- अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर है।
- दुनिया में मंदी छाने का डर सता रहा है। इसलिए निवेशक दुूनिया के शेयर बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं।
- कमजोर रूपया भारत के आयात बिल को बढ़ाएगा।
Rupee All Time low:रुपया अपने ऑलटाइम लो पर पहुंच गया है। मंगलवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 7 पैसे की गिरावट के साथ अब तक के सबसे निचले स्तर 80.05 पर पहुंच गया है। रुपये में लगातार हो रही गिरावट मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गया है। क्योंकि जितना ही रुपया कमजोर होगा, उतना ही देश का आयात बिल बढ़ेगा। और भारत का व्यापार घाटा बढ़ेगा। ऐसा इसलिए है ,क्योंकि भारत निर्यात के मुकाबले आयात ज्यादा करता है। और गिरते रूपये ने विपक्ष को मोदी सरकार पर हमले करना का मौका दे दिया है।
विपक्ष का तंज, मोदी खेल रहे हैं 80,90 पूरे 100
लगातार गिरते रुपये पर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए 15 जुलाई को कहा था 'वह 80,90 पूरे 100 करने पर आमदा है।'यानी जिस तरह रुपया लगातार गिर रहा है, उससे यह 90 और 100 का भी आंकड़ा छू लेगा। इसके पहले जुलाई 2014 में डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत 59.74 रुपये थी। अब सवाल उठता है कि रुपये इतना कमजोर क्यों हो रहा है और उसकी कीमत कैसे तय होती है।
क्यों गिर रहा है रूपया
रुपये में लगातार गिरावट की सबसे बड़ी वजह, दुनिया में मची उथल-पुथल है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है। युद्ध शुरू होने के बाद कच्चे तेल की कीमतें (ब्रेंट क्रूड) 100 डॉलर से 123 डॉलर प्रति बैरल के बीच बनी हुई हैं। इसके अलावा अनाज की आपूर्ति पर भी असर हुआ है। इस कारण पूरी दुनिया में महंगाई है। अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर है। जिस पर लगाम लगाने के लिए फेड रिजर्व लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। और बीते जून को उसने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी। जो कि पिछले 28 साल में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी। इसका असर यह हो रहा है कि दुनिया के निवेशकों में मंदी का डर सता रहा है। और वह उभरती अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी निकाल कर सुरक्षित जगहों पर निवेश कर रहे हैं। इसी कड़ी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने चालू वित्त वर्ष में अब तक भारतीय इक्विटी बाजारों से लगभग 14 अरब डॉलर की निकासी कर दी है।
Rupee vs Dollar: ऐतिहासिक स्तर पर फिसला रुपया, क्यों आ रही है गिरावट और क्या होगा इसका असर?
कैसे तय होती रूपये की कीमत
मुद्रा की कीमत तय होने की व्यवस्था पूरी तरह से मांग आधारित है। यानी जिस मुद्रा की मांग ज्यादा होगी, वह दूसरी मुद्रा के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत होगी। और उसकी कीमत एक्सचेंज रेट पर तय होती है। जो हर समय बदलता रहता है। चूंकि दुनिया में कारोबार का बड़ा हिस्सा डॉलर में होता है, इसलिए मनी मार्केट में उसकी हमेशा मांग रहती है। और उसी आधार पर बाजार में रूपये की भी कीमत तय होती है। और इस समय जब निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, और हमारी आयात बिल बढ़ रहा है, तो उसका सीधा असर रूपये की कमजोरी में दिखेगा।