नई दिल्ली : दुनिया भर में कोरोना का टीका बनाने की प्रक्रिया में जुटीं दवा कंपनियां अपने वैक्सीन के परीक्षण के अंतिम दौर में हैं। ब्रिटेन में टीकाकरण का अभियान शुरू होने वाला है। मॉडर्णा, फाइजर, ऑक्सफोर्ड, स्पूतनिक V टीके को लेकर काफी उम्मीदें हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भारत में सितंबर महीने तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की बात कह चुके हैं। देश में टीके के वितरण एवं प्रबंधन की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस सबके बीच सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कोरोना का टीका सभी को नहीं लगेगा लेकिन कोरोना से ऊबर चुके लोगों को क्या यह टीका लगेगा? इस पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की अपनी राय है। आइए जानते हैं कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं-
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
आईसीएमआर-एनआईटीएम के विरूलोजिस्ट एवं निदेशक डॉ देबप्रसाद चटोपाध्याय का कहना है कि वैज्ञानिक रूप से जो लोग कोविड-19 के संक्रमण से ऊबर चुके हैं उन्हें टीका लगाने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस महामारी से लड़ने के लिए उनके अंदर एंटीबॉडी का निर्माण हो चुका होता है। उनके मुताबिक, 'सीधे तौर पर टीकाकरण में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए वायरस या उसके हिस्से शरीर में डाले जाते हैं। ऐसे में जो लोग ठीक हो चुके हैं उनमें पहले पहले से प्रतिरोधक क्षमता मौजूद हैं। इसे देखते हुए ठीक हो चुके लोगों को टीका लगाने की जरूरत नहीं है।'
व्यक्तियों में दोबारा संक्रमण के मामले भी आए
हालांकि, एपिडेमियोलोजिस्ट डॉक्टर रमेश का कहना है कि चूंकि, व्यक्तियों में दोबारा संक्रमण के मामले सामने आए हैं, ऐसे में टीकाकरण सभी के लिए जरूरी है। एपिडेमियोलोजिस्ट डॉक्टर गिरिधर बाबू के मुताबिक अभी इस बारे में बात करना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि कोरोना वायरस भारत में अपना रूप परिवर्तित कर चुका है। एक ठीक हो चुके मरीजे में एंटीबॉडी कितने लंबे समय तक रहेगी इस पर भी अभी पर्याप्त डाटा अभी नहीं है।
टीकाकरण को लेकर दो बातें
डॉक्टर बाबू का कहना है कि टीकाकरण को लेकर दुनिया के सामने दो चीजें पूरी तरह से स्पष्ट हैं। एक तो यह है कि चिकनपॉक्स से ऊबर चुके व्यक्ति को दोबारा टीका देने की जरूरत नहीं पड़ती जबकि इसके उलट फ्लू के केस में व्यक्ति को टीके का डोज नियमित समय पर लेना पड़ता है। जहां तक कोरोना वायरस की बात है तो यह किसी तरफ जा सकता है या इसकी स्थिति बीच की हो सकती है। अभी कोरोना के लिए कितने डोज की जरूरत है, अभी इस पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई है।