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हरीश रावत से नाराज किशोर उपाध्याय क्या कांग्रेस छोड़ बीजेपी का थामेंगे दामन?

गौरव श्रीवास्तव | कॉरेस्पोंडेंट
Updated Jan 04, 2022 | 19:46 IST

बीते एक साल में किशोर उपाध्याय कई बार चर्चा में आए कि वो कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। चुनाव प्रचार से लेकर तमाम संगठनात्मक फैसलों में दरकिनार किए जाने से किशोर उपाध्याय आहत हैं।

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किशोर उपाध्याय

कांग्रेस को इस बार उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में जीत की उम्मीद है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के चेहरे पर चुनाव प्रचार में जुटी कांग्रेस मौजूदा बीजेपी सरकार के खिलाफ काफी आक्रामक चुनाव प्रचार कर रही है। लेकिन राज्य के एक बड़े ब्राह्मण नेता जो गांधी परिवार के करीबी भी माने जाते हैं वो अपनी ही पार्टी से खासे नाराज नजर आ रहे हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि उनकी नाराजगी की वजह के पीछे पार्टी के दिग्गज हरीश रावत हैं जो उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।

बीते एक साल में किशोर उपाध्याय कई बार चर्चा में आए कि वो कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और उत्तराखंड बीजेपी के संगठन महासचिव अरुण कुमार से कल देर रात देहरादून में हुई मुलाकात के बाद ये अटकलें तेज हो गई कि वो पाला बदल सकते हैं। हालांकि जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो वो उनका जवाब था कि उत्तराखंड राज्य के जल, जंगल, जमीन के मुद्दे पर वो हर दल के लोगों से मिल रहे हैं, इसको किसी और नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। लेकिन राजनीति में जो दिखता है वो हमेशा होता नहीं है। उत्तराखंड में कांग्रेस को स्थापित करने में किशोर उपाध्याय की बड़ी भूमिका मानी जाती है। लेकिन चुनाव प्रचार से लेकर तमाम संगठनात्मक फैसलों में दरकिनार किए जाने से किशोर उपाध्याय आहत हैं। अपनी नाखुशी को वो इशारों इशारों में बताते रहते हैं लेकिन उनका कोई भी अगला राजनीतिक कदम पार्टी आलाकमान के रुख पर निर्भर करेगा।

पार्टी के सूत्र बताते हैं कि किशोर उपाध्याय भाजपा के अलावा अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के भी सम्पर्क में हैं। किशोर उपाध्याय के करीबी सूत्रों का कहना है कि हरीश रावत उनकी लगातार अनदेखी कर रहे हैं। हाल में राहुल गांधी के साथ हुई मुलाकात के बाद भी हरीश रावमुद्देत के रवैये में सुधार नहीं आया।

टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत में किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड राज्य गठन की मांग के पीछे एक मकसद था। लेकिन ज्यादातर चुनावी प्रचार नकारात्मक मुद्दों पर हो रहा है। जल, जंगल, जमीन के मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं है। आज कांग्रेस की हालत उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश जैसी नहीं है उसके पीछे हमारे जैसे कार्यकर्ता हैं। अगर किसी नेता को लगता है कि लोग उसे कंधे पर बैठाकर घुमा रहे है और उसे लगने लगे कि वो बड़ा नेता है तो ऐसा नहीं है। 'इससे इशारों इशारों में किशोर उपाध्याय ज़ाहिर कर रहे हैं कि उनकी नाराजगी किससे है।