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'कुछ लोगों को मानसिक कब्ज होता है', माइकल वॉन के मैच फिक्सिंग कमेंट पर सलमान बट ने किया पलटवार

Updated May 17, 2021 | 11:59 IST

Salman Butt on Michael Vaughan: सलमान बट और माइकल वॉन की बहर थमने का नाम नहीं रही। सलमान ने अब वॉन के मैच फिक्सिंग कमेंट पर पलटवार किया है।

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सलमान बट और माइकल वॉन

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं और कई बार उनकी बहस भी हो जाती है। हाल ही में वॉन की विराट कोहली और न्यूजीलैंड के केन विलियमसन में से कौन सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज है, इस लेकर पाकिस्तान के पूर्व कप्तान सलमान बट से जुबानी जंग छिड़ गई। दरअसल, वॉन ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर विलियमसन भारतीय होते तो उन्हें विश्व का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी आंका जाता। 

वहीं, स्पॉट फिक्सिंग मामले के कारण 2010 में प्रतिबंध झेलने वाले बट ने कोहली का बचाव किया। उन्होंने कोहली और विलियमसन के बीच गैरजरूरी तुलना करने पर वॉनी की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कोहली लंबे से दबदबा बनाए हुए है। उनका प्रदर्शन बेजोड़ रहा है। इसलिए तुलना का क्या मतलब बनता है। बट के रिएक्ट करने के बाद वॉन भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में स्पॉट फिक्सिंग के बहाने बट की खिल्ली उड़ाई। अब वॉन के कमेंट पर बट ने पलटवार किया है। 

'कुछ लोगों को मानसिक कब्ज होता है'

सलमान बट ने अपने यूट्यूब चैनल पर माइकल वॉन को लेकर कहा, 'मैं डिटेल्स में नहीं जाना चाहता। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि उन्होंने गलत संदर्भ में टॉपिक चुना है। इस तरह की प्रतिक्रिया का कोई औचित्य ही नहीं है। यह निचले दर्ज की बात है। बेहद गिरी हुई बात। अगर वह अतीत में जीना चाहते हैं और उसके बारे में बात करना चाहते हैं तो निश्चित रूप से कर सकते हैं। कब्ज एक बीमारी है। चीजें अटक जाती हैं और वे आसानी से बाहर नहीं आती हैं। कुछ लोगों को मानसिक कब्ज होता है, जिससे उनका दिमाग अतीत में होगा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।'

'अगर गलत साबित करते तो मजा आता'

बट ने आगे कहा, 'हमने दो महान खिलाड़ियों के बारे में बात की और इसे अलग दिशा में ले जाने की कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन उन्होंने ऐसा करना चुना। उन्होंने जिस साल का उल्लेख किया है, वह उसपर बात कर सकते हैं। वो अतीत है, जो जा चुका है। लेकिन उससे वास्तविक तथ्य नहीं बदल जाते, जिसके बारे में हमने बात की थी। अगर उन्होंने कुछ आंकड़े, कुछ तर्क, कुछ  ऑब्जर्वेशन पेश किए होते तो बेहतर होता। हम भी कुछ सीख सकते थे। अगर वह क्रिकेट के बारे में बोलते और मुझे गलत साबित करते या खुद को सही साबित करते तो मजा आता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।'

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