- ओडिशा के कटक में 70 साल के एक पुजारी ने मंदिर परिसर में 52 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या कर दी
- दावा किया कि उसने 'कोविड-19 वैश्विक महामारी खत्म करने के लिए मानव बलि दी है
- संसारी ओझा ने कहा, सपने में भगवान से आदेश मिला था कि अगर मैंने नरबलि दी तो कोरोना खत्म हो जाएगा
भुवनेश्वर: कोरोना वायरस संकट के बीच ओडिशा से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, वहां कटक के एक मंदिर के पुजारी ने नरबलि चढ़ा दी उसका कहना था कि उसे सपने में भगवान से आदेश मिला था कि अगर मैंने नरबलि दी तो कोरोना खत्म हो जाएगा। कटक जिले के नरसिंहपुर में एक मंदिर के पुजारी ने इस घटना को अंजाम दिया है।
कटक जिले में 70 साल के एक पुजारी ने मंदिर परिसर में 52 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद दावा किया उसने 'कोविड-19 वैश्विक महामारी खत्म करने के लिए मानव बलि दी है।' पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपी 70 साल के संसार ओझा ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर हत्या करने की बात स्वीकार की।
अथागढ़ पुलिस के सब डिविजनल आलोक रंजन राय ने कहा, 'ओझा ने दावा किया कि देवी ने उसके सपने में आकर उससे कहा था कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के अंत के लिए एक मनुष्य की बलि देनी होगी।'
आरोपी पुजारी घटना के समय शराब के नशे में था?
घटना नरसिंहपुर थाना क्षेत्र के बाहुड़ा गांव के ब्राह्मणी देवी मंदिर में बुधवर रात हुई, उन्होंने बताया कि हत्या का मकसद पता लगाने की कोशिश जारी है, अधिकारी ने बताया कि पुलिस आरोपी के दावों को नहीं मान रही है।
हत्या के लिए इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी को भी जब्त कर लिया गया है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। बताया जा रहा है कि शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपी पुजारी घटना के समय शराब के नशे में था आशंका है कि वह मानसिक रूप से बीमार है।
पुजारी संसारी ओझा ने हत्या के पीछे वजह चौंकाने वाली बताई
मंदिर के पुजारी संसारी ओझा ने हत्या के पीछे वजह अलग ही बताई है जिसे सुनकर कोई भी चौंक जाए, संसारी ओझा ने कहा, सपने में भगवान से आदेश मिला था कि अगर मैंने नरबलि दी तो कोरोना खत्म हो जाएगा। मगर पुलिस का दावा है कि मृतक प्रधान और पुजारी के बीच लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था जसको लेकर दोनों के बीच बहस हो गई जिसके चलते इस घटना को अंजाम दिया गया।
मृतक की पहचान 52 वर्षीय सरोज कुमार प्रधान के तौर पर हुई है। अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि स्थानीय लोगों का कहना है कि ओझा का लंबे समय से गांव में आम के एक बाग को लेकर प्रधान के साथ विवाद चल रहा था।