- बॉलीवुड के मोगैंबो अमरीश पुरी का पर्दे पर कोई मुकाबला नहीं था
- अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आए थे
- किस्मत को कुछ और मंजूर था। जिसके बाद वे विलेन बन गए
Amrish Puri: बॉलीवुड के मोगैंबो अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आए थे लेकिन किस्मत ने उन्हें विलेन बना दिया। नायक से लेकर खलनायक तक की भूमिका निभाने वाले मशहूर अभिनेता अमरीश पुरी ने 1967 में मराठी फिल्म 'शंततु! कोर्ट चालू आहे' से डेब्यू किया। 1971 में 'रेशमा और शेरा' से उन्होंने बॉलीवुड डेब्यू किया था। अमरीश पुरी ने जब फिल्मों में काम मांगना शुरू किया तो उनसे कहा गया कि तुम्हारा चेहरा हीरो की तरह नहीं है जिससे वह काफी निराश हुए।
बावजूद इसके वह संघर्ष करते रहे। पर्दे पर 30 साल के करियर में उन्होंने 400 से ज्यादा फिल्में कीं। अमरीश पुरी को आज भी बॉलीवुड का बेस्ट विलेन माना जाता है। मिस्टर इंडिया, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे, घातक, दामिनी, करण-अर्जुन इन सभी फिल्मों में बड़े-बड़े सुपरस्टार हीरो के किरदार में थे, लेकिन इन फिल्मों को सुपरहिट बनाने में फिल्म के विलेन अमरीश पुरी का बड़ा योगदान था।
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अमरीश पुरी की फीस के बारे में जब बात होती है तो जानकार कहते हैं कि वे उस दौर के सबसे महंगे विलेन थे। उनकी फीस देने में मेकर्स के पसीने छूट जाया करते थे। बताते हैं कि अमरीश पुरी ने एनएन सिप्पी की एक फिल्म मुंहमांगी फीस ना मिलने की वजह से छोड़ दी थी। उन्होंने फिल्म के लिए 80 लाख रुपए मांगे थे लेकिन उन्हें इतनी फीस सिप्पी तैयार नहीं थे तो उन्होंने फिल्म छोड़ दी थी।
ये था अमरीश पुरी का मानना
अपनी फीस को लेकर वह काफी गंभीर थे। वह कहते थे कि जब मैं पर्दे पर काम के साथ समझौता नहीं करता हूं तो फीस के साथ क्यों करूं। मेरी अदाकारी की बदौलत मेकर्स की कमाई होती है तो मैं भी अपना पूरा हिस्सा लूंगा। वह जब भी पर्दे पर विलेन बनकर आते थे तो वाकई लोग डर जाते थे। वह दमदार संवाद अदायगी के लिए भी मशहूर थे। इतने सीनियर एक्टर होने के बावजूद वह घंटों रिहर्सल करते ताकि पर्दे पर कोई कमी ना रह जाए।