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जयंत चौधरी ने जाटों की पगड़ी नीलाम की है, जाटलैंड में पहले से भी ज्यादा सीटें जीतेगी BJP: डॉ. अंतुल तेवतिया

Updated Jan 30, 2022 | 15:14 IST

UP Assembly Elections 2022 : पश्चिमी यूपी की सीटों पर जाट समुदाय का दबदबे और इसकी अहमियत इतनी है कि कोई भी राजनीतिक दल इसे हल्के में नहीं ले सकता। सभी राजनीतिक दल जाट समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिशों में जुटे हैं।

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पश्चिमी यूपी में 11 जिलों की 58 सीटों पर 10 फरवरी को है मतदान।

किसान बहुल क्षेत्र जाटलैंड में सियासी लड़ाई तेज हो चुकी है। पश्चिमी यूपी में अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कई केंद्रीय मंत्री पश्चिमी यूपी में डेरा डाले हैं। भाजपा के दिग्गज घर-घर जाकर लोगों से मिलकर चुनावी माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश में हैं। पश्चिमी यूपी की सीटों पर जाट समुदाय का दबदबा और इसकी अहमियत इतनी ज्यादा है कि कोई भी राजनीतिक दल इसे हल्के में नहीं ले सकता। सपा-रालोद गठबंधन पश्चिमी यूपी में इस बार भाजपा के लिए कितनी बड़ी चुनौती है, इस पर टाइम्स नाउ नवभारत के आलोक कुमार राव ने बुलंदशहर की जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. अंतुल तेवतिया के साथ खास बातचीत की है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-

सवाल- हाल ही में जाट समुदाय के नेताओं के साथ केंद्रीय गृह मंत्री की हुई बैठक में किन बातों और मुद्दों पर चर्चा हुई? 

जवाब- इस बैठक में क्षेत्र में किसानों की समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। गृह मंत्री ने कहा कि किसानों का गन्ना भुगतान जो रुका हुआ है उसे शीघ्र ही लौटाया जाएगा। बैठक में सीएए, एक्सप्रेसवे, मेडिकल कॉलेज, केंद्र एवं राज्य की योजनाओं के बारे में चर्चा हुई। इस बात का जिक्र हुआ कि कैसे इन योजनाओं से लोगों के जीवन में बदलाव आया है। गृह मंत्री के साथ हुई चर्चा से एक सकारात्मक माहौल बना। शाह से मिलने के बाद सभी का आत्मविश्वास एवं जोश दोगुना हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री ने छोटी-छोटी सभाएं कर लोगों को जागरूक करने की बात कही।  

सवाल-इस बैठक में जाट समुदाय के नेता शामिल हुए, भाजपा को क्यों लगा कि इस समुदाय को मनाना चाहिए? 

जवाब-बैठक में मनाने की कोशिश नहीं थी। बल्कि इस बैठक में आमने-सामने का संवाद हुआ। कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष के कुछ नेताओं ने किसानों को बरगलाने का काम किया है। उन्होंने एक नजरिया गढ़ने का असफल प्रयास किया है कि जाट समुदाय में भाजपा के खिलाफ नाराजगी एवं गुस्सा है और इस चुनाव में यह समुदाय भाजपा के साथ नहीं है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। बैठक में इस भ्रम को दूर करने की कोशिश हुई। बैठक में कई खापों के चौधरी और जाट महासभाओं के अध्यक्ष थे। समुदाय के वरिष्ठ एवं बुजुर्ग लोग इस बैठक में शामिल हुए। बैठक में यह बताया गया कि जयंत चौधरी ने सैफई के निजाम के सामने अपनी पगड़ी नीलाम की है। हम इसके खिलाफ हैं। जाट समुदाय का वोट उस पार्टी के लिए है जो राष्ट्रहित के लिए काम कर रही है। बैठक के बाद सब एक मत से निकले कि जाट समुदाय इस बार भी भाजपा के साथ खड़ा रहेगा।

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सवाल-गृह मंत्री ने जयंत चौधरी को भाजपा के साथ आने की पेशकश की? क्या यह ऑफर और पहले नहीं दिया जाना चाहिए था?

जवाब- हो सकता है, इस बारे में गृह मंत्री जी की जयंत चौधरी से कोई बात हुई हो। भाजपा के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। भाजपा अंत्योदय पर काम करती है। समाज के अंतिम व्यक्ति के विकास के बारे में, लोगों को मजबूत करने के बारे में पार्टी सोचती है। जयंत जी यदि भाजपा के साथ जुड़ते हैं तो यह उनकी पार्टी के लिए भी अच्छा रहेगा। जयंत जी ऐसी पार्टी को समर्थन दे रहे हैं जिसने कभी राष्ट्रहित में काम नहीं किया। सपा सरकार में महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थीं। इस सरकार ने हमेशा दबंगों, माफियाओं एवं गुंडों का साथ दिया। उस पार्टी को समर्थन देना जयंत जी का सबसे बड़ा गलत निर्णय है। 

सवाल-पिछले चुनाव में रालोद को एक सीट मिली थी, सपा से गठबंधन के बाद क्या इस बार उसकी सीटे बढ़ेंगी? आपको क्या लगता है? 

जवाब-रालोद को इस बार एक सीट भी नहीं मिलेगी। जयंत चौधरी अपनी पार्टी को जाटों की पार्टी कहते हैं लेकिन उन्होंने साबित कर दिया है कि वह जाट विरोधी हैं। भाजपा ने करीब 18 सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं लेकिन यह देखना होगा कि रालोद प्रमुख ने जाट समुदाय और अन्य समुदाय के लोगों को कितने टिकट दिए हैं। मैं समझती हूं कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है। उन्हें जाट समुदाय के उम्मीदवारों को ज्यादा टिकट देना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। एक तरफ चौधरी साहब यह भी कहते हैं कि उन्होंने जाटों का ठेका नहीं लिया है तो दूसरी तरफ अमित शाह जी हैं जो जाट नेताओं का सम्मान करते हैं। जाट समुदाय के स्वभिमान के लिए भाजपा हमेशा खड़ा रहती है। जयंत जी के बयानबाजी से जाट समुदाय में गुस्सा है। मुझे नहीं लगता कि उन्हें एक सीट भी आएगी। 

सवाल-पश्चिमी यूपी में भाजपा इस बार कितनी सीटें जीतेगी?

जवाब- भाजपा पिछली बार से ज्यादा सीटें इस बार जीतेगी। जनता जागरूक है। उसे सरकार के कामकाज और योजनाओं के बारे में पता है। राज्य में विकास कार्य हुए हैं। उसे मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। लोग समझदार हैं। इस बार भी जनता बुद्धिमानी का परिचय देते हुए भाजपा को चुनेगी। 

सवाल- पश्चिमी यूपी के किसानों में क्या भाजपा के प्रति गुस्सा है?

जवाब- बिल्कुल नहीं, कृषि कानूनों को लेकर किसानों में सरकार के प्रति कोई नाराजगी नहीं है। विपक्ष केवल इस बात का मिथ्या प्रचार कर लोगों को भ्रमित कर रहा है। एक नजरिया गढ़ने की कोशिश की गई कि पश्चिमी यूपी के किसान भाजपा से नाराज हैं। पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में भाजपा के प्रति प्रेम देख रहा है। भाजपा के लिए महिलाओं में जबर्दस्त समर्थन है। साइलेंट वोटर भाजपा के साथ हैं।

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सवाल-क्या चुनाव बाद भी जयंत चौधरी के लिए भाजपा के दरवाजे खुले रहेंगे? 

जवाब-देखिए, महागठबंधन में उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। गठबंधन में भी कुछ हासिल नहीं होगा। फिर उनके पास विकल्प नहीं बचता है। भाजपा सभी का स्वागत करती है। अखिलेश जी आएं उनका भी स्वागत है। अपर्णा जी का हमने स्वागत किया है।   

सवाल-बुलंदशहर की सात में से चार सीटों पर भाजपा ने इस बार अपने उम्मीदवार बदले हैं, क्या इन सीटों पर हार का डर था?

जवाब- पार्टी को जहां भी लगता है कि उसे प्रत्याशी बदलने की जरूरत है तो वह उस पर निर्णय लेती है। कई बाद प्रत्याशी का एज फैक्टर भी काम करता है। अन्य विधानसभाओं में जरूरी बदलाव किया गया है। बदलाव बुरा नहीं होता है। सभी विधानसभा सीटों पर योग्य एव स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। इस बार बुलंदशहर जिले की सभी सीटें भाजपा जीतेगी। 

सवाल-सूबे में इस बार भाजपा को कितनी सीटें मिलेंगी? 

जवाब-इस बार 2017 से ज्यादा सीटें हम जीतेंगे और प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे। 

सवाल-प्रियंका गांधी का नारा 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' विवादों में रहा है। यूपी में पार्टी महिलाओं को टिकट देती है लेकिन उत्तराखंड और अन्य राज्यों में अपने इस नारे पर अमल करते नहीं दिखती। क्या इस तरह के नारे और वादे कांग्रेस को फायदा पहुंचाएंगे? 

जवाब-राहुल गांधी जब केरल जाते हैं तो वह क्रास पहन लेते हैं। कहीं दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं तो कभी गंगा में स्नान कर लेते हैं। प्रियंका जी को 50 साल की उम्र में समझ में आता है कि 'लड़की हूं लड़ सकती हूं'। जबकि भाजपा की बहनों में रानी लक्ष्मीबाई, जीजाबाई का संस्कार शुरू से रहता है। वे इन वीरांगनाओं से प्रेरित हैं। वे चुनाव में रणचंडी बनकर उतरती हैं। यह प्रियंका और कांग्रेस पार्टी का चुनावी जुमला भर है।