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Deepika Ranveer Wedding: दीपिका पादुकोण ने ऐसे किया था डिप्रेशन से मुकाबला, जानें इसके बचने के उपाय

Updated Nov 13, 2018 | 02:51 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Combating Deepika's Depression : दीपिका पादुकोण लंबे समय तक डिप्रेशन से जूझती रहीं। तगड़े डिप्रेशन के इस दौर को उन्होंने बड़ी ही समझदारी के साथ निकाल दिया और आज वो अपने फैंस को इससे बचने के लिए सलाह दे रही हैं।

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Deepika Padukone

मुंबई. दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह शादी के बंधन में बंधने वाले हैं। हालांकि, एक एक ऐसा दौर भी था जब दीपिका लंबे समय तक डिप्रेशन से जूझती रहीं। इस दौर को उन्होंने बड़े ही समझदारी के साथ निकाल दिया। आज वो अपने फैंस को इससे बचने के लिए सलाह दे रही हैं।दीपिका ने खुद कहा है कि वो डिप्रेशन की शिकार थीं, लेकिन सही इलाज व सकारात्मक नजरिए की बदौलत अब वह पहले वाली दीपिका हूं। 

दीपिका पिछले साल 15 फरवरी को वह सुबह उठी तो काफी कमजोर महसूस कर रही थीं। साल 2013 की तरक्की, अवॉर्ड और सभी लोगों का प्यार सबकुछ बेकार लग रहा था। उन्हें बस रोना चाहती थीं। इस दौरान उनके माता-पिता उनसे मिलने आए मां ने मुझे रोता हुआ देखा था।

दीपिका बताती है कि वह कई बार मां के सामने रोईं लेकिन कोई वजह उनकी मां को समझ नहीं आई। मां को लग गया कि कुछ गड़बड़ है। वे मेरे पास ही रुक गईं और पापा को वापस जाने के लिए कहा, लेकिन जब मेरी परेशानी के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ तो मां ने अपनी एक काउंसलर (एना चांडी) दोस्त से मेरे लिए बात की। 

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काउंसलर की मदद से उबरी
दीपिका कहती हैं कि एना आंटी ने फोन पर मुझसे बात की तो उन्हें कुछ गड़बड़ लगा। अगले ही दिन वे मुझसे मिलने के लिए मुंबई आ गईं। पूरे दिनभर बातचीत के बाद उन्हें लग गया कि ये दुख नहीं डिप्रेशन था जिसकी एक वजह कुछ समय पहले हुई मेरी एक दोस्त की मौत भी थी। उन्होंने मां से कहा कि मुझे एक डॉक्टर की जरूरत है। मां के काफी समझाने के बाद मैं मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए तैयार हो गई।

क्या हैं लक्षण
डॉक्टर्स का कहना है कि डिप्रेशन या तनाव किसी भी उम्र के व्यक्ति  हो सकता है। फैमिली हिस्ट्री, इच्छाओं का पूरा न होना, दिल टूटना, काम का प्रेशर, दिमागी संरचना में रासायनिक बदलाव और अकेलापन तनाव के कारण हो सकते हैं।

आमतौर पर व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि वह तनाव में है इसलिए यह स्थिति सिजोफ्रनिया से अलग है। इस दौरान व्यक्ति उदास रहने लगता है, नकारात्मक सोच, भविष्य की चिंता, भूख ज्यादा या कम लगना, नींद कम या ज्यादा आना, छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आना, घरेलू या सामाजिक समारोह में जाने से कतराना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। 

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