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रसोई का बजट बिगड़ा! 15 फीसदी से भी ज्यादा महंगी हो गई हैं ये दालें

Updated Aug 10, 2022 | 10:22 IST

अरहर दाल और उड़द दाल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, वहीं मसूर की कीमत पर उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली है। आयातित साबुत मसूर की कीमत 29 जून को 71.50 रुपये प्रति किलोग्राम से 8 अगस्त को घटकर 67 रुपये हो गई है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों का बिगड़ा बजट! महंगी हो गई हैं ये दालें
मुख्य बातें
  • गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों का बजट बिगड़ रहा है।
  • आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
  • मसूर दाल की कीमत पिछले एक साल से ज्यादा थी।

नई दिल्ली। आए दिन खाना बनाना महंगा होता जा रहा है। पहले खाद्य तेल (Edible Oil Price) और रसोई गैस सिलेंडर (LPG Cylinder) की कीमत ने जनता को परेशान किया था, अब रसोई का बजट फिर से बिगड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले छह हफ्तों में उड़द (Urad Dal price) और अरहर दाल की कीमत (Tur dal Price) में 15 फीसदी से भी ज्यादा की वृद्धि देखी गई है। दरअसल मौजूदा खरीफ सीजन में रकबे में मामूली गिरावट आई है और वॉटर लॉगिगग की वजह से फसल के नुकसान की चिंता बढ़ रही है।

115 रुपये में मिलरही है अरहर दाल
महाराष्ट्र के लातूर में अरहर दाल की कीमत बढ़कर 115 रुपये तक पहुंच गई है। जबकि छह हफ्ते पहले इसका दाम 97 रुपये था। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, एक साल पहले की तुलना में अरहर का रकबा 4.6 फीसदी कम था, जबकि उड़द का रकबा 2 फीसदी कम था। अरहर दाल उगाने वाले क्षेत्रों में लगातार बारिश और इसके परिणामस्वरूप वॉटरलॉगिंग ने फसल के नुकसान की चिंता जताई है।

आयात बढ़ने की उम्मीद
महाराष्ट्र में दालों के आयातक हर्षा राय ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि, 'वर्तमान में तुअर में फंडामेंटल मजबूत हैं। कोई बड़ा कैरी ओवर स्टॉक नहीं है, जबकि सोयाबीन की ओर किसानों के रुझान के कारण अरहर की बुवाई कम हो गई है।' उन्होंने कहा कि वे अफ्रीका से 5,00,000 टन की खेप की उम्मीद कर रहे हैं, जो अगस्त या सितंबर तक आएगी। भारी बारिश से उड़द की फसल को अधिक नुकसान होने की आशंका है, हालांकि आपूर्ति की स्थिति दबाव में नहीं आ सकता है क्योंकि आयात बढ़ने की उम्मीद है।

4 पी इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक बी कृष्णमूर्ति ने कहा कि, 'हालांकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में उड़द की फसल को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े उत्पादक मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फसल अच्छी स्थिति में है।' उनका मानना ​​है कि बारिश के नुकसान के बावजूद, उड़द की कीमतें कम रहने की संभावना है क्योंकि म्यांमार से आयात बढ़ने की उम्मीद है। भारत को पिछले चार महीनों के दौरान म्यांमार से ज्यादा उड़द नहीं मिली, जिससे मासिक उड़द आयात 50 फीसदी से ज्यादा कम हो गया। अब करंसी का मुद्दा म्यांमार के निर्यातकों के लिए अनुकूल हो गया है, जिससे हमें म्यांमार से अधिक उड़द आयात करने में मदद मिलेगी।

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