- भोसले से पहले छपाक में भी नजर आ चुकी हैं इप्षिता चक्रवर्ती सिंह
- भोसले से पहले छपाक में भी नजर आ चुकी हैं इप्षिता चक्रवर्ती सिंह
- नेपोटिज्म पर इप्षिता का कहना है कि बॉलीवुड ही नहीं, इसका राज तो हर जगह है
बॉलीवुड के उम्दा अभिनेता मनोज बाजपेयी और इप्षिता चक्रवर्ती सिंह की फिल्म भोसले, 26 जून को ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हो रही है। इस फिल्म में अभिषेक बनर्जी भी खास भूमिका में हैं जो पाताल लोक में हथौड़ा त्यागी के रोल में प्रभावित कर चुके हैं।
रिलीज से पहले फिल्म में मनोज बाजपेयी के अपोजिट किरदार निभा रहीं इप्षिता चक्रवर्ती सिंह ने Times Now से एक्सक्लूसिव बात की। बता दें कि इप्षिता चक्रवर्ती सिंह मेघना गुलज़ार की फिल्म छपाक में भी नजर आ चुकी हैं।
क्या है भोसले की कहानी
Times Now से एक्सक्लूसिव बात करते हुए इप्षिता चक्रवर्ती ने फिल्म कहानी के बारे में बताया कि फिल्म की कहानी गणपत भोसले (Manoj Bajpayi) की है, जो मुंबई का एक रिटायर्ड पुलिसवाला है। जब मुंबई से बाहर शहरों से आए लोगों को निकालने में लोकल राजनेता लगे होते हैं तब भोसले की दोस्ती एक नॉर्थ इंडियन लड़की (इप्षिता चक्रवर्ती सिंह)और उसके भाई से होती है। इप्षिता चक्रवर्ती सिंह इस फिल्म में बिहार की रहने वाली एक नर्स का किरदार निभा रही हैं। उन्होंने बताया कि ट्रेलर में भोसले को एक बड़ी बीमारी से जूझते हुए भी दिखाया गया है।
उन्होंने बताया कि फिल्म विभिन्न जातीय समूहों की चिंताओं को भी संबोधित करती है और उन मुद्दों पर प्रकाश डालती है जो उनके घर से दूर मुंबई जैसे शहर में जीवित रहने के लिए सामना करते हैं।
2018 के बाद अब रिलीज हो रही है फिल्म
एक्ट्रेस इप्षिता आगे बताती हैं कि ये फिल्म साल 2018 में रिलीज़ होने वाली थी। फिल्म को देवाशीष मखीजा ने लिखा और निर्देशित किया है। पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान फिल्म के बजट को लेकर परेशानी आ गई थी। अब इसमें खुद मनोज बाजपेयी ने पैसा लगाया है।
बॉलीवुड ही नहीं हर जगह है नेपोटिज्म
सुशांत सिंह राजपूत के सुइसाइड के बाद बॉलीवुड में एक अलग तरह की बहस छिड़ गई है। ये बहस बॉलीवुड में 'नेपोटिज्म' के लेकर छिड़ी है। अभिषेक बच्चन से लेकर सोनम कपूर तक तमाम कलाकार इस पर अपनी सफाई पेश कर चुके हैं। वहीं, 'भोसले' की एक्ट्रेस इप्षिता चक्रवर्ती सिंह ने Times Now से बातचीत करते हुए इस मुद्दे पर खुलकर बात की। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पासआउट इप्षिता चक्रवर्ती इस बात को स्वीकारती हैं कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में 'नेपोटिज्म' है। हालांकि सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि हर जगह में नेपोटिज्म है।