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फराह खान, करण जौहर से फरहान अख्तर तक, फिल्मों में एक्टिंग कर चुके हैं ये डायरेक्टर

Updated Sep 20, 2020 | 12:29 IST

कई बॉलीवुड निर्देशकों ने अभिनय पर हांथ आजमाया है। जिसमें कुछ सफल हुए अन्य बुरी तरह विफल हो गए। जानिए ऐसे दस निर्देशकों के बारे में खास बातें, जिन्होंने फिल्मों में अभिनय किया है।

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Karan Johar

मुंबई. हम थियेटर में पर्दे पर दिखने वाले हीरो और हीरोइन को तो याद रखते हैं। लेकिन फिल्म को पर्दे पर दिखने वाले हीरो-हीरोइन फिल्म के असली नायक नहीं होते बल्कि फिल्म को बनाता है निर्देशक जिसकी उंगलियों पर सारे किरदार नाचते हैं। 

इन वर्षों में कई बॉलीवुड निर्देशकों ने अभिनय पर हांथ आजमाया है। जिसमें कुछ सफल हुए अन्य बुरी तरह विफल हो गए। यहां हम ऐसे निर्देशकों की बात करेंगे जिन्होंने पिछले दशकों में फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं ।

करण जौहर
करण जौहर ने बॉम्बे वेलवेट में एक पूर्ण भूमिका निभाने से पहले दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में एक कैमियो भूमिका निभाई। फिल्म का निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर डूड बनी और फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए करण की आलोचना की गई।

अनुराग बसु
अनुराग बसु, जिन्हें लाइफ इन ए ... मेट्रो, काइट्स, गैंगस्टर, और मर्डर जैसी फिल्मों का निर्देशन करने के लिए जाना जाता है। बासु की अब तक की सबसे हिट फिल्म बर्फी रही जिसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था।

बर्फी में रणबीर कपूर,इलियाना डिक्रूज और प्रयंका चोपड़ा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी इस फिल्म को हर जगह आलोचकों और प्रशंसकों द्वारा सराहा गया। इसके बाद लगातार कई ऐसी फिल्में आई जिसने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया। 

फराह खान 
फराह खान ने एक कोरियोग्राफर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की और बाद में उन्होंने कई फिल्मों जैसे ‘मैं हूं ना, ‘ओम शांति ओम’, और ‘तीस मार खान’ जैसी फिल्मों में काम किया।

फराह खान ने कई फिल्मों में छोटी भूमिकाएं निभाईं, लेकिन उन्होंने 2012 की फिल्म ‘शिरीन फरहाद की तो निकल पड़ी’ में बोमन ईरानी के साथ मुख्य अभिनेत्री की जगह ली। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था।

प्रकाश झा 
प्रकाश झा, जिन्होंने कई सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्में बनाई हैं जैसे कि अपहरन, मृत्युमदंड, गंगाजल, और सत्याशग्रह। फिल्म जय गंगाजल में प्रकाश झा ने एक छोटी भूमिका निभाई, जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने प्रमुख भूमिका निभाई।इस फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था।


तिग्मांशु धुलिया 
तिग्मांशु धुलिया अक्सर अपने अभिनय और कौशल के लिए जाने जाते हैं। तिग्मांशु धूलिया ने कई फिल्मों जैसे गैंग्स ऑफ वासेपुर, मांझी - द माउंटेन मैन, हीरो, मिलन टॉकीज, जीरो, आदि फिल्मों में काम किया है। आलोचक अक्सर उनके अभिनय कौशल के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं।


फरहान अख्तर 
फरहान अख्तर ने 2001 में फिल्म ‘दिल चाहता’ से निर्देशक और लेखक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। अधिकांश लोग फरहान अख्तर को अभिनेता के रूप में जानते हैं।

बहुत कम लोग यह जानकते हैं कि दिल चाहता में निर्देशक और लेखक के रूप में अपनी यात्रा शुरू किया था।  फरहान अख्तर बाद में, उन्होंने रॉक ऑन, लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा और द स्काई इज़ पिंक जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया।

सुधीर मिश्रा
सुधीर मिश्रा का जन्म लखनऊ में हुआ। वह एक भारतीय फिल्म पटकथा लेखक और निर्देशक हैं। 'जाने भी दो यारो' से लेकर इस 'रात की सुबह नहीं' और 'धारावी' से लेकर 'हज़ारों ख्वाइशें ऐसी', 'चमेली', 'खोया खोया चांद जैसी फिल्मो के लिए जाना जाता है। सुधीर मिश्रा ने मधुर भंडारकर की ट्रैफिक सिग्नल में भूमिका निभाई और उन्हें इसके लिए बहुत प्रशंसा मिली।

अमोल गुप्ते 
‘स्नोफ और हवा है’ का निर्देशन कर चुके अमोल गुप्ते ने ‘स्टेनली का डाबा’ और ‘कामिनी’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई  है।

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