- कार्यक्रम में अलग-अलग सेक्टर्स के दिग्गजों ने चर्चा की।
- यह इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव का 8वां संस्करण है।
- इस कार्यक्रम की थीम 'द ग्रेट इंडियन डेमोक्रेटिक डिविडेंड' है।
IEC 2022: टाइम्स नेटवर्क के अहम कार्यक्रम इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में देश और दुनिया के अलग-अलग सेक्टर्स के दिग्गज शामिल हुए। इस कार्यक्रम में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर और शिकागो बूथ में विशिष्ट सर्विस प्रोफेसर ऑफ फाइनेंस रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने टाइम्स नेटवर्क के एमडी और सीईओ एमके आनंद से 'डेमोक्रेसी: द इंडियन ग्रोथ एडवांटेज' विषय पर चर्चा की।
इस दौरान उन्होंने कहा कि लोकतंत्र हमेशा आसान नहीं होता है, इसे नेविगेशन की आवश्यकता होती है। इसके सभी पक्षों से बातचीत और जरूरत पड़ने पर बदलाव की कवायद करनी पड़ती है। ऐसा कर बड़ी संख्या में लोगों पर असर डाला जा सकता है। रूस और चीन का उदाहरण देखिए, वहां चेक और बैलेंस नहीं होने से नुकसान उठाना पड़ा है। रूस, युद्ध की वजह से बहुत पीछे चला गया है। जबकि वहां का एक बड़ा तबका युद्ध का विरोध कर रहा है। इसी तरह शी-जिनपिंग को कोविड बाद की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
ठीक इसी तरह हमारे यहां डिमोनेटाइजेशन और दूसरे झटका देने वाले फैसले हैं, जहां ज्यादा पारदर्शिता की जरूरत थी। इसी कड़ी में उन्होंने तीन कृषि कानूनों पर कहा कि 'मुझे लगता है कि कृषि कानूनों में कुछ अच्छे प्रावधान थे, लेकिन यह सेंट्रलाइज्ड थे और विभिन्न राज्यों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर रहे थे।' भारत के कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ मुझे बताते हैं कि इसे और बेहतर तरीके से बनाया जा सकता था, खासकर अगर इसके बड़े प्रावधानों को राज्यों के लिए डीसेंट्रलाइज्ड किया गया होता, जिससे यह पता लगाया जा सकता था कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है। एमएसपी पर ज्यादातर किसान भरोसा करते हैं। इसलिए आप इसे बिना किसी पर्याप्त विकल्प के हटाने की धमकी नहीं दे सकते। इसी तरह अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर रघुराम राजन ने कहा कि, 'अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार एक बुरी तस्वीर पेश करता है, हो सकता है कि निवेशक आपको एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में न देखें।'
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भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग का कौन सा मॉडल सही
देखिए मेरा मानना है कि हमें सारे अंडे एक ही टोकरी में नहीं रखने चाहिए। चीन की मैन्युफैक्चरिंग मॉडल को समझा जाय तो उन्हें श्रम को जबरदस्ती सस्ता किया और ब्याज दरो को बेहद कम कर पूंजी सस्ती कर दी। इन्हीं तरीकों से चीन का विकास हुआ है। जब आप ज्यादा जमीन लेते हैं, तो इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत आसान होता है और वहां कोई सवाल नहीं पूछा जाता है। इसलिए वे अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में सक्षम हैं। चीन और विएतनाम में भारत की तरह वाइब्रेंट लोकतंत्र नहीं है।
हम सभी ने चीन की हाई स्पीड रेल नेटवर्क, आदि की कहानियां सुनी हैं। लेकिन हम मुंबई और अहमदाबाद में इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं और शुरू में हमने जितना हिसाब लगाया था, अब उससे कहीं ज्यादा समय लग रहा है। इसलिए हमें उन मॉडल को देखना चाहिए जो हम अपने लोकतंत्र में बेहतर कर सकते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि मैन्युफैक्चरिंग के साथ हम सर्विस सेक्टर में बहुत अच्छा कर सकते हैं। भारत आईटी, टेलीमेडिसिन सहित दूसरे सर्विस सेक्टर में बहुत अच्छा कर सकता है।