- मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरू नत्थू सिंह थे।
- मुलायम सिंह यादव पहली बार 1989 में जनता दल के नेता के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।
- मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया।
नई दिल्ली: 2022 का दंगल उत्तर प्रदेश में सज चुका है। और इस बार के दंगल में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो इस बार राजनीति में सीधे तौर पर सक्रिय नहीं है। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले 40 साल से ज्यादा समय से उनका खास प्रभाव रहा है। आज हम ऐसे ही एक शख्स के बारे में बता रहे हैं, जिसने अपना करियर एक पहलवान के रूप में शुरू किया और अपने चपल दांवों से उत्तर प्रदेश का तीन बार मुख्यमंत्री बना। और अब उनके बेटे, उनकी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। जी हां हम बात समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की कर रहे हैं।
एक कुश्ती ने बदली जिंदगी
बात 1962 की है, जसवंत नगर क्षेत्र के एक गांव में विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा था। और वहां पर एक कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा था। प्रतियोगिता को देखने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे नत्थू सिंह पहुंचे थे। मुलायम सिंह ने कई पहलवानों को चारों खाने चित कर दिया। उनके इस कौशल को देखकर नत्थू सिंह प्रभावित हो गए और उन्होंने अपना हाथ मुलायम के सिर पर रख दिया। और यहीं से मुलायम सिंह यादव और नत्थू सिंह के बीच गुरु शिष्य का रिश्ता शुरू हो गया।
1967 के चुनाव में मिला जीत का स्वाद
अब तक मुलायम सिंह यादव पहलवान के साथ-साथ स्कूल टीचर बन चुके थे। इस बीच 1967 में गुरू नत्थू सिंह के समर्थन से मुलामय सिंह को संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधान सभा चुनाव लड़ने का मौका मिल गया। और मुलायम सिंह ने अपने गुरू को निराश नहीं किया। मुलायम सिंह ने जसवंत नगर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार लाखन सिंह यादव को हरा दिया। और वहां से मुलायम सिंह का राजनीतिक करियर आगे बढ़ता चला गया।
तीन बार बने मुख्यमंत्री
जनता दल से अलग होने के बाद मुलायम सिंह यादव ने 1992में समाजवादी पार्टी बनाई। इसके पहले वह 1989 में जनता दल के नेता के रूप में प्रदेश की कमान करीब दो साल तक संभाल चुके थे। इसके बाद 1993 से 1996 तक और 2003 से 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे। मुलायम सिंह यादव, राज्य की राजनीति के अलावा केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे और रक्षा मंत्री भी बने। इस बीच उनके कार्यकाल के दौरान 1990 में अयोध्या में कारसेवकों के ऊपर गोली भी चलाई गई। जिसके बाद से भाजपा उन पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाती रही । हालांकि मुलायम सिंह यादव का यही कहना था कि एक मुख्यमंत्री के रुप में जो उनका कर्तव्य था, वहीं उन्होंने किया।