- भारतीय पेसर मोहम्मद शमी ने लॉकडाउन पर अपने विचार सामने रखे
- शमी ने बयां किया कि कैसा रहा उनका 'लॉकडाउन'
- भारतीय पेसर को फायदा तो मिला लेकिन एक नुकसान का भी है डर
नई दिल्ली: भारतीय टीम के कलात्मक तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी का कहना है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन में थके हुए शरीर को आराम और मजबूत होने का समय जरूर मिला लेकिन उन्हें डर है कि लंबे ब्रेक से उनकी लय पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। शमी ने पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा कि महानगरों में रहने वाले दूसरे भारतीय क्रिकेटरों की तुलना में वह बेहतर स्थिति में हैं और साहसपुर में अपने पैतृक घर के खुले आंगन में अभ्यास करते रहे हैं । उन्होंने घर के भीतर ही एक छोटा क्रिकेट मैदान बना रखा है।
शमी ने कहा, ‘इसे दो तरीके से देख सकते हैं। भारतीय टीम का कार्यक्रम हमेशा व्यस्त रहता है और इस ब्रेक से थके हुए शरीर को आराम का समय मिला।’ शमी ने कहा, ‘एक तरफ आपको शारीरिक फायदा हुआ और आप अधिक फिट तथा मजबूत हो गए लेकिन लंबे समय तक नहीं खेलने से लय चली जाती है। यही फर्क है। फायदे और नुकसान तो इस पर निर्भर है कि आप अपने शरीर की देखभाल कैसे कर रहे हैं।’
शिविर से होगा फायदा
भारत के लिये 49 टेस्ट में 180 विकेट ले चुके इस गेंदबाज ने कहा कि बीसीसीआई जब भी शिविर शुरू करेगा, उन्हें फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर मुझे फायदा होगा क्योंकि मैं नियमित अभ्यास कर रहा हूं। यह चोट के कारण मिले ब्रेक से अलग है। मैं लय में रहा हूं और कोई जकड़न महसूस नहीं हो रही। समय के साथ लय मिल ही जायेगी।’
लार के बिना गेंद कैसे पेश आएगी?
शमी ने यह भी कहा कि वह अनुमान नहीं लगा सकते कि लार के बिना लाल गेंद कैसे पेश आयेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नेट पर उन्होंने पुरानी गेंद से अभ्यास नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘जैसी परिस्थितियां चाहिये वैसी नहीं होने पर आप पुरानी गेंद से अभ्यास नहीं कर सकते । नेट पर जो पुरानी गेंद ली जाती है , वह कई दिन बाक्स में रहती है और मैच की पुरानी गेंद से अलग होती है। मैच में तो लगातार खेलते हुए गेंद पुरानी होती है।’ उन्होंने कहा, ‘अभ्यास के दौरान मैं नयी गेंद से ही गेंदबाजी करूंगा और कोशिश करूंगा कि लार का इस्तेमाल नहीं करूं।’
उन्होंने कहा कि उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि लार के बिना गेंद को स्विंग मिलेगी या नहीं। उन्होंने कहा, ‘लोग मुझसे यह सवाल पूछते हैं लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं है। हम बरसों से लार का इस्तेमाल करते आये हैं। यह आदत है। एक बार लार के बिना गेंदबाजी करेंगे, तभी पता चल सकेगा।’