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Sweep-in FD vs FD Overdraft: इनमें से कौन है बेहतर और क्यों?

Reported by टाइम्स नाउ डिजिटल
Updated Aug 18, 2021 | 19:38 IST

स्वीप-इन एफडी और एफडी ओवरड्राफ्ट दो ऐसे प्रोडक्ट हैं, जिसमें आप अपनी एफडी तोड़े बिना अपनी पैसे की जरूरत को तत्काल पूरा कर सकते हैं। लेकिन दोनों में अंतर समझिए।

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फिक्स्ड डिपोजिट (तस्वीर-istock)
मुख्य बातें
  • एफडी ओवरड्राफ्ट में अपनी एफडी पर मिलने वाले ब्याज से करीब 1% से 2% अधिक ब्याज देना पड़ता है।
  • स्वीप-इन एफडी में सिर्फ इस्तेमाल की गई राशि पर ब्याज देना होगा।

आपके सामने अक्सर ऐसी स्थिति आ सकती है जब आपको अस्थायी तौर पर पैसों की जरुरत पड़ती है लेकिन आप इसके लिए कर्ज नहीं लेना चाहते हैं। अगर आपने फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed deposit) के रूप में पैसा रखा है, तो आप जरुरत के वक्त आवश्यक राशि जुटाने के लिए इस पर विचार कर सकते हैं क्योंकि इसमें आमतौर पर पर्सनल या बिजनेस लोन की तुलना में कम ब्याज दर लगता है। एक तरीका तो यह है कि आप अपनी जरुरत पूरी करने के लिए उस एफडी को तोड़ दें, लेकिन चूंकि आपकी जरुरत कुछ समय के लिए है तो हो सकता है कि आप लॉक-इन के दौरान मिलने वाले ब्याज दर का त्याग न करना चाहें और अपनी एफडी स्कीम को जोखिम में न डालना चाहें। तो, ऐसी स्थिति में आपके पास और क्या विकल्प हो सकता है?

स्वीप-इन एफडी (Sweep-in FD) और एफडी ओवरड्राफ्ट (FD Overdraft) दो ऐसे प्रोडक्ट हैं, जिसमें आप अपनी एफडी तोड़े बिना अपनी पैसे की जरूरत को तत्काल पूरा कर सकते हैं। लेकिन दोनों प्रोडक्ट के अपने फायदे और नुकसान हैं, और उनके बारे में जानने से आपको अपने लिए सही चयन करने में मदद मिल सकती है।

स्वीप-इन एफडी क्या है?

आपको अक्सर अपने बचत या चालू खातों में सरप्लस फंड मिल सकता है, जिसके लिए आमतौर पर आपके जमा किए गए फंड पर शून्य या कम ब्याज राशि मिलती है। अधिक ब्याज दर प्राप्त करने के लिए, आप अपने बैंक खाते में स्वीप-इन एफडी का विकल्प चुन सकते हैं। इस विकल्प के तहत, आपको अपने बैंक को स्थायी निर्देश देना होगा कि जब भी आपके खाते में बैलेंस आपके द्वारा निर्धारित सीमा को पार कर जाए, तो वह अतिरिक्त धनराशि स्वतः ही एफडी में परिवर्तित हो जाए। ऐसे डिपॉजिट पर ब्याज की दर इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कितनी अवधि के लिए निवेश किया है लेकिन यह आमतौर पर बचत खाते में मिलने वाली ब्याज दर से अधिक होता है। स्वीप-इन एफडी की अवधि एक साल से लेकर 5 साल तक होती है। जब भी आप अपने बचत/चालू खाते में मौजूद बैलेंस से ज्यादा राशि निकालते हैं, तो वह अतिरिक्त राशि पूरी एफडी को प्रभावित किए बिना ही आपके स्वीप-इन एफडी से आपके बचत/चालू खाते में चली जाती है।

एफडी ओवरड्राफ्ट क्या है?

इस सुविधा के तहत बैंक द्वारा आपके एफडी पर लियन (ग्रहणाधिकार) लगाकर ओवरड्राफ्ट बनाने की अनुमति दी जाती है। बैंक आमतौर पर आपके एफडी के मूल्य के 90% तक ओवरड्राफ्ट की अनुमति देते हैं। एफडी ओवरड्राफ्ट पर लगने वाला ब्याज आपके एफडी पर मिलने वाली ब्याज दर से लगभग 1% से 2% अधिक होता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि एफडी की ब्याज दर 6% प्रति वर्ष है। ऐसे में बैंक द्वारा ओडी की सुविधा पर लगभग 7% से 8% ब्याज वसूला जा सकता है। एफडी ओवरड्राफ्ट पर ब्याज की गणना दैनिक आधार पर की जाती है। इसका अर्थ है कि अगर आप दस दिनों के लिए ओडी से पैसा निकालते हैं, तो बैंक आपसे केवल दस दिनों का ब्याज लेगा और आपको एफडी की पूरी राशि पर पहले से तय दर पर ब्याज मिलता रहेगा।

ब्याज दर की दृष्टि से दोनों में से कौन सा विकल्प अधिक फायदेमंद है?

एफडी ओवरड्राफ्ट में, आपको अपनी एफडी पर मिलने वाले ब्याज से लगभग 1% से 2% अधिक ब्याज देना पड़ता है। वहीं, स्वीप-इन एफडी में, आपको सिर्फ इस्तेमाल की गई राशि पर ब्याज देना होगा जो कि उस अवधि के लिए एफडी पर लागू ब्याज के बराबर होता है, यानी आपको कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना है। बाद में, आप फिर से वह राशि जमा कर सकते हैं और वांछित अवधि तक अपना निवेश बनाए रखकर ब्याज पाना जारी रख सकते हैं। एफडी ओवरड्राफ्ट उन निवेशकों के लिए फायदेमंद है जो आकर्षक ब्याज दर की पेशकश पर एकमुश्त निवेश करना चाहते हैं। स्वीप-इन एफडी उन निवेशकों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास प्रायः थोड़े समय के लिए बड़ी रकम रहती है।

इनमें से कौन सा विकल्प ज्यादा बचत करने के लिए प्रोत्साहित करता है?

एफडी के खिलाफ हासिल ओवरड्राफ्ट में आपको अपनी एफडी तोड़े बिना अस्थायी तौर पर पैसे की जरूरत पूरी करने की सुविधा मिलती है। दूसरी ओर, स्वीप-इन एफडी का विकल्प आपको अपने बैंक खाते में अधिक धनराशि जमा करने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि आप उस पर अधिक रिटर्न हासिल कर सकें। संक्षेप में, स्वीप-इन एफडी का विकल्प नई बचत के लिए प्रोत्साहित करता है, जबकि एफडी के खिलाफ हासिल ओवरड्राफ्ट में आपकी मौजूदा बचत सुरक्षित रहती है।

आपको इन दोनों में कौन सा विकल्प चुनना चाहिए?

एफडी पर हासिल ओवरड्राफ्ट एक आसान प्रोडक्ट है जिसे अधिकांश निवेशक सरलता से समझ सकते हैं। इसमें यूजर को चाहिए कि वह इस्तेमाल की गई राशि जल्द से जल्द वापस लौटा दे ताकि मिलने वाले ब्याज का नुकसान न हो। दूसरी ओर, स्वीप-इन एफडी को समझना कुछ निवेशकों के लिए थोड़ा जटिल हो सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख नीतिगत दरों में बदलाव के साथ स्वीप-इन एफडी पर मिलने वाले ब्याज के स्लैब में भी परिवर्तन हो सकता है। आपके लिए यह समझना भी थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि जब आप अपने स्वीप-इन एफडी से कई बार पैसे निकालते और जमा करते हैं, तो इस पर ब्याज की गणना कैसे की जाती है।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

 

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