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रिकॉर्ड महंगाई-कमजोर रूपया- बढ़ती बेरोजागरी-महंगा कर्ज, किस ओर जा रही है इकोनॉमी

Updated May 18, 2022 | 20:31 IST

Indian Economy: S&P द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती महंगाई, लंबे खिंचते रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन में कोरोना के मामले ने संकट बढ़ा दिया है। जिसका असर ग्रोथ रेट पर दिखने की आशंका है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
क्या बिगड़ रही है इकोनॉमी की सेहत !
मुख्य बातें
  • S&P , विश्व बैंक, आरबीआई, IMF ने 2022-23 के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया।
  • अप्रैल में रिटेल महंगाई दर ने आठ साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
  • बेरोजगारी दर मार्च के 7.57 फीसदी के मुकाबले अप्रैल में बढ़कर 7.83 फीसदी हो गई है।

Indian Economy:अभी कोविड-19 के खत्म होने के बाद इकोनॉमी के रिकवर होने की उम्मीद जगी थी, लेकिन बढ़ती महंगाई, कमजोर रूपये ने फिर मुश्किलें बढ़ा दी है। और रही सही कसर IIP ने पूरी कर दी है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि इकोनॉमी किस दिशा में जाएगी। और इसका संकेत S&P के ताजा रिपोर्ट ने दे दिया है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2022-23 में भारत की जीडीपी ग्रोथ पिछले अनुमान से करीब 0.50 फीसदी घट सकती है। एजेंसी ने अब 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.3 फीसदी रहने की बात कही है। जबकि पहले उसने 7.8 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था।

इन्होंने भी घटाया अनुमान

S&P द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती महंगाई, लंबे खिंचते रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन में कोरोना के मामले ने संकट बढ़ा दिया है। जिसका असर ग्रोथ रेट पर दिखने की आशंका है। इसी तरह अप्रैल में विश्व बैंक ने भारत के GDP ग्रोथ के अनुमान को 8.7 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया। इसके अलावा IMF ने ग्रोथ रेट 9 फीसदी से घटाकर 8.2 फीसदी और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB)ने 2022-23 के लिए 7.5 फीसदी कर दिया है। जबकि खुद भारतीय रिजर्व बैंक ने 7.8 फीसदी की जगह GDP ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी कर दिया है।

अब सवाल उठता है कि सभी एजेंसियां क्यों ग्रोथ रेट में कमी की आशंका जता रही है। तो उसकी सीधी वजह घरेलू स्तर पर बढ़ती महंगाई, कमजोर रूपया और औद्योगिक उत्पादन में उम्मीद के अनुसार बढ़ोतरी होना है। 

महंगाई ने बनाया रिकॉर्ड

अगर महंगाई की बात की जाय तो अप्रैल में रिटेल महंगाई दर ने आठ साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अप्रैल में रिटेल महंगाई दर 7.79 फीसदी पर रही थी। इसी तरह खुदरा महंगाई दर भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल के महीने में वह 15.1 फीसदी पर पहुंच गई। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें, सब्जियों , खाद्य तेल, कपड़ो सहित सभी अहम चीजों के बढ़ते दाम ने कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। जिसका असर लोगों की जेब पर सीधे तौर पर हो रहा है।

फिर बढ़ने लगी बेरोजगारी

कोरोना में रिकॉर्ड बेरोजगारी के बाद रिकवर होते रोजगार की स्थिति में एक बार फिर ब्रेक लगता दिखाई दे रहा है। CMIE के ताजा आंकड़ों के अनुसार मई 2021 में जो बेरोजगारी दर 11.84 फीसदी पर पहुंच गई थी। वह जनवरी 2022 आते-आते 6.56 फीसदी पर आ गई थी। लेकिन एक बार फिर उसमें बढ़ोतरी दिख रही है। मार्च में यह 7.57 फीसदी तो अप्रैल में यह 7.83 फीसदी हो गई है।

कमजोर रूपया

रूपया लगातार गिरावट का रिकॉर्ड बना रहा है। पहले वह मार्च में  डॉलर के मुकाबले 76.98 फीसदी के रिकॉर्ड गिरावट पर पहुंच गया था। लेकिन उसके बाद गिरते हुए उसने पहली बार 77 का आंकड़ा भी छू लिया और 9 मई को वह ऐतिहासिक गिरावट के साथ 77.42 के स्तर पर पहुंच गया। लेकिन आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बावजूद रूपया मजबूत नहीं हो रहा है। और वह फिर 17 मई को 77.69 के स्तर पर पहुंच गया। यानी गिरावट का एक और रिकॉर्ड बन गया। जाहिर है कि अब इसका असर महंगे कर्ज के रूप में दिख रहा है। और उसकी सीधा मांग में कमी के रूप में आएगा।

औद्योगिक उत्पादन भी कमजोर

इसी तरह मार्च में IIP के आंकड़े भी उम्मीदों भरे नहीं रहे। उसमें फरवरी के मुकाबले ज्यादा ग्रोथ नहीं दिखी है। मार्च में आईआईपी 1.9 फीसदी रहा है। जबकि फरवरी में यह 1.5 फीसदी रहा था। उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं होने की बड़ी वजह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का खराब प्रदर्शन रहा। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में केवल 0.9 फीसदी ग्रोथ दर्ज की गई। अब जब आरबीआई ने महंगाई को रोकने के लिए कर्ज महंगा करना शुरू कर दिया है तो उसका आने वाले महीने में ओद्योगिक उत्पादन पर जरूर पड़ेगा। आरबीआई 0.40 फीसदी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है।

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