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खुलासाः 'मृत बेटे का अंतिम संस्कार करने गया तो टीम से निकाल दिया, नस्लवाद के कारण आत्महत्या करने वाला था'

Updated Sep 03, 2020 | 17:47 IST

Azeem Rafiq reveals facing racism: इंग्लैंड के युवा क्रिकेटर अजीम रफीक ने खुलकर बोलते हुए चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इस क्रिकेटर ने नस्लवाद के अलावा कई और गंभीर आरोप लगाए हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
अजीम रफीक।
मुख्य बातें
  • इंग्लैंड के युवा क्रिकेटर ने किया सनसनीखेज खुलासा
  • आत्महत्या करने की दहलीज पर पहुंचा था, नस्लवाद का शिकार होने का दावा
  • मृत बेटे का अंतिम संस्कार करने गया तो टीम से रिलीज कर दिया

हाल ही में पूरी दुनिया में नस्लवाद को लेकर तब शोर उठा जब अमेरिका के अश्वेत नागरिक फ्लॉयड को पुलिस वालों की बर्बरता के कारण जान गंवानी पड़ी। अमेरिका और कई यूरोपीय देशों से नस्लवाद की खबरें आती रही हैं और खासतौर पर खेल जगत में इससे जुड़े बड़े खुलासे कई बार हुए हैं। ताजा मामला भी इंग्लैंड क्रिकेट से जुड़ा है। इंग्लैंड के पूर्व अंडर-19 कप्तान अजीम रफीक ने दावा किया है कि जब वो काउंटी टीम यॉर्कशर में थे तो नस्लवाद के कारण वो आत्महत्या करने के बारे में भी सोचने लगे थे। इसके अलावा उन्होंने विस्तार से कुछ ऐसी बातें बताईं जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर सनसनी मच गई है। उन्होंने कुछ दिन पहले सुशांत सिंह राजपूत को लेकर भी ट्वीट करके दुख जताया था।

अजीम रफीक ने क्लब पर संस्थागत रूप से नस्लवादी होने का आरोप लगाया। कराची में जन्में इस ऑफ स्पिनर ने क्लब में कप्तानी की जिम्मेदारी भी संभाली। उन्होंने कहा कि उन्हें बाहरी व्यक्ति (आउटसाइडर) जैसा लगता था और 2016 से 2018 के बीच खेलने के दौरान जब उन्होंने नस्ली व्यवहार की शिकायत की तो उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया जिसके बाद उनका मानवता से भरोसा ही उठ गया।

मैं अंदर से मर रहा था, हर दिन दर्द में था, आत्महत्या करना चाहता था

युवा क्रिकेटर रफीक ने ‘ईएसपीएनक्रिकइंफो’ से कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि मैं यार्कशर में अपने खेलने के दिनों के दौरान आत्महत्या करने के कितने करीब था। मैं अपने परिवार के ‘पेशेवर क्रिकेटर’ के सपने को साकार कर रहा था लेकिन अंदर से मैं मर रहा था। मैं काम पर जाते हुए डरता था। मैं हर दिन दर्द में रहता था।’’ उन्होंने साथ ही क्लब में ‘संस्थागत नस्लवाद’ का दावा किया जिसने अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। इस 29 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘‘स्टाफ में कोई कोच नहीं था जो इस बात को समझ सकता कि यह कैसा महसूस होता है।’’

क्लब संस्थागत नस्लवादी है

रफीक ने कहा, ‘‘जो परवाह करता है, यह किसी के लिये भी स्पष्ट है कि इसमें समस्या है। क्या मैं सोचता हूं कि वहां संस्थागत नस्लवाद होता था? मेरी राय में यह तब शिखर पर थी। यह पहले से कहीं ज्यादा बदतर थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि क्लब संस्थागत नस्लवादी है और मुझे नहीं लगता कि वे इस तथ्य को स्वीकारने के लिये तैयार हैं या फिर इसमें बदलाव के इच्छुक हैं।’’ क्लब के बोर्ड के एक सदस्य ने रफीक से बात की और इस मामले में रिपोर्ट दायर की जायेगी। रफीक ने कहा, ‘‘किसी ने मुझे एक हफ्ते पहले फोन किया। यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया कि हमारे बीच की बातचीत दोस्त की तरह है और यह अधिकारिक वार्ता नहीं है। अब ऐसा लगता है कि यह दिखाने का प्रयास था कि वे कुछ कर रहे हैं। ईमानदारी से कहूं तो मैं काफी गुमराह महसूस कर रहा हूं।’’ रफीक ने कुछ वाकयों का भी जिक्र किया जिसमें क्लब नस्लवादी बर्ताव के खिलाफ कोई कदम उठाने में नाकाम रहा।

मृत बेटे का हवाला देकर क्लब से बाहर किया

उन्होंने यह भी दावा किया कि यॉर्कशर क्रिकेट क्लब ने उनके मृत पैदा हुए बेटे की मौत का हवाला देते हुए उन्हें क्लब से रिलीज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने (मृत पैदा हुए) बेटे को अस्पताल से सीधा अंतिम संस्कार के लिये ले गया। यार्कशर ने मुझे कहा कि वे पेशेवर और व्यक्तिगत तौर पर मेरी देखभाल करेंगे। लेकिन मुझे सिर्फ एक छोटा सा ईमेल मिला। मुझे कहा गया कि मुझे रिलीज कर दिया गया है। मुझे लगता है कि इसे सचमुच मेरे खिलाफ लिया गया। यह जिस तरह से किया गया, वह भयावह है।’’

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या पर जताया था दुख, ट्विटर पर भी मिला भारी समर्थन

अजीम रफीक का ये खुलासा सोशल मीडिया पर पहुंचा तो तमाम दिग्गज उनके समर्थन में आगे आ गए। इसके अलावा कुछ दिन पहले उन्होंने भारतीय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु पर भी शोक जताते हुए ट्वीट किया था जिसके बाद तमाम भारतीय फैंस भी उनके साथ जुड़ते नजर आए। ये हैं कुछ ट्वीट्स जो सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में सामने आए हैं।

अजीम रफीक क्रिकेट जगत में कोई पहले खिलाड़ी नहीं है जिनको नस्लवाद का सामना करना पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इसको लेकर कड़े नियम भी बनाए हैं और हाल में इंग्लैंड-वेस्टइंडीज क्रिकेट सीरीज भी इसको रोकने के मकसद के साथ खेली गई थी। खिलाड़ियों ने मैदान पर घुटने के बल बैठकर नस्लवाद का विरोध किया था लेकिन अब भी खासतौर पर इंग्लैंड खेल जगत में नस्लवाद का वार जारी है।

आने वाले दिनों में आईसीसी की जांच समिति को इस पर ध्यान देते हुए इसे खत्म करने की जरूरत है। युवा खिलाड़ियों के साथ अगर ऐसा होता रहेगा तो आने वाले दिनों में यूरोपीय क्रिकेट की तरफ शायद ही कोई खिलाड़ी जाना चाहेगा।

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