- टाइगर श्रॉफ इन दिनों बागी 4 और हीरोपंती 2 को लेकर चर्चा में हैं।
- इसी बीच टाइगर श्रॉफ के बायोपिक डेब्यू की आ रही है खबर।
- टाइगर हिमालय पुत्र के नाम से मशहूर नैन सिंह रावत का किरदार निभाएंगे।
Tiger Shroff in Nain Singh Rawat Biopic: बॉलीवुड एक्टर टाइगर श्रॉफ इन दिनों बागी 4 और हीरोपंती 2 को लेकर चर्चा में हैं। मोस्ट एंटरटेनिंग और एक्शन थ्रिलर फिल्म बागी अपनी चौथी इंस्टालमेंट के साथ फिर से परदे पर लौटने के लिए तैयार है। इसकी घोषणा हो चुकी है। वहीं टाइगर दिसंबर में हीरोपंती-2 की शूटिंग शुरू करेंगे। इस बीच खबर आ रही है कि वह जल्द ही बायोपिक डेब्यू करने वाले हैं। टाइगर श्रॉफ हिमालय पुत्र के नाम से मशहूर महान खोजकर्ता, सर्वेयर और मानचित्रकार नैन सिंह रावत का किरदार निभाएंगे।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, अंग्रेजों के लिए जान जोखिम में डालकर तिब्बत जाकर वहां का नक्शा बनाने वाले नैन सिंह रावत के जीवन पर फिल्म बनाने के लिए डायरेक्टर-कोरियोग्राफर अहमद खान ने राइट्स ले लिए हैं। 16 नवंबर को वह लोकेशन जाकर देखेंगे। मंगलवार को जूम कॉल पर टाइगर श्रॉफ ने भी पूरे डेवलपमेंट का जायजा मुंबई से ही लिया। बीजेपी मिनिस्टर सतपाल महाराज के कहने पर यह प्रोजेक्टर तैयार किया जा रहा है।
कौन थे नैन सिंह रावत (Who is Nain Singh Rawat)
नैन सिंह कुमाऊं घाटी के रहने वाले थे। उन्होने नेपाल से होते हुए तिब्बत तक के व्यापारिक मार्ग का मानचित्रण किया। उन्होने ही सबसे पहले ल्हासा की स्थिति और ऊंचाई ज्ञात की। उन्होंने तिब्बत से बहने वाली मुख्य नदी त्सांगपो (Tsangpo) के बहुत बड़े भाग का मानचित्रण भी किया। सतुलज और सिंधु नदी के स्रोत भी सबसे पहले उन्होंने ही दुनिया को बताये। उनकी आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण यात्रा वर्ष 1874-75 में की। वह लद्दाख से ल्हासा गये और फिर वहां से असम पहुंचे। इस यात्रा में वह ऐसे इलाकों से गुजरे जहां दुनिया का कोई आदमी अभी तक नहीं पहुंचा था।
रोमांचक है नैन सिंह रावत की कहानी (Nain Singh Rawat Story)
नैन सिंह रावत की कहानी बेहद रोमांचक है। रावत ने अंग्रेजों के जमाने में काठमांडू से लेकर ल्हासा और मानसरोवर झील का नक्शा तैयार किया था। 1863 में नैन सिंह कश्मीर के रास्ते तिब्बत गए, जबकि उनके भाई काठमांडू के रास्ते तिब्बत निकले। उन्होंने तिब्बत को नापने के लिए अनूठा तरीका अपनाया था। वो अपनी गणनाएं कविताओं में याद रखते रहे।
ऐसे नापी भौगौलिक स्थिति (Nain Singh Rawat Work)
नैन सिंह रावत ने दिलचस्प तरीके से भौगौलिक स्थिति नापी। उनके पैरों में 33 इंच की रस्सी बांधी गई ताकि उनके कदम एक निश्चित दूरी तक ही पड़ें। 1875 में उन्होंने लेह से लेकर उदयगिरी तक 1405 मील का सफर किया। तब अंग्रेजों ने पुरस्कृत भी किया और रूहेलखंड में एक गांव जागीर के रूप में और साथ में 1000 रूपये दिये थे। उनकी यात्राओं पर कई किताबें प्रकाशित हुई हैं। उनके कार्यों पर 1876 में द ज्योग्राफिकल मैग्जीन में कई लेख प्रकाशित हुए थे।
खूब मिला सम्मान (Nain Singh Rawat Awards)
उनके कामों को देखते हुए उन्हें कम्पेनियन ऑफ द इंडियन एम्पायर का खिताब दिया गया। इसके अलावा भी अनेक संस्थाओं ने उनके काम को सराहा। एशिया का मानचित्र तैयार करने में उनका योगदान सर्वोपरि है। रॉयल जियोग्राफिकल सोसाइटी ने उन्हें स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया था। भारतीय डाक विभाग ने उनकी उपलब्धि के 139 साल बाद 27 जून 2004 को उन पर डाक टिकट निकाला था।