एक बार फिर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आमने सामने है। मामला है आबकारी नीति यानी शराब के ठेकों के आवंटन को लेकर हेरफेर में, एक तरफ आम आदमी पार्टी इसे बदले की राजनीति करार दे रही है तो वहीं बीजेपी इसे AAP की साफ छवि पर एक दाग बता रही है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर जांच की मांग पर इतना बवाल क्यों? तो इसके दो वजह हो सकते हैं। पहला, इसी साल के अंत में गुजरात और हिमाच में विधानसभा चुनाव और दूसरा ठेकों के बहाने आम आदमी सरकार पर निशाना साधने का बहाना। एलजी की रिपोर्ट आई, बीजेपी ने आरोप लगाया। आम आदमी पार्टी का जवाब आया और इसी के साथ एक बार फिर राजनीतिक जंग छिड़ गई। बीजेपी और आम आदमी पार्टी एक बार फिर आमने सामने आ गई। ये विवाद शुरू कहां से हुआ सबसे पहले ये समझिए। दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने नई आबकारी नीति के खिलाफ CBI जांच की सिफारिश की है।
केजरीवाल सरकार पर आरोप
1. शराब लाइसेंस टेंडर में गड़बड़ी
2. नई आबकारी नीति के जरिए शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया
3. शराब कारोबारियों को 144.36 करोड़ की छूट दी गई
4. आबकारी विभाग को मनीष सिसोदिया ने आदेश दिया
5. सिसोदिया ने GNCTD एक्ट का उल्लंघन किया
6. ब्लैक लिस्टेड कंपनी को भी टेंडर दिए गए
जैसे ही ये खबर सामने आई। बीजेपी अरविंद केजरीवाल सरकार पर हमलावर हो गई। बीजेपी ने सवाल किया तो आम आदमी पार्टी की तरफ से खुद अरविंद केजरीवाल सामने आए और जुबानी जंग छिड़ गई। मनीष सिसोदिया दिल्ली के आबकारी मंत्री हैं। लिहाजा आरोप सीधे सीधे मनीष सिसोदिया पर लग रहे हैं। इस बीच सिसोदिया ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लिया है। इस बीच सिसोदिया ने भी ट्वीट कर बीजेपी और पीएम मोदी पर पलटवार किया है।
सिसोदिया ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मोदी जी केजरीवाल जी से बहुत डरते हैं। मोदी जी से लोगों का मोहभंग हो गया है। अब केजरीवाल जी से ही देश को उम्मीद है। जैसे जैसे AAP का देश भर में प्रभाव बढ़ेगा, अभी और बहुत झूठे केस होंगे। पर अब कोई जेल केजरीवाल जी और AAP को नहीं रोक सकती।
बीजेपी आरोप लगा रही है कि नई आबकारी नीति के तहत आम आदमी पार्टी सरकार ने शराब ठेकेदारों को मुनाफा पहुंचाया है तो वहीं आम आदमी पार्टी सफाई दे रही है कि इससे उलटा सरकार को राजस्व का फायदा हुआ है। आम आदमी पार्ट बनाम बीजेपी की ये लड़ाई नई है। बस मुद्दा नया है। दिल्ली की नई आबकारी नीति लेकिन ये लड़ाई लंबी चल सकती है क्योंकि इस आरोप प्रत्यारोप को आने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। जहां दोनों पार्टियों आमने-सामने हैं।
कब-कब हुआ BJP और AAP में आमना-सामना
- एंटी करप्शन ˈब्युअरो पर अधिकार पर विवाद -2015
- केजरीवाल के प्रमुख्य सचिव पर CBI रेड -2015
- गेस्ट टीचर को पक्का करने पर विवाद -2017
- ऑक्सीजन की कमी पर बवाल -2020
- राशन की होम डिलीवरी विवाद- 2021
- नए आबकारी नियम -2021
- सत्येंद्र जैन की गिरफ़्तारी -2022
जांच के आदेश LG ने दिए लेकिन इस लड़ाई में BJP कूद गई और पूरा मामला BJP VS AAP बन गया। जैसा की पहले भी कई बार होता आया है।