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Exclusive: मेंटल हेल्‍थ डे पर Pooja Bedi से जानें खुश रहने के राज, कोरोना में कैसे दूर रखें नेगेट‍िव व‍िचार

मेधा चावला | SENIOR ASSOCIATE EDITOR
Updated Oct 10, 2020 | 17:44 IST

World Mental Health Day पर एक्‍ट्रेस पूजा बेदी ने बताया है क‍ि कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी खुश कैसे रह सकते हैं। साथ ही कैसे नकारात्‍मक व‍िचारों को दूर कर ज‍िंदगी में आगे कदम बढ़ाए जा सकते हैं।

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Pooja Bedi
मुख्य बातें
  • 10 अक्‍टूबर को वर्ल्‍ड मेंटल हेल्‍थ डे मनाया जा रहा है
  • पूजा बेदी ने टाइम्‍स नाउ ह‍िंदी को बताए हैं खुश रहने के ट‍िप्‍स
  • अगर आप अपने आस पास पॉज‍िट‍िव‍िटी तलाशेंगे तो वह जरूर म‍िलेगी

कोरोना के बीच में लगे लॉकडाउन ने अचानक ज‍िंदगी की रफ्तार को रोक द‍िया। अपनी जान की फ‍िक्र को लेकर हम सब अपन घरों में कैद हो गए। इससे वायरस से तो हम बच गए लेक‍िन हमारे मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य का क्‍या जो नकारात्‍मक से घ‍िर बिगड़ रहा है। तनाव, ड‍िप्रेशन, घबराहट, अनजाना डर, अपनों से दूरी, साथ रहने वालों से अनबन, क्रोध - ये सब हमें घेर रहे हैं। ऐसे में बॉलीवुड अभ‍िनेत्री और हैपी सोल की फाउंडर पूजा बेदी ने हमारी वेबसाइट टाइम्‍स नाउ ह‍िंदी के ल‍िए ये लेख ल‍िखा है ज‍िसमें उन्‍होंने बताया है क‍ि तमाम नकारात्‍मकता से घिरने के बावजूद कैसे आप मेंटल हेल्‍थ अच्‍छी रख सकते हैं। पढ़ें इस लेख का अनुवाद - 

न्यू नॉर्मल क्या है? डिक्शनरी में इसे 'सामान्य, अपेक्षित, विशिष्ट अवस्था या स्थिति' के रूप में परिभाषित किया जाता है। लेकिन इंसान होने के नाते हम अपनी आदतों, अनुभव और प्रोग्रामिंग के आधार पर अपने परिभाषाओं का निर्माण स्वयं करते हैं। भले ही परिवर्तन कॉन्‍स्टेंट है लेकिन हम जानते हैं कि यह परिवर्तन हमें कंफर्ट एंड स्टेबिलिटी प्रदान करता है। इस लॉकडाउन ने हम सभी के जीवन को रीस्टार्ट मोड पर डाल दिया है।

सोचें लॉकडाउन में हमें क्‍या अच्‍छा मिला
इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि लोगों को लगता है कि जीवन भर मेहनत करने के बाद उन्हें आब कुछ वक्त चैन से आराम से अपने उस मेहनत के फल को खाने का मिला है। 

आर्ट कलेक्टर्स अब अपने खरीदे एंटीक पीस को ध्यान से समझने की कोशिश कर रहे हैं और उसकी सराहना कर रहे हैं। शेफ अपने परिवार वालों और दोस्तों के लिए अच्छे से अच्छा खाना बनाकर खिला रहे हैं जैसा कि वह आम दिनों में नहीं कर पाते थे, क्योंकि वह कस्टमर्स को ही बनाकर खिलाने में पूरी तरह से थक जाते थे। कई लोगों ने एक घर खरीदने के लिए कई साल तक मेहनत की लेकिन उस घर में कभी आराम नहीं कर पाए। यह समय उन्हें उस घर में आराम करने देने का है और उस घर को महसूस करने देने का है। जबकि कई लोगों ने अपने रिश्तों को इस लॉकडाउन के दौरान और बेहतर करने की कोशिश की। 

लेक‍िन ये नकारात्‍मकता भी है हावी
नकारात्मक पक्ष के अनुसार, लोगों को अपनी गलतियों और वास्तविकताओं का सामना करने के लिए मजबूर किया गया। ये उनके ऑर्डर देने की शक्ति उनके स्टैंडर्ड्स उनके सिस्टम या हाइजीन में कमी हो सकती है जिस घर में वो रहते हैं, या पूरा समय अपने पार्टनर के साथ एक घर में रहने पर इनकंपैटिबिलिटी या निराशा हो सकता है जिन्हें उन्होंने ही चुना है। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से लगातार जुटे रहना बिना किसी ब्रेक के यह भी उनको परेशान कर सकता है। हो सकता है आपको बच्चों से चिढ़ मचने लगे अपने उस रूटीन से नफरत होने लगे जो चीज है आपके लिए वाकई में मैटर करती हैं। 

ग‍िनें आपको क्‍या अच्‍छा म‍िला है 
लेकिन मेरे हिसाब से हर एक चीज पॉजिटिव है। आपको अपने ब्लेसिंग्स को काउंट करना चाहिए आपको क्या चाहिए उसे पहचानिए क्योंकि दोनों ही चीजें आपके जीवन को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है।  दोनों के साथ आगे बढ़ना ही आपके लिए बेहतर होगा क्योंकि यही 'न्यू नॉर्मल' का रास्ता है। जिंदगी में जो भी मिल रहा है उसे स्वीकार कीजिए।

अगर आपको अपनी जिंदगी में कुछ बेहतर पाना है तो आपको उसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी। क्योंकि कहा गया है, 'कुछ बेहतर पाने के लिए पागल बनना पड़ता है'। यह आपको सोचना है किस लॉकडाउन ने आपको कितना प्रभावित किया है, या तो आप इस लहर के नीचे कुचले जा सकते हैं या उसकी सवारी कर सकते हैं यह आपको तय करना है। हर किसी के लिए उसका न्यू नॉर्मल उस बात पर निर्भर करता है जो वह स्वयं के लिए चुनता है।

डाल लें न्यू नॉर्मल की आदत
अगर हम बात इस वायरस की करें तो यह अभी दूर जाता नहीं दिख रहा है, बल्कि तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है। इस वायरस के लिए वैक्सीन कब तक बनेगा इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। इसलिए तब तक आपको न्यू नॉर्मल के साथ अपनी लाइफ को जीना होगा।

कुछ लोग पिछले आंकड़ों पर नजर डालते हैं और कहते हैं कि टीबी से मरने वालों की संख्या कोविड से मरने वालों की संख्या की तीन गुनी थी। इस तरह का प्रचार, हिस्टीरिया और प्रोटोकॉल की डिग्री मानवता के लिए खतरनाक है।

वैक्सीनेशन को षडयंत्र की तरह बना दिया गया है जिसमें कहा गया कि वैक्सीन के साथ एक ऐसा चिप लगा होगा जो पॉपुलेशन कंट्रोल करेगा। इस थ्योरी ने दुनिया के कई हिस्सों में उन्माद पैदा कर दिया। सेंटर स्टेज पर एक एंटी-वैक्सीन लॉबी बनी जहां अपने डेमोक्रेटिक राइट्स को प्रैक्टिस करने की बात कही गई और यह कहा गया कि सिर्फ WHO के प्रोटोकॉल्स पर ना चिपके रहें बल्कि लाइफ को आगे बढ़ाएं।

एजुकेटेड लोगों के लिए, इनफॉर्म्ड लोगों के लिए, और जो नॉनसेंस नहीं है उन लोगों के लिए, न्यू नॉर्मल का मतलब है कि वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ें और अपने गोल को अचीव करें अपने टास्क को कंप्लीट करें और हर एक चीज को पाएं जो उन्हें डिजायरेबल लगता है और एक ऐसी जिंदगी जिए जो पॉजिटिविटी और नई चॉइस से भरा हो।

ल‍िव एंड लेट ल‍िव पर करें अमल
आजकल लोग वेबीनार, वेबसाइट और उन लोगों के पास भीड़ लगा रहे हैं जो किसी इंसान के मनोबल को बढ़ाते हैं और वह मानते हैं कि सुखी व्यक्ति सबसे धनवान है और अंदरूनी शांति एक न्यू कूल है। लॉकडाउन में इसके ऊपर जोर दिया गया है कि जिंदगी को जीना चाहिए सिर्फ जिंदगी जैसी है उसे वैसे ही बितानी नहीं चाहिए। चाहे वह किसी ड्रीम पर फोकस करना हो, अपने अंदर वाइल्डसाइड को एक्सप्लोर करना हो, जटिल समस्याओं का अंत करना हो या सिंपली अपने काबिलियत को नए वॉइस को चुनने की क्षमता को प्यार करना हो, यह सब के लिए एक नया लेवल है। 

पर्सनल फ्रीडम का और इंडिपेंडेंस पर फोकस करने का। 'ल‍िव एंड लेट ल‍िव' लोगों के लिए यह कोट एक न्यू नॉर्मल है जिससे लोग यह समझेंगे कि वह खुद को फ्री करें और दूसरों को भी जजमेंट से या संकीर्णता से आजाद करें और एक बड़े पिक्चर और लार्ज पर्पस को पकड़ें, यह उस समय बहुत डिफिकल्ट था जब लोगों के पास एक ऐसा माइक्रोस्कोप या कोन रिलेटेड लैंड था जिससे वह अपने पास्ट को देखते थे।

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