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यमुना में गिरने वाले प्रदूषित पानी में 80 फीसदी कमी की उम्मीद, छोटे नालों का पानी साफ होकर नदी में गिरेगा

Updated Apr 28, 2022 | 23:38 IST

pollution in Yamuna River Delhi:फ्लोटिंग वेटलैंड पानी पर तैरती ऐसी ठोस सतह है, जिसपर पौधे लगाकर वाटर ट्रीट किया जा रहा है। यदि वे बेहतर क्वालिटी के होंगे तभी बरसात के मौसम में नहीं डूबेंगे और ड्रेन के पानी से प्रदूषकों को प्रकृतिक तरीके से साफ करते रहेंगे।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
दिल्ली में यमुना की सफाई के लिए काम किया जा रहा है

नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना (Yamuna River Delhi) की सफाई के लिए काम किया जा रहा है। इसके तहत यमुना में मिलने वाले नालों को साफ किया जा रहा है। ड्रेन में फ्लोटिंग राफ्टर लगाए गए हैं। इन फ्लोटिंग राफ्टर पर ऐसे पौधे लगे हैं, जो पानी से प्रदूषकों को प्रकृतिक तरीके से साफ करने में मदद करते हैं। दिल्ली सरकार के मुताबिक छोटे नालों के पानी को यमुना नदी में गिरने से पहले साफ किया जाएगा। इससे यमुना नदी में गिरने वाले प्रदूषित पानी में 80 फीसदी तक कमी आ सकती है।

बृहस्पतिवार को दिल्ली के जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने सप्लीमेंट्री ड्रेन का दौरा कर निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ सिंचाई नियंत्रण विभाग के अधिकारियों को सप्लीमेंट्री ड्रेन पर बने अस्थाई बांधों की मजबूती सुनिश्चित करने और समय से गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। साथ ही फ्लोटिंग वेटलैंड के लिए केवल नेचुरल मटेरियल जैसे बांस इस्तेमाल करने को कहा।

'नालों की सफाई का बीड़ा दिल्ली सरकार ने उठाया है'

जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा सप्लीमेंट्री ड्रेन और पानी से प्रदूषकों को प्रकृतिक तरीके से साफ करने में नजफगढ़ ड्रेन और सप्लीमेंट्री ड्रेन दोनों में कुल 24 छोटे बांध बनाए जा चुके हैं। इससे यमुना में जाने वाले वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। जैन ने बताया कि यमुना में गिरने वाले गंदे नालों की सफाई का बीड़ा दिल्ली सरकार ने उठाया है।

इसके अंतर्गत जो बड़े प्रमुख नाले हैं, उन पर छोटे अस्थाई बांध बनाए गए हैं। जिसके कारण अब उन नालों के बीओडी स्तर में भी सुधार आया है। सप्लीमेंट्री ड्रेन पर 11 व नजफगढ़ ड्रेन में 13 बांध का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। ड्रेन पर अस्थाई बांधों का निर्माण एक प्रभावशाली तरीका साबित हो रहा है।

'नालों में एरिएशन भी किया जाएगा'

बांध बनाने का मकसद यही है कि पानी में मौजूद सुक्ष्म कण जमीन की सतह पर बैठ जाए और बांध के ऊपर से साफ पानी ओवर फ्लो होकर आगे बढ़ जाए। इसके आगे प्लोटिंग वेटलैंड पानी में घुली गंदगी को सोख लेंगे। साथ ही नालों में एरिएशन भी किया जाएगा, जिससे पानी में आक्सीजन घुलेगा और पानी को और साफ कर देगा। इस तरह यह पानी प्राकृतिक तरीके से साफ होते हुए यमुना तक पहुंचेंगे। वहीं, सप्लीमेंट्री ड्रेन से यमुना में गिरने वाले पानी के प्रदूषण में आएगी 80 फीसद की कमी आएगी। इस तकनीक का इस्तेमाल नजफगढ़ नाले पर भी लगाई जा रही है।

फ्लोटिंग राफ्टर पौधोंकी जड़ें फिल्टर की तरह काम करती हैं

। ये पौधे न सिर्फ प्रदूषण को सोखने की क्षमता रखते हैं बल्कि जल व वायु प्रदूषण भी कम करते हैं। ये बड़े पेड़-पौधे की तरह हवा में घुले प्रदूषक तत्वों को सोखते हैं। इसके अलावा फ्लोटिंग वेटलैंड से पानी में अच्छे माइक्रोब भी घुल जाते हैं। इस प्रक्रिया से पानी यमुना तक पहुंचने से पहले ही साफ हो जाएगा। बता दें, दिल्ली सरकार सप्लीमेंट्री ड्रेन के गंदे पानी को इन-सीटू तकनीक के माध्यम से ट्रीट कर रही है। इस तकनीक के तहत नालों में बह रहे गंदे पानी को नालों में ही फिल्टर कर ट्रीट किया जा रहा है।

सप्लीमेंट्री नाले में आने वाले पानी के कुछ प्रमुख स्रोत हैं

वर्तमान में सप्लीमेंट्री ड्रेन में कई स्रोतों से वेस्टवॉटर और ट्रीटेड वॉटर पहुंच रहा है। सप्लीमेंट्री नाले में आने वाले पानी के कुछ प्रमुख स्रोत हैं। जिनमें रिठाला फेज-2 एसटीपी से 40 एमजीडी, रिठाला फेज-1 से 30 एमजीडी अनट्रीटेड वेस्टवॉटर, सेक्टर-25 रोहिणी एसटीपी से 7.5 एमजीडी अनट्रीटेड वेस्टवॉटर और कई अन्य नालों से करीब 15 एमजीडी इकट्ठे होकर आता है। इन स्रोतों से ड्रेन में आने वाले पानी को इन सीटू ट्रीटमेंट के जरिए साफ किया जा रहा है।

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