- किरण मोरे ने पुराने दिनों को लेकर किया बड़ा खुलासा
- 1989 भारत-पाकिस्तान क्रिकेट सीरीज में जमकर हुई थी गेंद से छेड़छाड़
- सचिन तेंदुलकर और वकार यूनिस ने भी उसी सीरीज से किया था आगाज
नई दिल्ली: अभी कुछ ही साल बीते हैं जब दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के तीन धुरंधर खिलाड़ियों को गेंद से छेड़छाड़ करने का खामियाजा भुगतना पड़ा था। स्टीव स्मिथ, डेविड वॉर्नर और कैमरन बैनक्रॉफ्ट पर एक साल का प्रतिबंध लगाया गया था। बॉल टैंपरिंग क्रिकेट की दुनिया में एक ऐसा 'जुर्म' है जिसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) बहुत गंभीरता से लेता है, लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ दशकों पहले तक ये एक कला के रूप में देखी जाती थी। पूर्व भारतीय क्रिकेटर किरण मोरे ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विकेटकीपर किरण मोरे ने कहा है 1989 में भारत और पाकिस्तान सीरीज में बॉल टेम्परिंग आम बात थी। उन्होंने कहा कि हालांकि किसी भी टीम ने दूसरी टीम की शिकायत नहीं की। मोरे ने ग्रेटेस्ट राइवलरी पोडकास्ट में कहा, 'उन दिनों गेंद से छेड़छाड़ की मंजूरी थी, इसलिए आपको रिवर्स स्विंग मिलती थी। ऐसा था कि दोनों टीमें एक दूसरे की शिकायत नहीं कर करती थीं। हर कोई गेंद को रगड़ता था और रिवर्स स्विंग कराता था। बल्लेबाजी करना मुश्किल होता था। हमारी टीम में मनोज प्रभाकर भी गेंद को रगड़ना सीख गए थे और रिवर्स स्विंग से पाकिस्तान के बल्लेबाजों को पेरशान कर रहे थे।'
कुछ नहीं कर पाते थे अंपायर
किरण मोरे ने खुलासा करते हुए आगे कहा कि, 'अंपायर उस समय कुछ नहीं कर पाते थे। अधिकारियों ने कप्तान कृष्मचारी श्रीकांत और इमरान खान से बात की, लेकिन ज्यादा अंतर नहीं था।' ये वही सीरीज थी जिसमें सचिन तेंदुलकर और वकार यूनिस ने डेब्यू किया था। चारों टेस्ट मैच ड्रॉ रहे थे।
अब कैमरे ही कैमरे
बेशक मोरे के मुताबिक एक समय ऐसा था जब बॉल टैम्परिंग को इतना गंभीरता से नहीं लिया जाता था लेकिन अब चीजें पूरी तरह बदल चुकी हैं। मौजूदा क्रिकेट में हर तरफ कैमरे लगे होते हैं और आप कोई भी छोटी सी हरकत करके भी नहीं बच सकते। सब कुछ कैमरे में कैद हो जाता है।
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी कैमरन बैंक्रॉफ्ट के साथ भी यही हुआ था जो दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच के दौरान जेब से चुपचाप सैंड पेपर निकालकर गेंद से छेड़छाड़ की कोशिश करने में लगे थे और इस छोटी सी चंद सेकेंड की हरकत को भी कैमरों ने कैद कर लिया और उसके बाद तीन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को अगले एक साल तक मैदान से दूर रहना पड़ा।