PMAYU: सरकार का बड़ा फैसला, शहरों में गरीबों, प्रवासियों को मिलेंगे कम किराये में घर, देखें वीडियो

Updated Jul 09, 2020 | 09:55 IST

Pradhan Mantri Awas Yojana Urban : पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैंद्रीय कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया। शहरी प्रवासियों/गरीबों के लिए कम किराए वाले आवासीय परिसरों का निर्माण किया जाएगा।

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शहर में गरीबों और प्रवासियों को मिलेगा सस्ते में किराये पर मकान
मुख्य बातें
  • कोरना वायरस महामारी के चलते देश में बड़े स्तर पर मजदूरों या शहरी गरीबों का पलायन देखने को मिला है
  • वे शहर में झुग्गी बस्तियों और अनाधिकृत कॉलोनियों में मुश्किल में रहते हैं
  • इनके लिए सरकार कम किराए वाले आवासीय परिसरों का निर्माण करेगी

Pradhan Mantri Awas Yojana Urban : गांव से आकर शहर में काम करने वाले गरीब लोगों के लिए सरकार कम किराए वाले आवासीय परिसरों (Affordable Rental Housing Complexes) की योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत  शहरी प्रवासियों या गरीबों को सस्ते दर मे किराए पर घर मिलेंगे। यह प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत एक सब-प्लान है। जिसकी शुरुआत  आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने किया है।  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा के दौरान 14 मई, 2020 को इस स्कीम का ऐलान किया था। इस योजना को पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (PMAY-U) के अंतर्गत एक उप-योजना के रूप में मंजूरी दे दी है।

इन्हें मिलेगा सस्ते किराये का मकान

कोरना वायरस महामारी के चलते देश में बड़े स्तर पर मजदूरों या शहरी गरीबों का पलायन देखने को मिला है, जो बेहतर रोजगार के अवसरों की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों या छोटे शहरों से शहरी क्षेत्रों में आए थे। आमतौर पर, ये प्रवासी किराया बचाने के लिए झुग्गी बस्तियों, अनौपचारिक या अनाधिकृत कॉलोनियों या अर्ध शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। उन्होंने काम पर जाने के लिए अपना काफी समय सड़कों पर चलकर या साइकिल चलाकर बिताया है और खर्च बचाने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालते रहे हैं।

ये है प्लान

वर्तमान में खाली पड़े सरकार द्वारा वित्तपोषित आवासीय परिसरों को 25 साल के लिए रियायत (कन्सेशन) समझौते के माध्यम से एआरएचसी में परिवर्तित कर दिया जाएगा। कन्सेशनेर को कमरों की मरम्मत या पुराना रूप देकर और पानी, निकासी या सेप्टेज, स्वच्छता, सड़क आदि आधारभूत ढांचे से जुड़ी कमियों को दूर करके परिसरों को रहने लायक बनाना होगा। राज्यों या संघ शासित क्षेत्रों को पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से कन्सेशनेर (कंपनी) का चयन करना होगा। इन परिसरों को पहले की तरह नया चक्र शुरू करने या खुद ही चलाने के लिए 25 साल के बाद यूएलबी को लौटाना होगा।

25 साल के लिए उपलब्ध अपनी खाली जमीन पर एआरएचसी के विकास के लिए निजी या सरकारी कंपनियों को स्वीकृति का उपयोग, 50% एक्स्ट्रा एफएआर या एफएसआई, प्राथमिक क्षेत्र उधारी दर पर रियायती कर्ज, किफायती आवास से जुड़ी कर राहत आदि विशेष प्रोत्साहनों की पेशकश की जाएगी। एआरएचसी के अंतर्गत विनिर्माण उद्योगों, आतिथ्य सेवा, स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा प्रदाताओं, घरेलू या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और निर्माण या अन्य क्षेत्रों में लगे अधिकांश कार्यबल, कामगार, विद्यार्थी आदि लक्षित लाभार्थी होंगे, जो ग्रामीण क्षेत्रों या छोटे शहरों से आते हैं और बेहतर अवसरों की तलाश में हैं।

शुरुआत में 3 लाख लोगों को होगा फायदा 

तकनीक इनोवेशन अनुदान के रूप में इस पर 600 करोड़ रुपए की धनराशि का व्यय होने का अनुमान है, जो निर्माण के लिए चिन्हित इनोवेशन टैक्नोलॉजी का उपयोग करने वाली परियोजनाओं के लिए जारी की जाएगी। एआरएचसी के अंतर्गत शुरुआती तौर पर करीब तीन लाख लाभार्थियों को कवर किया जाएगा। एआरएचसी से शहरी क्षेत्रों में कार्यस्थल के नजदीक सस्ते किराए वाले आवासों की उपलब्धता के अनुकूल एक नया इकोसिस्टम तैयार होगा। एआरएचसी के अंतर्गत निवेश से रोजगार के नए अवसर पैदा होने का अनुमान है। एआरएचसी से अनावश्यक यात्रा, भीड़भाड़ और प्रदूषण में कमी आएगी।

सरकार द्वारा वित्तपोषित खाली पड़े आवासों को किफायती उत्पादक उपयोग के लिए एआरएचसी में कवर किया जाएगा। इस योजना से अपनी खाली पड़ी जमीन पर एआरएचसी के विकास करने की दिशाओं में इकाइयों के लिए अनुकूल माहौल तैयार होगा और किराए वाले आवासीय क्षेत्र में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन मिलेगा।

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