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UP Assembly Elections 2022: यूपी की सियासी लड़ाई में सब बा, का बा की एंट्री, दिलचस्प प्रचार

Updated Jan 17, 2022 | 07:58 IST

यूपी की सियासी लड़ाई में अब राजनीतिक दल या व्यंग कसने वाले राजनीतिक तस्वीर को पेश कर रहे हैं। बीजेपी सांसद रवि किशन ने जब सब बा का जिक्र किया गया तो लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने का बा से जवाब दिया जिसका इस्तेमाल एनसीपी नेता नवाब मलिक ने अपने अंदाज में किया।

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UP Assembly Elections 2022: यूपी के सियासी घमासान में सब बा, का बा की एंट्री
मुख्य बातें
  • यूपी में सात चरणों में 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च तक चुनाव
  • 10 मार्च को नतीजे आएंगे
  • सुर संगीत के जरिए राजनीतिक दल एक दूसरे पर साध रहे हैं निशाना

देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी चुनावी संग्राम के लिए तैयार है। राजनीतिक दल एक एक कर पहले और दूसरे चरण के चुनाव के लिए योद्धाओं को जनता के सामने पेश कर चुके हैं। राजनीतिक दल एक तरफ अपने विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं तो दूसरी तरफ रोडमैप को भी बता रहे हैं। इन सबके बीच सुर संगीत के जरिए अपनी अच्छाई और दूसरे की बुराई के बारे में भी जनता को बताया जा रहा है।

रवि किशन बोले- यूपी में सब बा
गोरखपुर से सांसद रवि किशन अपने चुनावी गीत में बताते हैं कि किस तरह से योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश आगे बढ़ा है, वो बताते हैं कि मोदी योगी के राज में क्या क्या नहीं हुआ। वो कहते हैं कि यूपी में तो अब सब बा। रवि किशन ने अपने गाने के जरिए यह बताया है कि यूपी में अब तक जो नहीं था वो सबकुछ है। यूपी में कानून का राज है, सड़कों का जाल है, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था है, बिजली है, लोगों को अन्न की कमी नहीं है और यह सब कुछ मोदी योगी की वजह से संभव हो सका है।  

नेहा राठौर ने कसा तंज
लेकिन उनके सब बा पर लोक संगीत से जुड़ी नेहा सिंह राठौर ने सवाल पूछते हुए जवाब और तंज कसा है कि यूपी में का बा। खास बात यह है कि नेहा सिंह राठौर के इस गाने को एनसीपी नेता नवाब मलिक ने ट्वीट किया है। नेहा राठौर ने अपनी गीत में उन सभी प्रसंगों पर कटाक्ष किया है जिसे रवि किशन ने अपनी सरकार की कामयाबी के तौर पर पेश किया है। 


जानकार कहते हैं कि इस तरह की पैरोडी से मतदाताओं के दिमाग या मिजाज पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है। इस तरह के गानों के जरिए राजनीतिक दल समां बांधने की कोशिश करते हैं। अगर आप यूपी के किसी हिस्से में जाएं तो चुनाव के दौरान लोकसंगीत के जरिए भीड़ जुटाने और उसे बांधे रहने की कोशिश की जाती है।