- जलीकट्टू को पहले सल्लीकट्टू के नाम से जाना जाता था
- सैकड़ों वर्ष पुराना है जानवरों का यह खेल
- जलीकट्टू को तमिलनाडु के लोग परंपरा से जोड़कर देखते है
Jallikattu In Academy Awards 2021: जबसे मलयालम फिल्म जलीकट्टू ऑस्कर के लिए चयनित की गई है तब से इस विवादित खेल की चर्चा फिर से चरम पर है। लोग इस खेल से जुड़ी तमाम बातें जानना चाहते हैं, लेकिन आज हम आपके लिए लाए हैं इस खेल से जुड़े सबसे अहम सवाल का जवाब। अक्सर लोग पूछते हैं कि यह खेल आया कहां से और कितने वर्षों पुराना है यह खेल? इसका जवाब जानने के लिए पूरी स्टोरी पढ़ें।
जलीकट्टू खेल की शुरुआत कब हुई
लगभग 23,00 साल पुराने इस इस विवादित खेल को पहले सलीकट्टू के नाम से जाना जाता था। सल्ली का मतलब होता है सिक्के और कट्टू का अर्थ होता है स्ट्रिंग बैग। तमिलनाडु में लोग आज भी आपको यह बैग इस्तेमाल करते हुए दिख जाएंगे। सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त एक मोहर में इस खेल के चित्र बने थे, जिसे नेशनल म्यूजियम नई दिल्ली में रखा गया है। वहीं मदुरई के नजदीक लगभग 23 सौ से 25 सौ साल पुरानी एक गुफा में एक पेंटिंग मिली है जिसमें कुछ लोग एक सांड को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। इन सभी तथ्यों से आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि यह खेल लगभग 23 सौ से 25 सौ साल पुराना है।
कहां से आया यह खेल
ऐसा माना जाता है कि इस खेल की शुरुआत दक्षिण भारत के मुल्लै स्थान से हुआ था। लगभग 400 से 100 ईसा पूर्व पहले अय्यर लोग इस खेल को खेला करते थे। इस खेल को एरु थाजहूवुथल ( Yaeru Thazhuvuthal) भी कहा जाता है।
कैसे खेला जाता है यह खेल
इस खेल को खेलने के लिए कई सांडों को दोनों तरफ से बंद एक गली के अंदर खड़ा कर दिया जाता है और उनके सींग पर कपड़ा बांध दिया जाता है, जो भी खिलाड़ी इस कपड़े को निकाल लेता है और सांड की पीठ पर ज्यादा देर तक सवार रहता है उसे विजेता घोषित कर इनाम दिया जाता है। लेकिन कई बार सांड भड़क जाते हैं और लोगों की जान तक चली जाती है।
सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है पाबंदी
साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस खेल को बैन कर दिया था। लेकिन पूरे तमिलनाडु में इसका जबरदस्त विरोध हुआ जिसके बाद इसे वैध करार कर दिया गया। हालांकि, यह खेल बेहद खतरनाक होता है अगर इसे सावधानीपूर्वक नहीं खेला जाए तो आपकी जान भी जा सकती है। सदियों से चले आ रहे इस खेल ने अब तक कई जिंदगियां अपने खुरों के नीचे कुचल दी हैं।