- जीएमसीएच के फर्स्ट ईयर मेडिकल स्टूडेंट्स को मिली जिम्मेदारी
- हर छात्र रखेगा गांव के पांच परिवारों के स्वास्थ्य का ध्यान
- ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए यह शुरू हुआ यह कार्यक्रम
Chandigarh News: चंडीगढ़ का एक सामान्य सा गांव खुड्डा अलीशेर अब खास बन गया है। इसके खास बनने का कारण है जीएमसीएच-32। दरअसल जीएमसीएच के फर्स्ट ईयर मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस गांव को गोद ले लिया है। फर्स्ट ईयर का हर एक छात्र अब इस गांव के कम से कम पांच परिवारों के स्वास्थ्य की देखभाल करेगा। यह क्रम साल दर साल जारी रहेगा। जो भी छात्र जीएमसीएच के फर्स्ट ईयर में दाखिला लेगा, उसे भी कम से कम पांच परिवारों को गोद लेना होगा। परिवार गोद लेने का यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए शुरू किया गया है।
जीएमसीएच-32 की डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. जसबिंदर कौर ने इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि, इस समय एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में 150 स्टूडेंट्स हैं। सभी स्टूडेंट को गांव खुड्डा अलीशेर के पांच-पांच परिवारों के स्वास्थ्य की देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है। ये सभी 150 स्टूडेंट्स अगले साढ़े तीन साल तक इन परिवारों का ध्यान रखेंगे। डॉ. जसबिंदर कौर ने बताया कि, इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए अगले साल एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में दाखिला लेने वाले छात्रों को भी इन परिवारों की जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि अगले पांच साल के अंदर गांव के हर परिवार को गोद लेकर यहां की स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाया जाए। इसके लिए छात्रों के चार बैच बनाए जाएंगे।
जीएमसीएच-32 की तरफ से लगाया गया गांव में कैंप
जीएमसीएच-32 की इस योजना की जानकारी देने के लिए खुड्डा अलीशेर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें ज्वाइंट डायरेक्टर जसबीर सिंह भी पहुंचे। डॉ. जसबिंदर कौर ने बताया कि, योजना के तहत पहले दिन ही गांव में कैंप लगाकर ईएनटी, आर्थोपेडिक्स, आब्सटेट्रिक्स, सर्जरी, डेंटल, गाइनोकॉलाजी, साइकेट्रिक, डर्मेटोलॉजी, आप्थल्मोलॉजी, मेडिसिन, चेस्ट, टीबी, बायोकेमिस्ट्री और पीडियाट्रिक के डाक्टरों ने 500 ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच की। साथ ही बायोकेमिकल जांच के दौरान भी 200 मरीजों को देखा गया।