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Pandit Shivkumar Sharma के हाथों में सजते ही विश्व पटल पर चमकने लगा कश्मीर का संतूर, जानें पूरी यात्रा

Updated May 10, 2022 | 14:46 IST

Pandit Shiv Kumar Sharma: आज देश ने अपना दिग्गज संगीतकार खोया है। देश के मशहूर शास्त्रीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का निधन हो गया है। आपको बता दें की 84 वर्षीय शर्मा 6 महीनों से किडनी से जुड़ी समस्या से पीड़ित थे और मंगलवार को कार्डिएक अरेस्ट से निधन हो गया।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा
मुख्य बातें
  • क्या है संतूर की पूरी कहानी
  • बॉलीवुड में भी शामिल हुए संतूर
  • संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा का निधन

Pandit Shiv Kumar Sharma Death: आज का दिन संगीत की दुनिया के लिए बेहद दुखद रहा। विश्व के प्रख्यात संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा का लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया। वो संतूर, जो कभी केवल जम्मू कश्मीर में ही स्थानीय और अल्प ज्ञात यंत्र के तौर पर जाना जाता था, पंडित जी के हाथों के आते ही वो ऐसा जादुई वाद्य यंत्र हो गया कि ना केवल ये यंत्र शास्त्रीय संगीत का हिस्सा बन गया बल्कि इसकी जादुई आवाज भारत से निकल कर विश्व के हर देश में जा पहुंची। पंडित जी के हाथों का कमाल था कि संतूर पर काफी काम हुआ और विश्व पटल पर अब संतूर को फ्यूजन में भी शामिल करके नया संगीत ईजाद किए जाने पर काम हो रहा है। 

क्या है संतूर 

संतूर दरअसल सौ तारों की वीणा के रूप में जाना जाता है। मोटे तौर पर समझा जाए तो लकड़ी का एक चौकोर बाक्स जो मेरू यानी गुटकों की बनावट से सजा है। इन गुटकों पर धातु के 100 तार (हर गुटके पर चार तार)  बांधे जाते हैं जिन्हें बजाने पर सुरमई संगीत निकलता है। इन्हें हाथ से नहीं बजाया जा सकता, मुड़ी हुई डंडियों का प्रयोग करके इस संतूर से बेहद संगीतमय सुर निकलते हैं। जब संतूर बजता है तो ऐसा लगता है मानों कांच और पानी की पारदर्शिता एक साथ सुरमई हो रही है।

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जम्मू कश्मीर में संतूर

कभी संतूर केवल जम्मू कश्मीर में सूफी संगीत के दौरान इस्तेमाल किया जाता था। यहां तक कि कश्मीर के आस-पास तक इसकी ख्याति नहीं थी। हालांकि कहा ये भी जाता है कि करीब 1800 साल पहले संतूर ईरान के रास्ते होते हुए एशिया आया लेकिन जम्मू कश्मीर की लोक कला संस्कृति में इसे दिल खोलकर अपनाया गया क्योंकि सूफी संगीत में इसकी अहमियत जान ली गई थी। 

शास्त्रीय संगीत और फ्यूजन में भी शामिल

संतूर को पंडित शिवकुमार शर्मा ने वो स्वरूप दिया जिसके चलते वो शास्त्रीय संगीत की विधा में शामिल हो पाया। महज 13 साल की उम्र में पंडित शिव कुमार शर्मा ने संतूर बजाया और ताउम्र वो संगीत साधना इस वाद्य यंत्र को इस्तेमाल करते रहे और इसी वजह से संतूर केवल भारत के शास्त्रीय संगीत की शोभा ही नहीं बना बल्कि इसे देश विदेश के फ्यूजन में भी शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ।

बॉलीवुड में संतूर

पंडित शिवकुमार शर्मा की सरपरस्ती में संतूर को बॉलीवुड में भी शामिल होने का मौका मिला। यशराज फिल्म की कालजयी फिल्मों सिलसिला, चांदनी और लम्हे के सुपरहिट गानों में पंडित शिवकुमार शर्मा ने संतूर को शामिल करते हुए शानदार म्यूजिक दिया।

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