नई दिल्ली: मुंबई में 59 साल के एक व्यक्ति को 1984 में एक हत्या और दंगा मामले में गिरफ्तार किया गया था। वह जमानत मिलने के बाद 35 साल तक गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा। वह अब जाकर पुलिस के हत्थे चढ़ा है। ट्रॉम्बे पुलिस ने प्रकाश मुरारीलाल रतन उर्फ पाक्या को कफे परेड में अंबेडकर नगर की झुग्गियों से गिरफ्तार किया, जहां वह 20 से अधिक वर्षों से छिपा हुआ था। हालांकि गिरफ्तारी के बाद उसके पास से बरामद पैन कार्ड में उसका नाम प्रकाश बाल्मीकी है। जांचकर्ताओं का दावा है कि नाम बदलने के कारण वे पिछले 35 वर्षों से उसका पता नहीं लगा सके।
ट्रॉम्बे पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने कहा, '1984 में प्रकाश शिवाजी नगर के बैगनवाड़ी इलाके में रुका था। वह तब एक लोकल गुंडा था और एक अन्य स्थानीय गुंडे के साथ हुए विवाद के बाद प्रकाश और उसके सहयोगी ने उसे चाकू मार दिया था। जिसे चाकू मारा गया वो शिवसेना कार्यकर्ता भी था। बैगनवाड़ी क्षेत्र वर्तमान में शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है लेकिन 1984 में यह ट्रॉम्बे पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में था जिसके कारण ट्रॉम्बे में हत्या के साथ दंगा करने का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में प्रकाश और उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, डेढ़ साल में उन्हें जमानत मिल गई।
अधिकारी ने कहा, 'जमानत के साथ एक शर्त थी कि उसे हर सुनवाई के लिए अदालत के सामने पेश होना होगा, लेकिन जब वह ऐसा करने में विफल रहा, तो अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। चूंकि मामला ट्रॉम्बे पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, इसलिए हमें उसका पता लगाने का काम सौंपा गया था।' पुलिस ने कहा कि उन्होंने उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया जिनके नाम और नंबर केस के कागजात में दर्ज थे। लेकिन चूंकि वह किसी के संपर्क में नहीं था, इसलिए उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
जांच के दौरान पुलिस पहले बैगनवाड़ी इलाके में गई, जहां वह पहले रुका था। पुलिस अधिकारी ने कहा कि हम एक वरिष्ठ नागरिक से मिले जो उसे जानता था और उसने हमें बताया कि प्रकाश माला बेचने के काम में था। वरिष्ठ नागरिक ने यह भी कहा कि आखिरी बार उसने सुना था कि प्रकाश अपने बेटे के साथ कफे परेड में रह रहा था।
इसके बाद टीम ने कफे परेड में अलग-अलग स्लम इलाकों में उसकी तलाश की जिसके बाद उन्होंने पास के पुलिस स्टेशन की मदद ली, स्थानीय मुखबिरों की मदद से अपराधी का पता लगाया। प्रकाश ने अपनी फिर से गिरफ्तारी के बाद ट्रॉम्बे पुलिस को बताया कि जमानत मिलते ही वह विक्रोली में शिफ्ट हो गया, जहां उसकी शादी हुई और उसका एक बेटा हुआ। वह वहां पांच साल तक रहा। बाद में वे कुछ वर्षों के लिए कोंकण चला गया जिसके बाद वे वापस मुंबई आ गया और कफे परेड में अंबेडकर नगर में अपने बेटे के साथ रहा। अंबेडकर नगर कफे परेड थाने के सामने है और वहां वह माला बनाने और बेचने का काम करता था। इस बीच उसकी पत्नी खत्म हो गई।