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क्रिकेट के लिए पिता ने छोड़ी नौकरी, पेंशन से होता था गुजारा, कड़े संघर्ष के बाद अंडर-19 के कप्तान बने यश धूल

Updated Dec 11, 2021 | 15:36 IST

Yash Dhull Struggle Life Story: यश धुल अंडर-19 एशिया कप में भारतीय टीम की कमान संभालते हुए नजर आएंगे। एशिया कप 23 दिसंबर से यूएई में शुरू होने जा रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
यश धूल
मुख्य बातें
  • यश धूल अंडर-19 के कप्तान बने हैं
  • वह कड़े संघर्ष के बाद यहां पहुंचे है
  • यश धूल दिल्ली के रहने वाले हैं

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में अंडर-19 एशिया कप के लिए 20 सदस्यीय टीम की घोषणा की। इन 20 नामों में जिस एक खिलाड़ी की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वो दिल्ली के बल्लेबाज यश धूल हैं। यश को भारतीय टीम की कमान सौंपी गई है। यश अंडर-19 टीम के कप्तान बनते ही विराट कोहली और ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों के स्पेशल क्लब में शामिल हो गए हैं। दिल्ली के कोहली और पंत भी जूनियर भारतीय टीम की बागडोर संभाल चुके हैं और फिर अंतरराष्ट्रीय पर अपनी धाक जमाने में कामयाब हुए।

'जरूर अच्छे लेवल पर पहुंच जाऊंगा'

 दिल्ली के जनकपुरी में रहने वाले यश इससे पहले दिल्ली अंडर-16 और भारत 'ए' अंडर-19 टीम का नेतृत्व कर चुके हैं। यश ने अंडर-19 टीम का कप्तान बनने पर टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) के साथ बातचीत में कहा, 'यह अभी शुरुआत है। अगर मैं ईमानदारी से खेलता रहा तो जरूर किसी अच्छे लेवल पर पहुंच जाऊंगा।' साथ ही यश ने अपने परिवार के त्याग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुझे ज्यादा याद नहीं है लेकिन जब मैं बहुत छोटा था तो परिवार को मेरे लिए कठिन समय से गुजरना पड़ा।

'हमने बेटे के लिए खर्चों में कटौती की'

बता दें कि यश के पिता विजय धूल ने बेटे का क्रिकेट करियर संवारने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी। परिवार का गुजारा विजय के पिता की पेंशन से होता था, जो सेना में थे। विजय ने अपने बेटे के प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने के सफर पर बात करते हुए टीओआई से कहा, 'मुझे यह सुनिश्चित करना था कि उसे कम उम्र से खेलने के लिए सबसे अच्छी किट और गियर मिलें। मैंने उसे सबसे अच्छे इंग्लिश विलो बैट दिए। उसके पास सिर्फ एक बल्ला नहीं था। मैं बल्ले अपग्रेड करता रहा। हमने अपने खर्चों में कटौती की। मेरे पिता एक आर्मी मैन थे। उन्हें मिलने वाली पेंशन का इस्तेमाल घर चलाने के लिए किया जाता था। यश हमेशा सोचता था कि हम यह सब कैसे मैनेज कर रहे हैं।'

यश धूल का कोई रोल मॉडल नहीं

यश 11 साल की उम्र में बाल भवन स्कूल की एकेडमी ज्वाइन की थी। दाएं हाथ के मध्यक्रम के बल्लेबाज ने 12 साल की उम्र में दिल्ली अंडर-14 का प्रतिनिधित्व किया था। यश का कोई रोल मॉडल नहीं है। उन्होंने कहा कि जो भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलता है, उससे ही काफी कुछ सीखा जा सकता है। मैं हर किसी के खेल को बारीकी से फॉलो करता हूं। मैं किसी की नकल नहीं करता, लेकिन हर कोई मेरा हीरो है। गौरतलब है कि यश वीनू मांकड़ ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी में से थे। यश ने डीडीसीए के लिए पांच मैचों में 75.50 की औसत से 302 रन बनाए।

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