- सवालों के घेरे में आई है दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति
- सीबीआई ने शुक्रवार सुबह मनीष सिसोदिया के आवास पर छापे मारे
- केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने पूछा-पॉलिसी अच्छी थी तो उसे वापस क्यों ली?
CBI raid on Manish Sisodia residence : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति की जांच शुरू कर दी है। जांच एजेंसी ने शुक्रवार सुबह दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के आवास सहित दिल्ली-एनसीआर के 21 ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की। सीबीआई की यह कार्रवाई दिल्ली के मुख्य सचिव की ओर से लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना को भेजी गई रिपोर्ट पर हुई है। इस रिपोर्ट के आधार पर सक्सेना ने नई आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। ये छापे नई आबकारी नीति से जुड़े अधिकारियों के ठिकानों पर भी पड़े हैं।
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वहीं, इस रेड को लेकर सियासी घमासान मच गया है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दिल्ली सरकार पर हमलावर हो गई हैं। आम आदमी पार्टी की तरफ से भी आरोपों का जवाब दिया जा रहा है। सवालों के कठघरे में आए मनीष सिसोदिया ने कहा है कि नई आबकारी नीति को मंजूरी तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने दी थी। उन्होंने पूछा है कि बैजल के फैसले पर सवाल क्यों नहीं उठाए गए?
अनिल बैजल ने किया पलटवार
सिसोदिया के आरोप पर अनिल बैजल ने पत्र जारी कर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि सिसोदिया के आरोप निराधार हैं। एलजी के फैसलों पर सवाल उठाना नियम बन गया है। खुद को बचाने के लिए सिसोदिया आरोप लगा रहे हैं। मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नई आबकारी नीति के तहत टेंडर देने में अनियमितता बरती गई। उन्होंने सवाल उठाया कि काली सूची में शामिल कंपनी को टेंडर में हिस्सा क्यों लेने दिया गया? दूसरा शराब का उत्पादन करने वाली कंपनी को शराब बेचने का लाइसेंस क्यों दिया गया? रिपोर्ट में कहा गया कि शराब लाइसेंस फीस माफ करने से दिल्ली सरकार के राजस्व को 144 करोड़ रपए का घाटा हुआ।
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भ्रष्टाचारी, भ्रष्टाचारी ही रहता है-अनुराग ठाकुर
सीबीआई के छापों पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर हमला बोला। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचारी जितना बड़ा ईमानदारी को चोला पहन ले, वह भ्रष्टाचारी ही रहता है। आम आदमी का भ्रष्टाचार एक बार नहीं कई बार सामने आया है। जिस दिन आबकारी नीति की जांच सीबीआई को सौंपी गई उसी दिन इस नीति को वापस लिया गया। अगर इस शराब नीति में घोटाला नहीं था तो उसे वापस क्यों लिया? जाहिर है कि शराब के ठेकों में भ्रष्टाचार हुआ। इस भ्रष्टाचार अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की साठ-गांठ है। उन्हें जनता को मूर्ख बनाना बंद करें।'