- लता मंगेशकर का 92 वर्ष की उम्र में हुआ निधन
- खेल जगत ने लता मंगेशकर को विनम्र श्रद्धांजलि दी
- लता मंगेशकर का क्रिकेट और सचिन तेंदुलकर से गहरा लगाव था
Lata Mangeshkar breathed her last on Sunday: महान गायिका 92 वर्षीया लता मंगेशकर ने रविवार की सुबह आखिरी सांस ली। भारत की स्वर कोकिला नाम से मशहूर लता मंगेशकर को कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद कुछ सप्ताह पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भारत रत्न और पद्म विभूषण लता मंगेशकर ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में 30,000 से ज्यादा गाने गाए हैं। हां, लता मंगेशकर का क्रिकेट से गहरा लगाव था। वह इस खेल और सचिन तेंदुलकर की बड़ी प्रशंसक थी।
लता मंगेशकर की क्रिकेट के प्रति दीवानगी इससे बहुत अच्छी तरह साबित होती है कि जब भारत ने 1983 विश्व कप खिताब जीता था तो महान गायिका ने विजेता भारतीय टीम को समर्पित एक फ्री कंसर्ट का आयोजन किया था। लता मंगेशकर ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, 'मैंने 1983 विश्व कप फाइनल लॉर्ड्स में देखा था। मुझे विश्वास नहीं हुआ कि हमने दो बार की विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर खिताब जीता। जाहिर है भारतीय होने के नाते मुझे इस उपलब्धि पर बहुत गर्व महसूस हुआ।'
1983 में जीत के बाद लता मंगेशकर ने निजी तौर पर भारतीय टीम को शुभकामनाएं दी थी। रिपोर्ट में कहा गया, 'मुझे याद है कि टीम के सभी सदस्यों ने एक विशेष गीत गाया था, जो मेरे साथ मेरे भाई ह्दयनाथ ने कंपोज किया था। सुनील गावस्कर और कपिल देव मेरे पीछे खड़े थे।'
लता के लिए बेटे समान रहे सचिन तेंदुलकर
लता मंगेशकर ने कई मौकों पर महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के प्रति अपना लगाव दर्शाया है। लता का सचिन तेंदुलकर से गहरा रिश्ता था। वो सचिन तेंदुलकर को अपने बेटे की तरह मानती थी। बीबीसी हिंदी ने लता के हवाले से कहा था, 'सभी खिलाड़ी अच्छे हैं, लेकिन सचिन तेंदुलकर मेरे पसंदीदा हैं। सुनील गावस्कर और कपिल देव उस ग्रुप में परफेक्ट थे। जितने भी क्रिकेटर्स हैं, सभी अच्छे थे। द्रविड़ भी अच्छे हैं। मगर सबसे पसंदीदा सचिन तेंदुलकर हैं। हर किसी को सचिन तेंदुलकर पसंद हैं तो मैं क्यों पीछे रहूं।'
निराश हो गई थीं लता जी
सचिन तेंदुलकर ने जब 2013 में संन्यास की घोषणा की थी, तो लता मंगेशकर ने अपनी निराशा जाहिर की थी। लता ने कहा था, 'मैं बता नहीं सकती कि कितना बुरा महसूस कर रही हूं जब पहली बार सुना कि सचिन तेंदुलकर ने संन्यास लेने का फैसला कर लिया है। वो बहुत ही खराब भावना थी। मगर समय के साथ मैंने इससे समझौता कर लिया। कोई भी हर समय जारी नहीं रख सकता है। महान सचिन तेंदुलकर भी नहीं। मुझे लगा कि वो कुछ समय और खेल सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह उनका फैसला है। अगर उन्हें महसूस होता है कि यह सही समय है तो मैं उनके फैसले की कद्र करती हूं और उनके साथ हूं। मगर हां, मुझे यह सोचकर बहुत बुरा महसूस हो रहा है कि वो दोबारा क्रिकेट नहीं खेलेंगे।'