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विनोद कांबली: क्रिकेट का 'अगासी' बनने के चक्कर में खत्म हो गया प्रतिभाशाली क्रिकेटर का करियर

Updated Jan 18, 2021 | 07:00 IST

Vinod Kambli: विनोद कांबली आज अपना 49वां जन्‍मदिन मना रहे हैं। विनोद कांबली को बहुत प्रतिभाशाली बल्‍लेबाज माना जाता था, लेकिन उनकी प्रतिभा की कद्र नहीं की गई।

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विनोद कांबली
मुख्य बातें
  • पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली अपना 49वां जन्‍मदिन मना रहे हैं
  • विनोद कांबली भारत के लिए 17 टेस्‍ट और 104 वनडे खेल सके
  • कांबली का ताल्‍लुक आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से रहा, लेकिन उन्‍होंने काफी शोहरत हासिल की

मुंबई: टीम इंडिया के पूर्व प्रतिभाशाली बल्‍लेबाज विनोद कांबली आज अपना 49वां जन्‍मदिन मना रहे हैं। विनोद कांबली अपने जमाने में काफी प्रतिभाशाली बल्‍लेबाज माने जाते थे। यह कहना गलत नहीं होगा कि कांबली एक समय महान सचिन तेंदुलकर से ज्‍यादा लोकप्रियता हासिल कर चुके थे। हालांकि, महान टेनिस खिलाड़ी आंद्रे अगासी जैसे अपनी शख्सियत बनाने के चक्‍कर में विनोद कांबली का करियर बर्बाद होने लगा। अगासी 90 के दशक में अपने चरम पर थे, तब उन्‍होंने लंबे बाल, कान की बाली पहनना शुरू की थी। कांबली ने भी अपनी लाइफस्‍टाइल ऐसी ही की थी, लेकिन अगासी के समान वह अपने खेल में चरम पर नहीं बने रहे।

सचिन तेंदुलकर जब कप्‍तान बने तो उन्‍होंने कांबली से दोस्‍ती निभाते हुए उनको कुछ मौके भी दिलाएं। मगर बाएं हाथ के बल्‍लेबाज कभी मिले मौकों का फायदा नहीं उठा सके और उनका करियर अर्श से फर्श पर आ गया। कांबली, जिन्‍हें प्रतिभाशाली क्रिकेटर माना जाता था, वो कहीं उजियारे में खो गया। आज उनके जन्‍मदिन के मौके पर हम आपको उनके कुछ रोचक तथ्‍य बताने जा रहे हैं।

विनोद कांबली के बारे में रोचक तथ्‍य

  1. चॉल से निकला स्‍टार - विनोद कांबली का जन्‍म आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ, जो कंजुरमर्ग की चॉल में रहता था। उनके पिता गणपत मैकेनिक थे, जो परिवार में सात लोगों का ख्‍याल रखते थे। युवा विनोद कांबली को अपनी किट लेकर लोकल ट्रेन में कंजुरमर्ग से शिवाजी पार्क तक अभ्‍यास के लिए जाना होता था। कांबली के पिता भी मुंबई के क्‍लब स्‍तर पर क्रिकेट खिलाड़ी थे और वह तेज गेंदबाज थे।
  2. कांबली का गेंदबाजी में जलवा - कांबली और सचिन तेंदुलकर के बीच 664 रन की स्‍कूल क्रिकेट में साझेदारी ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी। कुछ साल पहले तक यह दुनिया में सबसे बड़ी साझेदारियों में शामिल थी। हालांकि, कम ही लोगों को पता है कि उस मैच में कांबली ने गेंदबाजी में भी जलवा दिखाया था। कांबली ने पहले नाबाद 349 रन की पारी खेली और फिर 37 रन देकर छह विकेट झटके। शार्दाश्रम स्‍कूल ने सेंट जेवियर स्‍कूल को केवल 154 रन पर समेट दिया था।
  3. रणजी ट्रॉफी में छक्‍के के साथ शुरूआत - विनोद कांबली कितने प्रतिभाशाली बल्‍लेबाज थे, इसका पता ऐसे भी चलता है कि उन्‍होंने फर्स्‍ट क्‍लास करियर की शुरूआत छक्‍के के साथ की थी। 1989 में गुजरात के खिलाफ डेब्‍यू मैच में कांबली ने यह कमाल किया था।
  4. एक के बाद एक दोहरे शतक - फरवरी-मार्च 1993 में कांबली का नाम इतिहास में दर्ज हो गया जब उन्‍होंने टेस्‍ट क्रिकेट में एक के बाद एक दो दोहरे शतक जमाए। पहले वानखेड़े स्‍टेडियम में कांबली ने इंग्‍लैंड के खिलाफ 224 रन बनाए और इसके बाद दिल्‍ली में जिंबाब्‍वे के खिलाफ 227 रन की पारी खेली।
  5. लगातार तीन पारियों में शतक - उन दो दोहरे शतकों के बाद कांबली ने श्रीलंका के खिलाफ अगली पारी में फिर शतक जमा दिया। उन्‍होंने 1993 में कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ 125 रन की पारी खेली। इस तरह उन्‍होंने लगातार तीन टेस्‍ट पारियों में शतक जड़ने का कमाल किया। मजेदार बात यह है कि ये तीनों शतक अलग-अलग देशों के खिलाफ बने।
  6. भारत के लिए सबसे तेज 1,000 टेस्‍ट रन - अपने टेस्‍ट करियर की शुरूआत में बड़े स्‍कोर का फायदा यह रहा कि कांबली ने केवल 14 पारियों में 1,000 रन पूरे कर लिए थे। वह इस उपलब्धि को हासिल करने वाले सबसे तेज भारतीय बल्‍लेबाज बने। 
  7. बर्थडे पर वनडे शतक - 18 जनवरी 1993 को कांबली ने अपने जन्‍मदिन पर शतक जमाकर अनोखी उपलब्धि हासिल की। उन्‍होंने जयपुर में इंग्‍लैंड के खिलाफ नाबाद 100 रन बनाए। तेंदुलकर और रॉस टेलर अन्‍य कुछ ऐसे बल्‍लेबाज हैं, जिन्‍होंने अपने जन्‍मदिन पर इसी तरह शतक जमाए हैं।
  8. करियर बर्बाद होना शुरू हुआ - 1996 में भारत बहुत शर्मनाक अंदाज में विश्‍व कप से बाहर हुआ। कोलकाता में सेमीफाइनल में नाटकीय दृश्‍य देखने को मिले, जहां कांबली आंखों में आंसू लिए ड्रेसिंग रूम में जाते नजर आए। इसके बाद उनकी टीम से छुट्टी हो गइ। 1996 मार्च से अक्‍टूबर 2000 तक कांबली केवल 35 मैचों में नजर आए और उनकी औसत 19.31 की थी। कई मायनों में सेमीफाइनल से उनके करियर की ढलान शुरू हुई।
  9. संन्‍यास में देरी - कांबली ने अक्‍टूबर 2000 में अपना आखिरी अंतरराष्‍ट्रीय मैच खेला था। उनका आखिरी घरेलू मैच नवंबर 2004 में था। 2009 में अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट से कांबली ने संन्‍यास लिया। दो साल बाद 2011 में उन्‍होंने घरेलू क्रिकेट से संन्‍यास की घोषणा की। यह अलग बात है कि दोनों ही टीमों में वह लंबे समय से सक्रिय नहीं थे।

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