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Terror of Monkeys: फरीदाबाद नगर निगम ने बनाई नई योजना, अरावली की पहाड़ियों में छोड़े जाएंगें पकड़े गए बंदर

Updated Apr 01, 2022 | 16:34 IST

Terror of Monkeys: फरीदाबाद के लोगों को जल्‍द ही बंदरों के आतंक से मुक्ति मिल जाएगी। इन बदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम ने टेंडर जारी किए हैं, इन्‍हें पकड़कर अरावली की पहाड़ियों में छोड़ा जाएगा।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
टीमों द्वारा पकड़े गए बंदरों का रखा जाएगा ध्यान (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
  • स्‍मार्ट सिटी के लोगों को मिलेगा बंदरों के आतंक से मुक्ति
  • फरीदाबाद में इस समय मौजूद हैं करीब 15 हजार बंदर
  • बंदरों को पकड़कर अरावली के पहाड़ियों में छोड़ा जाएगा

 Terror of Monkeys: स्मार्ट सिटी के लोगों को अब बंदरों का आतंक नहीं झेलना पड़ेगा। लोगों को इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने प्‍लान तैयार कर लिया है। प्‍लान के अनुसर, अब बंदरों को पकड़कर अरावली की पहाड़ियों में छोड़ा जाएगा। वहां से बंदर दोबारा आबादी की तरफ रुख ना करें, इसका भी ध्यान रखा जाएगा और वहां पर उनके खाने की पूरी व्‍यवस्‍था की जाएगी। प्‍लान को कामयाब बनाने और आम लोगों को इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए निगम कई टीमों को नियुक्‍त करेगा। इस संबंध में निगम द्वारा टेंडर जारी कर दिए हैं। इस शहर में पिछले कई सालों से बंदरों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है।

निगम के अनुमान, इस समय शहर में करीब 15 हजार बंदर मौजूद हैं। नगर निगम के अधिकारियों का मानना है कि, दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी दिल्ली से बंदरों को पकड़कर फरीदाबाद की सीमा में छोड़ जाते है। जिसके कारण इनकी तादाद लगातार बढ़ रही है। ये बंदर शहर में जमकर उत्‍पात मचाते हैं। इनके हमलों से अब तक सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। पिछले वर्ष बडखल गांव में बंदरों ने हमला कर एक बच्चे की गर्दन में दांत काफी अंदर तक गाड़ दिये थे। बच्चे को जख्मी हालत में बीके अस्पताल ले जाया गया था।

तीन हजार लोग हर महीने पहुंच रहे अस्पताल

शहर के लोग बंदरों के साथ कई अन्‍य अवारा जानवरों के आतंक से भी परेशान हैं। बीके अस्पताल के डॉक्‍टरों के अनुसार, यहां हर माह करीब तीन हजार लोग रैबिज का टीका लगवाने पहुंच रहे हें। इनमें कुत्ते के काटे जाने वाले मरीज अधिक है, जबकि दूसरे नंबर पर बंदर द्वारा घायल लोग हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से अस्पताल में रैबीज के इंजेक्शन का भी टोटा हो जाता है। लोगों का कहना है कि, इससे उनकी परेशानी बढ़ जाती है। नतीजतन लोगों को निजी मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन खरीदकर लाने पड़ते हैं।

निगम के पास नही एक्सपर्ट कर्मचारी

नगर निगम के पास इन बंदरों को पकड़ने के लिए एक्‍सपर्ट कर्मचारी नहीं हैं। निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर नितीश का कहना है कि, बंदरों को पकड़ने के लिए एक्सपर्ट कर्मचारी नहीं होने के कारण अभी सफाई कर्मचारियों से ही काम लिया जा रहा है। लेकिन अब एक्पर्ट से बंदरो को पकड़वाया जाएगा।