- भाजपा के सेकंड लाइन के नेता, सांसद -विधायक मथुरा मुद्दे को उठाने लगे हैं।
- 2022 के चुनावों को देखते हुए भाजपा अयोध्या-काशी के साथ-साथ मथुरा के मुद्दे को जोर-शोर से उठा सकती है।
- पश्चिमी यूपी में पार्टी को सपा-आरएलडी के खिलाफ बड़ा मुद्दा मिल सकता है।
नई दिल्ली: पहले उत्तर प्रदेश सरकर में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उसके बाद कर्नाटक के हुबली से भाजपा विधायक अरविंद बेलाड और अब मथुरा से सांसद हेमा मालिनी, इन तीनों नेताओं में एक चीज कॉमन है। ये तीनों मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की बात कर रहे हैं। तीनों भाजपा नेताओं के बयानों से साफ है कि अब भाजपा धीरे-धीरे मथुरा मुद्दे को गरमाना चाहती है। और उसके लिए पार्टी ने ट्रॉयल शुरू कर दिया है। क्योंकि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण शुरू होने और बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद, अब मथुरा ऐसा मुदद्दा है जो पार्टी को रास आ सकता है।
नेताओं ने क्या दिए बयान
- एक दिसंबर को यूपी के मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए कहा कि अयोध्या, काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी और मथुरा की तैयारी है।
- इसके बाद कर्नाटक के हुबली से भाजपा विधायक अरविंद बेलाड का भी बयान आया है। उन्होंने 13 दिसंबर को कहा कि हिंदुओं के लिए मथुरा और वाराणसी का मुद्दा खत्म नहीं हुआ है। हम हिंदू के रूप में महसूस करते हैं कि हमारे महान धार्मिक महत्व के स्थानों के साथ अन्याय किया गया है। इसे ठीक किया जाना चाहिए और मथुरा और वाराणसी के साथ न्याय किया जाना चाहिए।
- इसी तरह 19 दिसंबर को मथुरा से सांसद हेमा मालिनी ने इंदौर में कहा 'मथुरा का सांसद होने के नाते जो कि भगवान कृष्ण की जन्मभूमि एवं प्रेम का प्रतीक है, मैं यही कहूंगी कि यहां भी भव्य मंदिर होना चाहिए। यहां एक मंदिर पहले से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का जिस तरह से निर्माण कराया है वैसा ही यहां भी भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए।'
मुथरा को मुद्दा बनाना चाह रही है भाजपा ?
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन से जिस तरह भाजपा को बार-बार फायदा मिलता रहा है, उसे देखते हुए भाजपा ने यूपी के चुनावों को देखते हुए एक बार फिर से अयोध्या, काशी को भुनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल खुद दो दिन बनारस में रुककर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह किया। उसके बाद भाजपा के 12 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों और फिर 100 से ज्यादा मेयर की मीटिंग की। और उसके बाद भाजपा के मुख्यमंत्रियों, उप मुख्यमंत्रियों और 100 से ज्यादा मेयर अयोध्या पहुंचे। उसके बाद मथुरा को लेकर भाजपा नेताओं के बयान आ रहे हैं, उससे साफ है कि भाजपा अयोध्या-मथुरा-काशी की याद लगातार वोटरों को याद दिलाते रहना चाहती हैं।
पश्चिमी यूपी में भाजपा के लिए अहम है मथुरा
यूपी सत्ता में दोबारा वापसी के लिए भाजपा का पश्चिमी यूपी में मजबूत प्रदर्शन करना जरूरी है। लेकिन किसान आंदोलन के बाद जिस तरह से भाजपा नेताओं का क्षेत्र में विरोध हुआ और समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन हुआ है, उसके बाद भाजपा के लिए पश्चिमी यूपी में 2017 जैसा प्रदर्शन करना आसान नहीं रह गया है। भाजपा को 2017 के चुनावों में पश्चिमी यूपी की 130 सीटों में से 80 से ज्यादा सीटें मिली थीं।
इसलिए भाजपा स्थानीय क्षेत्र की जन सांख्यिकी और धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए मथुरा मुद्दे को गरमाना चाहती हैं। इस क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण में मानने वालों की बड़ी संख्या है। जिसमें यादव , जाट, गुर्जर जैसी जातियां भी शामिल है। एक सूत्र का कहना है कि मथुरा ऐसा मुद्दा है जो समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है। उसकी वजह यह है कि भगवान कृष्ण खुद यदुवंशी हैं और समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा समर्थन यादवों का ही है। जहां तक भाजपा के मुद्दा बनाने की बात है कि तो अभी तक औपचारिक रूप से काशी और मथुरा में मंदिर निर्माण का औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है। लेकिन पार्टी के नेता काशी और मथुरा के मुद्दे को उठाते रहते हैं।
साफ है कि भाजपा मथुरा जन्मभूमि के मुद्दे के जरिए पश्चिमी यूपी में हिंदू वोटों को एक जुट करना चाहती है। और उसने धीरे-धीरे मुद्दे को भुनाने के लिए नेताओं के जरिए संकेत देने शुरू कर दिए हैं।