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IAS Success Story: प‍िता की मौत के बाद 12वीं में आए बेहद कम नंबर, लेक‍िन पहले प्रयास में IAS बनीं ऋष‍िता

Updated Jun 29, 2020 | 07:30 IST

IAS success story : 12वीं में प‍िता का साया स‍िर से उठने के बाद ऋष‍िता ने ठाना था क‍ि वह कुछ करके द‍िखाएंगी। देखें कैसे उन्‍होंने पहली बार में पाई आईएएस की परीक्षा में सफलता।

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IAS Success Story: पहली ही बार में चुनी गई थीं ऋष‍िता
मुख्य बातें
  • पिता की मौत से लगा धक्का, 12वीं में आए थे बेहद कम नंबर
  • यूपीएससी में पहली बार में ही टार्गेट अचीव करने का लक्ष्य बनाया था
  • मर्जी के सब्जेक्ट के लिए चॉइस के कॉलेज में दाखिला नहीं मिला, फ‍िर भी डटकर की मेहनत

मेहनत करने की आदत हो, लगन और जुनून हो तो सफलता कदम चूमती है, ये साबित कर दिखाया दिल्ली की ऋष‍िता ने। 12वीं में नंबर कम होने से उनको मर्जी के सब्जेक्ट पढ़ने के लिए चॉइस के कॉलेज में दाखिला नहीं मिला, लेकिन ऋष‍िता ने साबित कर दिखाया कि सब्जेक्ट से फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आपकी सोच से फर्क पड़ता है। ऋष‍िता जीवन को अनिश्चित्ता का दूसरा नाम मानती हैं ऐसा शायद इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी सोचा या योजना बनाई, हुआ उससे बहुत अलग। पर संघर्षों से न घबराने वाली ऋष‍िता ने जीवन के हर बदलाव को बांहें फैलाकर स्वीकारा और कभी शिकायत नहीं की कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों?

IAS First attempt success : कैसे की रिशिता ने ऐसे की तैयारी

कारोबारी परिवार में पली बढ़ी ऋष‍िता को घर में शुरू से ही पढ़ाई लिखाई का माहौल मिला था। ऋष‍िता हमेशा से पढ़ने में अच्छी थी और डॉक्टर बनना चाहती थी। खुद पर भरोसा ऐसा कि दसवीं के बाद जब विषय चुनने की बात आई तो उन्होंने कठिन माने जाने वाले कांबिनेशन फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और मैथ्स विषयों का चयन किया। इसी दौरान पिता की कैंसर से मौत हो गई। इसका असर पढ़ाई और नंबरों पर पड़ा। 

नहीं मिला मनचाहे विषय में एडमिशन

दिल्ली के अच्छे कॉलेजों में आसानी से दाखिला नहीं मिलता क्योंकि कटऑफ हाई जाता है। उस साल की मेरिट लिस्ट के हिसाब से ऋष‍िता के नंबर नहीं आए। मजबूरी में ऋष‍िता को इंग्लिश लिट्रेचर से ग्रेजुएशन करना पड़ा। यहीं उन्‍होंने तय किया कि वह सिविल सर्विसेस के क्षेत्र में करियर बनाएंगी। लक्ष्य तय कर लेने के बाद उन्होंने तैयारी पर फोकस किया। वह साल 2015 था, जब ऋष‍िता ने तय किया कि वह यूपीएससी की परीक्षा देंगी। ऋष‍िता की खूबी है कि वह पहली बार में ही टार्गेट अचीव करने में यकीन करती हैं। एक इंटरव्यू में ऋष‍िता ने कहा कि मैंने अपने आप से यह कभी कहा ही नहीं कि और मौके मिल जाएंगे। मैं ठान चुकी थी कि सेलेक्ट होना है तो पहली बार में ही होना है।

IAS First attempt success strategy of Rishita

ऋष‍िता ने कोचिंग की, नोट्स बनाए, मॉक टेस्ट दिए, खूब रिवीज़न किया और रिसोर्सेस जैसे इंटरनेट का पूरा इस्तेमाल किया। ऋष‍िता ने हर ऐंगल से तैयारी की। किताबें सीमित रखीं पर बार-बार उन्हें दोहराया। कांसेप्ट्स हमेशा क्लियर रखे और बेस मजबूत करने के लिए सबसे पहले NCERT की किताबें पढ़ीं।

ये हैं तैयारी के संसाधन

ऋष‍िता मानती हैं कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत पैसे की जरूरत नहीं है। एक लैपटॉप, बढ़िया नेट कनेक्शन, कुछ किताबें, प्रिंटर और संभव हो तो कोचिंग के एनुअल नोट्स। बस इतना ही तैयारी के लिए काफी है क्योंकि आजकल ऑनलाइन लगभग सारी चीजें मिल जाती हैं। ऑप्शन चुनते समय केवल अपने  दिल की सुनें और पूरी तैयारी स्ट्रेटजी बनाकर करें। नोट्स बनाते चलें और उतना ही पढ़ें जितने को रिवाइज़ कर सकें। ऐसे टॉपिक्स या किताबें पढ़ने से कोई फायदा नहीं जिन्हें रिवाइज़ न कर सकें। लगातार न्यूज़पेपर पढ़ते रहें और मंथ्ली मैगज़ीन भी जरूर पढ़ें।

प्रैक्टिस नहीं की तो सब बेकार

ऋष‍िता लिखने के अभ्यास पर बहुत जोर देती हैं। उन्होंने mains  paper के पहले 15 दिन तक लगभग रोज़ टेस्ट दिए, जिससे उनकी स्पीड बहुत सुधरी। इसके साथ ही मॉक टेस्ट ने भी काफी फायदा पहुंचाया। ऋष‍िता कहती हैं कि रिजल्ट पर फोकस न करने की जगह केवल तैयारियों पर ध्यान दें। अगर तैयारियां अच्छी होंगी तो रिजल्ट अच्छा आना स्वाभाविक है।