- सितंबर से हर महिने रेलवे 4 वंदे भारत ट्रेनें चलाएगा
- योजना को लेकर रेल विभाग अब एक्टिव मोड पर
- ट्रेनों में यात्रियों की सुविधाओं को लेकर कई बदलाव किए जा रहे
Delhi Railway Update: रेलों में लक्जरी सफर करने वालों के लिए एक अच्छी खबर है। इंडियन रेलवे दो माह बाद वंदे भारत ट्रेनों के संचालन की तैयारी कर रहा है। अगर सब कुछ समयबद्ध हुआ तो सितंबर से हर महिने रेलवे 4 वंदे भारत ट्रेनों का संचलान आरंभ करेगा। रेलवे विभाग देश के कई शहरों को आपस में जोड़ने के लिए करीब 400 ट्रेनों का संचालन करेगा। योजना को लेकर रेल विभाग अब एक्टिव मोड पर है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक ट्रेनों में यात्रियों की सुविधाओं को लेकर कई बदलाव किए जा रहे हैं। जिसमें इसकी सीटों सहित डिजाइन में कुछ चेंजेज किए गए हैं।
रेलमंत्री के मुताबिक सितंबर से हर माह चार ट्रेनें चलाई जाएंगी। आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली से बनारस तक चलने वाली देश की प्रथम वंदे भारत ट्रेन को पीएम मोदी ने वर्ष 2019 में हरी झंडी दिखा उद्घाटन किया था। उस वक्त पीएम न आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के तहत देश में अन्य शहरों के लिए भी 75 नई वंदे भारत रेलगाड़ियां चलाने की घोषणा कर सेंट्रल बजट में इनका बजट और बढ़ा दिया था।
इन शहरों को मिलेगा फायदा
वंदे भारत ट्रेनें चलने से देश के कई शहर एक - दूसरे से जुड़ जाएंगे। जिनमें जयपुर, चंडीगढ़, लखनऊ, इंदौर, खजुराहो व दिल्ली प्रमुख हैं। रेलमंत्री के मुताबिक जल्द ही वंदे भारत ट्रेनें इन शहरों के बीच चलाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में दिल्ली से कई शहरोंं के लिए गतिमान सहित शताब्दी व राजधानी सुपर फास्ट ट्रेनें चल रही हैं। रेल विभाग के मुताबिक हाइ स्पीड की ट्रेनों के लिए दिल्ली में पहले से व्यवस्था व ट्रैक बनें हैं। ऐसे में वंदे भारत ट्रेनों को लेकर कोई परेशानी नहीं होगी।
दूरी घटेगी समय बचेगा
पूर्व में संचालित वंदे भारत ट्रेनों के अनुभव व शिकायतों के आधार पर रेलवे ने अब वंदे भारत ट्रेनों की तकनीक में कई सुधार किए हैं। यह अब ज्यादा हल्की व कम एनर्जी कजंपशन वाली होंगी। इनकी सीटों में भी बदलाव कर उन्हें लचकदार व घुमाव वाली बनाया जा रहा है। इनकी अधिकतम गति 180 किमी प्रतिघंटा होगी। वहीं यात्रियों को लंबा सफर करने में आसानी होगी। हाई स्पीड के कारण यात्रा का समय भी कम हो जाएगा। एक शहर से दूसरे शहर की यात्रा में लगने वाला 8 घंटे का समय घटकर साढे़ 6 घंटे रह जाएगा। इनमें अन्य ट्रेनों के जैसे स्लीपर कोच भी होंगे। रेलवे के मुताबिक बदलाव के कारण करीब 24 करोड़ का अतिरिक्त खर्च होगा।