- एस श्रीसंत ने याद किया ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मैच से पहले का किस्सा
- एमएस धोनी ने तेज गेंदबाज में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए भरी थी चाबी
- भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 15 रन से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया था
नई दिल्ली: 2007 में जब वर्ल्ड टी20 का उद्घाटन संस्करण आयोजित हुआ था तो टीम इंडिया से किसी ने खिताब की उम्मीद नहीं लगाई थी। मगर जल्द ही युवराज सिंह ने इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में लगातार छह छक्के जमाने का कमाल किया और फिर टीम इंडिया ने दमदार प्रदर्शन करके दक्षिण अफ्रीका को बाहर का रास्ता दिखाया। अचानक ही एमएस धोनी के नेतृत्व वाली भारतीय टीम खिताब की दावेदार नजर आने लगी। हालांकि, युवाओं से भरी भारतीय टीम को सेमीफाइनल में निडर और बेहद मजबूत ऑस्ट्रेलिया से टकराना था।
इस मैच से पहले काफी बातें हुईं और भारतीय टीम भी इस मुकाबले के लिए पूरे जोश के साथ तैयार नजर आई। टीम इंडिया के साथ अच्छी बात यह थी कि लोगों का मानना था कि उसने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है और अगर सेमीफाइनल में सफर खत्म भी होता है तो मलाल नहीं। मगर एमएस धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम विश्वास से भरी हुई नजर आई। टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आक्रमकता के साथ मुकाबला खेलने की ठानी।
धोनी ने भरी चाबी
भारत के पास एस श्रीसंत थे, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उनके आंकड़ें 23/2 मैच में सर्वश्रेष्ठ थे और उनकी आक्रमकता से हर कोई वाकिफ था। तब समय आया जब धोनी ने तेढ़े अंदाज में श्रीसंत को अपनी आक्रमकता दिखाने को कहा जब टीम को सबसे ज्यादा जरूरत थी। श्रीसंत भी अपने कप्तान की बात को आज तक याद रखते हैं। उन्होंने कहा कि वह एकदम सही समय पर आक्रामक हुए और इससे भारतीय टीम को काफी फायदा मिला।
तेज गेंदबाज ने कहा, 'धोनी भाई ने भी चढ़ाया था उस मैच से पहले। वो बोले कि याद तू इधर-उधर आक्रमकता दिखाता है, अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिखा अपनी आक्रमकता। मेरे ख्याल से उन्होंने मुझमें चाबी भरने का काम किया था, जो काम कर गया। मैं सही समय पर जोश से भर गया और इसका टीम को खूब फायदा हुआ।'
गजब की गेंदबाजी
टीम इंडिया के तेज गेंदबाज एस श्रीसंत ने सेमीफाइनल में अपने करियर की सबसे शानदार गेंदबाजी स्पेल में से एक किया। उन्होंने अपने 4 ओवर के कोटे में एक मेडन सहित 12 रन देकर दो विकेट चटकाए। भारत के हाथ से जब मैच फिसल रहा था तब उन्होंने मैथ्यू हेडन को आउट किया और आक्रामक अंदाज में इसका जश्न मनाया। यह मैच का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ और भारतीय टीम 188 रन के लक्ष्य की रक्षा करने में कामयाब हुई। धोनी ब्रिगेड ने ऑस्ट्रेलिया को 15 रन से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया, जहां उसने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को मात देकर खिताब जीता।