लाइव टीवी

भारत को एक से एक धुरंधर क्रिकेटर देने वाले 'उस्‍ताद जी' नहीं रहे, दिग्‍गज खिलाड़‍ियों ने शोक व्‍यक्‍त किया

tarak sinha
Updated Nov 07, 2021 | 12:05 IST

Tarak Sinha demise: टीम इंडिया को कई दिग्‍गज क्रिकेटर देने वाले कोच तारक सिन्‍हा का 71 साल की उम्र में निधन हुआ। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। सिन्‍हा के निधन पर दिग्‍गज क्रिकेटरों ने शोक व्‍यक्‍त किया है।

Loading ...
tarak sinhatarak sinha
तारक‍ सिन्‍हा
मुख्य बातें
  • तारक सिन्‍हा का लंबी बीमारी के बाद निधन हुआ
  • तारक सिन्‍हा ने 71 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
  • कई दिग्‍गज क्रिकेटरों ने तारक सिन्‍हा के निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट को कई अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेटर देने वाले मशहूर कोच तारक सिन्हा का लंबी बीमारी के बाद यहां शनिवार की सुबह निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। सिन्हा अविवाहित थे और उनके परिवार में बहन और सैकड़ों छात्र हैं। देश के कई प्रतिभाशाली क्रिकेटरों को तलाशने वाले सोनेट क्लब की स्थापना सिन्हा ने ही की थी। क्लब ने एक बयान में कहा, 'भारी मन से यह सूचना देनी है कि दो महीने से कैंसर से लड़ रहे सोनेट क्लब के संस्थापक श्री तारक सिन्हा का शनिवार को तड़के तीन बजे निधन हो गया।'

अपने छात्रों के बीच 'उस्ताद जी' के नाम से मशहूर सिन्हा जमीनी स्तर के क्रिकेट कोच नहीं थे। पांच दशक में उन्होंने कोरी प्रतिभाओं को तलाशा और फिर उनके हुनर को निखारकर क्लब के जरिये खेलने के लिये मंच दिया। यही वजह है कि उनके नामी गिरामी छात्र (जो अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते) अंतिम समय तक उनकी कुशलक्षेम लेते रहे और जरूरी इंतजाम किये। ऋषभ पंत जैसों को कोचिंग देने वाले उनके सहायक देवेंदर शर्मा भी उनके साथ थे।

उनके शुरूआती छात्रों में दिल्ली क्रिकेट के दिग्गज सुरिंदर खन्ना, मनोज प्रभाकर, दिवंगत रमन लांबा, अजय शर्मा, अतुल वासन, संजीव शर्मा शामिल थे। घरेलू क्रिकेट के धुरंधरों में के पी भास्कर उनके शिष्य रहे। 90 के दशक के उत्तरार्ध में उन्होंने आकाश चोपड़ा, अंजुम चोपड़ा, रूमेली धर, आशीष नेहरा, शिखर धवन और ऋषभ पंत जैसे क्रिकेटर दिये।

बीसीसीआई ने प्रतिभाओं को तलाशने के उनके हुनर का कभी इस्तेमाल नहीं किया। सिर्फ एक बार उन्हें महिला टीम का कोच बनाया गया जब झूलन गोस्वामी और मिताली राज जैसे क्रिकेटरों के कैरियर की शुरूआत ही थी। सिन्हा के लिये सोनेट ही उनका परिवार था और क्रिकेट के लिये उनका समर्पण ऐसा था कि उन्होंने कभी विवाह नहीं किया। उनकी कोचिंग का एक और पहलू यह था कि वह अपने छात्रों की पढ़ाई को हाशिये पर नहीं रखते थे। स्कूल या कॉलेज के इम्तिहान के दौरान अभ्यास के लिये आने वाले छात्रों को वह तुरंत वापिस भेज देते और परीक्षा पूरी होने तक आने नहीं देते थे।

अपनी मां के साथ आने वाले पंत की प्रतिभा को देवेंदर ने पहचाना। सिन्हा ने उन्हें कुछ सप्ताह इस लड़के पर नजर रखने के लिये कहा था। गुरूद्वारे में रहने की पंत की कहानी क्रिकेट की किवदंती बन चुकी है, लेकिन सिन्हा ने दिल्ली के एक स्कूल में पंत की पढाई का इंतजाम किया जहां से उसने दसवीं और बारहवीं बोर्ड की परीक्षा दी। एक बार पीटीआई से बातचीत में पंत ने कहा था, 'तारक सर पितातुल्य नहीं हैं। वह मेरे पिता ही हैं।'

सिन्हा व्यवसायी या कारपोरेट क्रिकेट कोच नहीं थे बल्कि वह ऐसे उस्ताद जी थे जो गलती होने पर छात्र को तमाचा रसीद करने से भी नहीं चूकते। उनका सम्मान ऐसा था कि आज भी उनका नाम सुनकर उनके छात्रों की आंख में पानी और होंठों पर मुस्कान आ जाती है।

पंत, सहवाग ने तारक सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया

भारतीय क्रिकेट को कई अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेटर देने वाले मशहूर कोच तारक सिन्हा के निधन पर क्रिकेट जगत ने शोक व्यक्त किया, जिसमें उनके सबसे प्रतिभाशाली शिष्यों में एक ऋषभ पंत भी शामिल है। यूएई में आईसीसी टी20 विश्व कप में भारतीय टीम के लिए खेल रहे पंत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि जब भी वह मैदान पर कदम रखेंगे तो वह उनके दिल में रहेंगे। पंत ने ट्वीट किया, 'मेरे गुरु, कोच, प्रेरक, मेरे सबसे बड़े आलोचक और सबसे बड़े प्रशंसक। आपने अपने बेटे की तरह मेरा ख्याल रखा, मैं स्तब्ध हूं। जब भी मैं मैदान पर उतरूंगा तो आप हमेशा मेरे साथ रहेंगे। मेरी गहरी संवेदना और प्रार्थना। तारक सर, आपकी आत्मा को शांति मिले।'

भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि वह उनके निधन से बहुत दुखी हैं। उन्होंने ट्वीट किया, 'उस्ताद जी तारक सिन्हा के निधन पर बहुत दुख महसूस हो रहा है। वह उन दुर्लभ कोच में से एक थे, जिन्होंने भारत को एक दर्जन से अधिक टेस्ट क्रिकेटर दिए। शिष्यों को उनके द्वारा दी गयी सीख ने भारतीय क्रिकेट की बहुत मदद की। उनके परिवार और शिष्यों प्रति मेरी संवेदना है।'

भारत के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर आकाश चोपड़ा भी उनके शिष्य थे। उन्होंने ट्वीट किया, 'उस्ताद जी' नहीं रहे। द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता। एक दर्जन से अधिक भारतीय टेस्ट क्रिकेटरों के साथ प्रथम श्रेणी के कई क्रिकेटरों को कोच रहे। उन्होंने बिना किसी संस्थागत मदद के पुरुष और महिला खिलाड़ियों को कोचिंग दी। भारतीय क्रिकेट के लिए आपकी सेवा को याद किया जाएगा सर। आपकी आत्मा को शांति मिले।'

उनके एक और शिष्य और पूर्व क्रिकेटर अतुल वासन ने लिखा, 'मेरे और सोनेट क्लब से जुड़े सभी के लिए दुखद दिन क्योंकि आज हमने अपने उस्ताद जी को खो दिया। उन्होंने दशकों तक कड़ी मेहनत की और कई खिलाड़ियों के करियर को संवारा। वह हमेशा चमक दमक से दूर रहे। क्रिकेट जगत ने एक रत्न खो दिया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।'

भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान अंजुम चोपड़ा ने कहा, 'एक कोच, तारक सिन्हा, सॉनेट क्रिकेट क्लब ने कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू खिलाड़ियों (पुरुषों और महिलाओं) को अपनी पहचान बनाते देखा है। मार्गदर्शक, कोच सब कुछ। आपकी आत्मा को शांति मिले।'

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्रिकेट (Cricket News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल